लखनऊः यूपी के सूखाग्रस्त घोषित जिलों में मध्यान्ह भोजन योजना (मिड डे मील) को लेकर शिक्षकों और शिक्षा अधिकारियों के बीच ठन गई है। पहले तो प्रदेश शासन की तरफ से कहा गया कि गर्मी की छुटिटयों में मिड डे मील बनवाने में शिक्षकों का सहयोग नहीं लिया जाएगा। उन्हें मात्र विद्यालय का द्वार खुला रखना होगा। पर जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) ने यह जिम्मेदारी शिक्षकों को सौंप दी।
मिड डे मील बनवाने का शिक्षक करेंगे बहिष्कार
इसको लेकर उप्र प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने मोर्चा खोल दिया है और हाली डे के दिनों में शिक्षकों से मिड डे मील बनवाने की जिम्मेदारी का पूरी तरह बहिष्कार करने की बात कही है। वहीं शिक्षक जिलों में डीएम को ज्ञापन सौंपकर इसका विरोध जताएंगे।
शासन ने कहा था एमडीएम बनवाने में शिक्षकों का सहयोग नहीं लिया जाएगा
-शिक्षक संघ के दिनेश चन्द्र शर्मा का कहना है कि बीते 19 मई को शिक्षक संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस सिलसिले में सचिव बेसिक शिक्षा से बात की थी।
-इसमें कहा गया था कि एमडीएम बनवाने में शिक्षकों का सहयोग नहीं लिया जाएगा।
-यहां तक की इस संबंध में जारी शासनादेश में भी शिक्षकों की भूमिका का कोई जिक्र नहीं है।
ग्राम प्रधान की है एमडीएम बनवाने की जिम्मेदारी
-उनका कहना है कि शासनादेश के मुताबिक मिड डे मील बनवाने की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान या ग्राम शिक्षा समितियों की है।
-जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने यह जिम्मेदारी शिक्षकों को सौंप दी है जो शासनादेश के विपरीत है और यह संभव नहीं है।
-इस बारे में जानकारी के लिए जब सचिव बेसिक शिक्षा अजय कुमार सिंह से बात करने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
-21 से 30 जून तक शिक्षकों को ग्रीष्मावकाश घोषित है।
-पर सूखा प्रभावित 50 जिलों में स्कूली बच्चों को मिड डे मील दिया जाना है।
-इसके लिए शासन की तरफ से धन जारी हो चुका है।
-छुट्टी के कारण हर परिषदीय स्कूलों में तैनात शिक्षकों को एक-एक दिन स्कूल पहुंचना होगा।
-भोजन में शामिल सभी बच्चों की हाजिरी भी लेनी होगी।
-प्रतिदिन भोजन करने वाले छात्रों की संख्या शासन के पास भेजनी होगी।