गर्भवती महिला और बच्चे: हजारों पर आफत का पहाड़, बुरी तरह फंसे यूपी बॉर्डर पर
यूपी के महोबा जिले के मध्य प्रदेश बॉर्डर पर ये भयावह चौंका देने वाला मंजर देखने को मिला है। यहां गुजरात, महाराष्ट्र से आए हजारों मजदूर फंसे हुए हैं। प्रवासियों में कई गर्भवती महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
नई दिल्ली: देशभर में लॉकडाउन के चलते जितनी बुरी दशा गरीबों, श्रमिकों और मजदूरों की है शायद उसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है। जिस तरह सैकड़ों किमी तक तपती धूप में भूखे-प्यासे ये मजदूरों जिंदगी के कठिन दौर का सामना कर रहें, उस पर से ये आपदाएं भी उनका पीछा नहीं छोड़ रही हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के महोबा में यूपी-मध्य प्रदेश बॉर्डर पर लगभग 5000 मजदूर फंसे हुए हैं। ये अपने घर जाने के लिए दूसरे राज्यों से कैसे भी चले तो आए लेकिन अब यहां इन मजदूरों को यूपी में घुसने की इजाजत नहीं दी जा रही है। अब ये न तो इधर के रहे और उधर के।
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गर्भवती महिलाएं और बच्चे
यूपी के महोबा जिले के मध्य प्रदेश बॉर्डर पर ये भयावह चौंका देने वाला मंजर देखने को मिला है। यहां गुजरात, महाराष्ट्र से आए हजारों मजदूर फंसे हुए हैं।
लॉकडाउन की मार के चलते ये मजबूर मजदूर बेबस, बदहाल मजदूर भीषण तपती गर्मी में खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं। आंधी तूफान में कहीं इनकों ठिकाना नहीं हैं। इनमें प्रवासियों में कई गर्भवती महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, जो भूख-प्यास से बेहाल अकेली राहों में चल रहें हैं।
अपने घर जाने के लिए व्याकुल ये सभी मजदूर उत्तर प्रदेश बॉर्डर में प्रवेश करके आए हैं। लेकिन इन्हें बॉर्डर पार करने की परमीशन नहीं मिली। बॉर्डर पर जिले की पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का पूरा समूह जुटा है इन मजदूर को रोकने के लिए हैं। जिससे इनको बॉर्डर क्रॉस नहीं करने दिया जा रहा है।
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भूखे-प्यासे ही खुले आसमान के नीचे
महोबा जिले में कैमाहा गांव के पास उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश का बॉर्डर है। यहां गुजरात, महाराष्ट्र से सैकड़ों वाहनों में हजारों मजदूर पहुंचे हैं। बॉर्डर क्रॉस करने का आदेश न होने के कारण ये प्रवासी मजदूर भूखे-प्यासे ही खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं।
लेकिन ऐसे में उन गर्भवती महिलाओं और बच्चें कैसे रह रहे हैं, गर्मी के कारण गर्भवती महिलाओं और बच्चों की हालत ज्यादा खराब है। क्या ये प्रशासन और पुलिस कर्मियों को नहीं दिख रहा हैं।
लाखों करोड़ों मजदूरों की रोजी-रोटी छीन ली
वहीं बॉर्डर पर तैनात महोबा जिले के एएसपी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन ने लाखों करोड़ों मजदूरों की रोजी-रोटी छीन ली है।
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दूसरी जगह पर रोज कमाने-खाने वालों के सामने रोटी का संकट पैदा हो गया है। अपने परिवारों की भूख मिटाने के लिए मजदूर अपने-अपने घरों को चल दिए हैं।
मजबूरी इंसान से सब कुछ करा लेती है। ये मजदूर जो हर रोज कमाकर अपना और परिवार का पेट भरा तो लेते थे। लेकिन महामारी और लॉकडाउन के चलते ये रोटी के लिए तरस रहे हैं। ऊपर से पुलिस के डंडे से ही अपना पेट लेते हैं और बीबी-बच्चों को पानी पीकर ही रहना पड़ रहा है।
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