पोस्टर विवाद: सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच में भेजा गया केस, अब तीन जज करेंगे सुनवाई

पोस्टर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद इस मामले को बड़ी बेंच के हवाले कर दिया गया है। अब इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते 3 जजों की पीठ करेगी।

Update: 2020-03-12 09:02 GMT

नई दिल्ली: पोस्टर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद इस मामले को बड़ी बेंच के हवाले कर दिया गया है। अब इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते 3 जजों की पीठ करेगी। इसके साथ ही इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हुई सुनवाई में अंतरिम आदेश भी नहीं दिया।

मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की पीठ ने हिंसा के कथित आरोपियों के पोस्टर लगाने के यूपी सरकार के फैसले पर हैरानी व्यक्त की।

कोर्ट ने कहा कि यह सवाल उठता है कि कथित आरोपियों के पोस्टर लगाने का फैसला आखिर यूपी सरकार ने कैसे ले लिया। कोर्ट ने कहा, हम राज्य सरकार की चिंताओं को समझते हैं। लेकिन इस तरह का कोई कानून नहीं है जिससे कि आपके इस कदम को जायज ठहराया जा सके।

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बचाव पक्ष के वकील सिंघवी ने कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट में लखनऊ पोस्टर मामले में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें दी। सिंघवी ने कोर्ट में यूपी सरकार के इस कदम पर कहा कि इस तरह की कोई नीति या कानून हमारे देश में नहीं हैं।

दरअसल 19 दिसंबर को अचानक लखनऊ की सड़कों पर सीएए विरोध के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। पुराने लखनऊ से लेकर हजरतगंज तक हिंसक भीड़ ने इस दौरान जमकर उत्पात मचाया. पुलिस से लेकर मीडिया पर भी हमला हुआ. दर्जनों गाड़ियां फूंक दी गईं, पुलिस चैकी को भी आग के हवाले कर दिया गया।

मामले में सरकार की तरफ से आरोपियों को नोटिसें भेजी गईं। जिसके बाद 5 मार्च को लखनऊ जिला प्रशासन की तरफ से लखनऊ के हजरतगंज सहित प्रमुख इलाकों में चैराहों पर आरोपी 57 लोगों की तस्वीरों का पोस्टर लगाया दिया गया।

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कोर्ट ने योगी सरकार से पूछा ये सवाल

हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई योगी सरकार लेकिन योगी सरकार अपने निर्णय पर अड़ी रही और उसने 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर दी। मामले में 12 मार्च को सुनवाई हुई।

इस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि उन्हें आरोपियों का पोस्टर लगाने का अधिकार किस कानून के तहत मिला है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी तक शायद ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके तहत उपद्रव के कथित आरोपियों की तस्वीरें होर्डिंग में लगाई जाएं।

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