Raebareli News: केवट द्वारा ‘बिना पैर धोए चढ़ाऊं न नइया, पैर धुला करके आना पड़ेगा‘

Raebareli News: पाहो की रामलीला में राम-केवट संवाद और भारत मिलाप का हुआ भव्य स्वरूप मंचन।

Report :  Narendra Singh
Update:2023-11-20 22:53 IST

Raebareli News (Pic: Newstrack)

Raebareli News: खीरों ब्लाक क्षेत्र के पाहो गांव में चल रही है 11 दिवसीय रामलीला के छठवें दिन राम-केवट संवाद और भरत मिलाप का मंचन किया गया। रामलीला मंचन के प्रथम दृश्य में राम, लक्ष्मण और सीता की श्रंगवेरपुर में भीलों के राजा निषादराज से भेंट होती है। निषादराज उनका सेवा सत्कार कर अपनी बस्ती में रुकने का आग्रह करते हैं। पिता के वचनों से बंधे राम तैयार नहीं होते। तब निषादराज उन्हें लेकर गंगा की ओर चल देते हैं। श्रीराम गंगा तट पर सुमंत को अयोध्या लौट जाने को कहते हैं। गंगा के पार जाने के लिए राम केवट से नाव मांगते हैं।

मजदूर कहीं मजदूरों से मजदूरी लेते हैं भैया

केवट यह कहते हुए मना कर देते हैं कि कहीं आपकी चरणरज का स्पर्श पाकर नाव नारी न बन जाए, जैसे पत्थर की शिला अहिल्या बन गई थीं। केवट कहते हैं कि बिना पर दोहे आपको नाव पर नहीं चढ़ाऊंगा। केवट ने कहा- ‘‘बिना पैर धोए चढ़ाऊ न नैया, पैर धुला करके आना पड़ेगा, चढ़ेगा न केवट चलेगी न नैया, चरण धुला करके आना पड़ेगा‘‘। नाव में बैठाने से पहले केवट राम, लक्ष्मण और सीता के चरण धोते हैं। गंगा पार उतरने के बाद राम ने जब मजदूरी देना चाहा तो केवट यह कहते हुए मना कर देते हैं कि-‘‘ की मल्लाह कहीं मल्लाहों से मल्लाही लेते हैं भैया, मजदूर कहीं मजदूरों से मजदूरी लेते हैं भैया‘‘।


 तुम बिन अवध बिराने हैं भइया, लौट अवध को चलो रघुरइया

उसने कहा कि आज आप मेरे घाट पर आए तो मैंने आपको पार उतारा, जब मैं आपके घाट आऊं तो आप मुझे भवसागर से पार लगा देना। केवट की यह बात सुनकर राम आशीर्वाद देकर आगे बढ़ जाते हैं। उधर, अयोध्या में ननिहाल से भरत पहुंचते हैं तो कैकयी उन्हें पूरी बात बताती हैं इस पर भरत नाराज हो जाते हैं और कहते हैं कि - ‘‘प्राणों से प्यारे भैया वन को न जाते, अगर तू ना होती, अगर तू ना होती‘‘। गुरु वशिष्ठ की आज्ञा लेकर भरत राम को मनाने चित्रकूट चल पड़ते हैं। वहां राम से अयोध्या लौटने की अनुनय और विनय करने लगते हैं। भरत कहते हैं कि- ‘‘तुम बिन अवध बिराने हैं भइया, लौट अवध को चलो रघुरइया‘‘।

खड़ाऊ अपने सिर पर लेकर अयोध्या की ओर चल देते हैं

जब राम तैयार नहीं होते हैं तो भरत उनकी खड़ाऊ अपने सिर पर लेकर अयोध्या की ओर चल देते हैं। रामलीला के इस मंचन में राम की भूमिका आकाश सिंह, लक्ष्मण की शिवम त्रिवेदी, सीता की जीतू गौड़, केवट की भूमिका मोहम्मद नौशाद, भरत की दीपक तिवारी, कौशल्या की संदीप, सुमित्रा की करन गौड़, कैकयी की अमृत लाल, वशिष्ठ की मुन्नूलाल सविता और निषाद राज की भूमिका नरेश पाल ने निभाई। साज सज्जा का कार्य कौशलेंद्र सिंह बच्चा, विपिन विश्वकर्मा और राजू डीजे ने किया। बैंजो पर संगत गुलाम कासिम, पैड पर रईस भाई, ढोलक पर राम सजीवन और विराट शुक्ला ने संगत की। इस दौरान रामलीला कमेटी के अध्यक्ष श्यामनाथ सिंह भदोरिया, उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह गुड्डू, संरक्षक गंगा बक्श सिंह, मंटू सिंह, आशीष वर्मा, जैनू सिंह, रज्जू मिस्त्री, शिवम जायसवाल आदि लोग मौजूद रहे।

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