जानिए PM मोदी ने क्यों छुए इस महिला के पैर, ये है रहस्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन किया। इससे पहले पीएम मोदी ने अपने प्रस्तावकों से मुलाकात और बातचीत की। चार प्रस्तावकों में से एक महिला प्रस्तावक भी थीं जिनके पीएम मोदी मे पैर छुए।

Update:2019-04-26 15:37 IST

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन किया। इससे पहले पीएम मोदी ने अपने प्रस्तावकों से मुलाकात और बातचीत की। चार प्रस्तावकों में से एक महिला प्रस्तावक भी थीं जिनके पीएम मोदी मे पैर छुए।

प्रधानमंत्री के प्रस्तावकों में पाणिनि कन्या महाविद्यालय की प्रिंसिपल अन्नपूर्णा शुक्ला थीं। पीएम मोदी ने नामांकन से पहले अन्नपूर्णा के पैर छू कर उनसे आशीर्वाद लिया।

इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामांकन के लिए मणिकर्णिका घाट निवासी डोमराजा के बेटे जगदीश चौधरी, हुकुलगंज के रहने वाले संघ व पार्टी के पुराने कार्यकर्ता सुभाष गुप्ता, एमबीबीएस डॉक्टर अन्नपूर्णा शुक्ला, प्रोफेसर रमाशंकर पटेल और एक चौकीदार भी शामिल थे, जिसका नाम राम शंकर पटेल था।

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अन्नपूर्णा शुक्ला को मदन मोहन मालवीय की दत्तक पुत्री माना जाता है। अन्नपूर्णा शुक्ला बीएचयू महिला महाविद्यालय की प्राचार्य रही हैं। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई बीएचयू से ही की है। मालवीय जी का आशीर्वाद प्राप्त एकमात्र जीवित पूर्व प्राचार्य हैं। इसलिए ही मालवीय जी की दत्तक पुत्री भी कहते हैं।

अन्नपूर्णा शुक्ला खुद इस उम्र में भी सामाजिक कार्यों में लगी रहती हैं। वह लहुराबीर पर स्थित काशी अनाथालय की संस्था वनिता पालीटेक्निक की मानद निदेशिका भी हैं।

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महिला उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 1921 बीएचयू में विमेंस कॉलेज की शुरुआत हुई तो प्रो. अन्नपूर्णा शुक्ला ने गृह विज्ञान की उपयोगिता समझते हुए कॉलेज में गृह विज्ञान शिक्षा विभाग की शुरुआत कराई। इसके लिए उन्हें 15 साल का कड़ा संघर्ष करना पड़ा था।

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गृह विज्ञान विभाग की पहली हेड भी प्रो. शुक्ला बनीं। महिला महाविद्यालय ही नहीं कश्मीर के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट में भी होम साइंस विभाग की शुरुआत कराने का भी श्रेय अन्नपूर्णा शुक्ला को ही जाता है। उन्होंने साल 1991 में काशी अनाथालय में वनिता पॉलिटेक्निक की स्थापना भी कराई। वहीं, अन्नपूर्णा शुक्ला के पति बीएन शुक्ला गोरखपुर विवि के कुलपति रह चुके हैं। वहीं, वे रूस में भारत के राजनयिक भी रहे।

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