Prayagraj News: मरीज़ का कट गया था आधा सीना, डॉक्टर राजीव सिंह ने एक घण्टे में किया कमाल!
Prayagraj News: प्रयागराज में नारायण स्वरूप हॉस्पिटल (Narayan Swaroop Hospital) के निदेशक डॉ. राजीव सिंह (Dr. Rajeev Singh) ने अपनी टीम के साथ मिलकर एक ऐसे व्यक्ति की जान बचाई, जिसका ग्लाइंडर से सीना कट गया था।
Prayagraj News: संगमनगरी के डॉक्टरों ने एक बड़ा कमाल कर दिया है। यहां के नारायण स्वरूप हॉस्पिटल (Narayan Swaroop Hospital) के निदेशक डॉ. राजीव सिंह (Dr. Rajeev Singh) ने अपनी टीम के साथ मिलकर एक ऐसे व्यक्ति की जान बचाई, जिसका ग्लाइंडर से सीना कट गया था और दिल बाहर नजर आने लगा था।
यह मामला बुधवार का है, जहां पर मरीज़ को दोपहर बारह बजे के करीब भर्ती कराया गया था। जिसके बाद करीब एक घण्टे तक चले ऑपरेशन के बाद उसकी जान बचाई जा सकी। इस तरह से धूमनगंज के प्रीतम नगर के रहने वाले जय सिंह यादव (35) को एक नई ज़िंदगी मिली।
'सीना इस कदर कटा, दिल बाहर नजर आने लगा'
इस ऑपरेशन को अंजाम देने वाले डॉक्टर राजीव सिंह ने 'न्यूज़ट्रैक' संग बातचीत में इस कारनामे के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि 'वह (जय सिंह यादव) निर्माणाधीन घर में शटरिंग का काम कर रहे थे, तब ही काम करने के दौरान लोहे का रॉड काटने वाले ग्लाइंडर को दोनों हाथों से पकड़ने के बजाय एक हाथ से पकड़ कर वह सरिया काट रहे थे।
इसी बीच इलेक्ट्रिकल ग्लाइंडर चलते हुए हाथों से छूट गया और उस ग्लाइंडर ने एक हाथ को काटते हुए सीने को चीर दिया। लोहे की प्लेट से सीना इस कदर कटा कि अंदर का दिल बाहर नजर आने लगा।'
जख्मी हालत में लाया गया था अस्पताल
डॉक्टर राजीव सिंह ने बताया कि मरीज़ को आनन-फानन में हॉस्पिटल लाया गया। डॉक्टर राजीव सिंह ने कहा कि ये मामला लगभग 11-12 बजे के पास मेरे पास आया था। ये मिस्त्री है। किसी के यहां शटरिंग लगाए हुए था। लकड़ी को इलेक्ट्रिक ग्लाइंडर से काट रहा था। एकाएक ग्लाइंडर फिसल गया। उसी से वह दाहिने हाथ को काटते हुए सीने को काटकर दिल तक पहुंच गया था।
डॉक्टर के मुताबिक- यह बहुत डीप इंजरी थी। इलेक्ट्रिक ग्लाइंडर लगभग चार इंच का होता है और वह जय के ढ़ाई इंच तक अंदर घुस चुका था। सीने की हड्डियों को काटते हुए फेफड़े व दिल के ऊपर की जो परत होती है, जिसके अंदर दिल होता है, उसे पेरिकॉर्डियन बोलते हैं। उसको भी काटते हुए मशीन निकल गई थी।
राजीव सिंह ने बताया कि जब वह मेरे पास आया, तब दिल व फेफड़ा बाहर से ही दिख रहा था। तेजी से ब्लीडिंग हो रही थी। बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो गई थी। पूरा ब्लड सना हुआ था। बीपी डाउन था। तुरंत बोतल लगाकर कंट्रोल किया गया। तेज़ी से फेफड़े के अंदर हवा जा रही थी। ऑक्सीजन 70-80 पहुंच गया था। जिसके बाद इमरजेंसी ओटी में शिफ्ट किया गया। लगभग 20-25 मिनट के भीतर ही हमने यह सबकुछ किया। उसके बाद 1 घण्टे तक चले ऑपरेशन में उसे बचा लिया गया।
एक घंटे तक चला था ऑपरेशन
नारायण स्वरूप हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. राजीव सिंह ने बताया कि अब मरीज़ की जान ख़तरे से बाहर है। क़रीब एक घण्टे तक चले ऑपरेशन के बाद अब जय की जान बचाई गई।
Occupational Hazard का था मामला
डॉक्टर राजीव सिंह ने बताया कि यह मामला पूरी तरह से व्यवसायिक खतरे का था। यह वह खतरा होता है, जो किसी भी व्यक्ति के प्रोफेसन से जुड़ा हुआ हो। यानि, यदि कोई भी व्यक्ति अपने पद के दायित्वों को करते हुए चोटिल हो जाए, तो वह Occupational Hazard कहा जाएगा।
कौन हैं डॉक्टर राजीव सिंह?
मूलतः प्रयागराज का रहने वाले डॉक्टर राजीव सिंह करीब 14 वर्षों से संगमनगरी के वासियों की सेवा कर रहे हैं। इन्होंने यहीं के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। उसके बाद कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से एमएस किया।
इसके बाद दिल्ली के गुरु तेग बहादुर मेडिकल हॉस्पिटल में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात रहे। वहां से करीब 14 वर्ष पूर्व वह अपने शहर प्रयागराज लौटे और यहीं पर नारायण स्वरूप मेडिकल अस्पताल की स्थापना कर लोगों की सेवा में लग गए।