Mahrajganj News : जीजा-साली ने लिए सात फेरे, ले उड़े 'सरकारी दहेज'
Mahrajganj News : पिछले 13 अक्टूबर को आयोजित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में जीजा-साली ने न सिर्फ सात फेरे लिए, बल्कि 'सरकारी दहेज' भी ले उड़े।
Mahrajganj News : मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना (Chief Minister Samuhik Vivah Yojna) अपने उद्देश्यों को लेकर कितनी सफल है, इसे महराजगंज (Maharajganj) के एक प्रकरण से समझा जा सकता है। यहां पिछले 13 अक्टूबर को आयोजित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में जीजा-साली ने न सिर्फ सात फेरे लिए, बल्कि 'सरकारी दहेज' भी ले उड़े। शगुन को लेकर जोड़े को मिलने वाली 51 हजार की रकम उनके खाते में गई या नहीं इसे लेकर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। अब जब मामला उजागर हुआ है तो कुंवारे का सर्टिफिकेट देने वाले लेखपाल से लेकर तहसीलदार का होश उड़ा हुआ है।
महराजगंज मुख्यालय पर बीते 13 अक्टूबर को आयोजित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना (Chief Minister Samuhik Vivah Yojna) में कुंवारों ने सात फेरे लिये थे। लेकिन इसमें धोखाधड़ी भी हो गई। कोल्हुई क्षेत्र के बड़िहारी गांव निवासी एक शादीशुदा शख्स ने अपनी साली के साथ ही विवाह रचा लिया। दोनों गांव में सरकार द्वारा मिले दहेज को लेकर पहुंचे तो सभी मुश्किल में पड़ गए। इसे देखते हुए किसी ने जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत कर दी। मामला खुला को पारदर्शिता का दावा करने वाले सरकारी महकमे के जिम्मेदारों के होश उड़ गए। जोड़े को नकद को नहीं मिला था। लेकिन गिफ्ट का सामान दोनों साथ ले गए। शिकायत के बाद विभागीय बेचैनी बढ़ गई है। डीएम के निर्देश पर मामले की जांच शुरू कर दी गई है। शादी में प्रति जोड़े पर 51 हजार रुपये खर्च होते हैं और वधू को 35 हजार रुपये के चेक मिलते हैं।
साली से शादी करने वाला है कई बच्चो का बाप
कोल्हुई थाना क्षेत्र के ग्राम सभा बड़िहारी निवासी न सिर्फ शादी शुदा है, बल्कि बच्चों का बाप भी है। इसके बाद भी सामूहिक विवाह योजना के तहत शादी के लिए पंजीकरण करा लिया और साली से शादी भी रचा ली। शादी समारोह में मिले उपहार को भी उठा लाया। विवाह के बाद शगुन में मिलने वाले 51 हजार रुपये उसके खाते में गए या नहीं इस पर कोई जिम्मेदार बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि शिकायत मिलते ही रकम को होल्ड कर जांच बिठा दी गई है।
बिना सत्यापन के ही दे दिया योजना का लाभ
सामूहिक शादी समारोह में प्रति शादी 51 हजार रुपये खर्च होते हैं। सरकार गरीबों की शादी कराने के लिए इतनी रकम खर्च करती है। पंजीकरण के बाद इसका सत्यापन लेखपाल से लेकर ग्राम प्रधान तक से कराया जाता है। इसके बाद भी शादीशुदा शख्स द्वारा अपनी साली से शादी रचाने के मामले ने जिम्मेदारों को बेचैन कर दिया है।
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