योगी ने गंवाया अपना किला, अब राहुल-प्रियंका को मिला यूपी का रास्ता
हाथरस कांड ने योगी सरकार पर जातिवादी, असंवेदनशीलता, धार्मिक परंपराओं की परवाह नहीं करने वाली तानाशाह सरकार का तमगा लगा दिया है।
लखनऊ। हाथरस के बूलगढी गांव जाने के लिए लाठी-डंडे खाने को तैयार कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने योगी सरकार को राजनीतिक मोर्चे पर पहली बडी पटखनी दे दी है। इस लडाई में योगी सरकार ने अफसरशाही को बचाने की कोशिश में भाजपा का वाल्मीकि वोट बैंक भी दांव पर लगा दिया और अंतत: हाथरस का रास्ता देकर कांग्रेस को प्रदेश की राजनीति के केंद्र में खड़ा कर दिया है।
योगी सरकार पर जातिवादी, असंवेदनशीलता, तानाशाह सरकार का तमगा
हाथरस कांड ने योगी सरकार पर जातिवादी, असंवेदनशीलता, धार्मिक परंपराओं की परवाह नहीं करने वाली तानाशाह सरकार का तमगा लगा दिया है। सामूहिक बलात्कार के आपराधिक मामले में राजनीति के दांव-पेंच से निपटने में योगी सरकार पूरी तरह नाकाम रही। राजनीति के अखाडे में योगी सरकार ने उन नौकरशाहों को उतार दिया जो राजनेताओं के साथ तालमेल में तो माहिर हैं लेकिन मामलों को निपटाने में जिस राजनीतिक कौशल की आवश्यकता होती है उसकी राह में उनकी नौकरशाही की अभिजात्य पहचान काठ बनकर खडी हो जाती है।
योगी सरकार के साथ स्थानीय राजनेता तक नहीं मिले पीड़ित परिवार से
कांग्रेस,सपा, भीम आर्मी समेत अन्य राजनीतिक दलों ने जब अलीगढ अस्पताल में जिंदगी के लिए जूझ रही पीडिता के लिए संघर्ष का ऐलान किया तो योगी सरकार के साथ स्थानीय राजनेता भी नहीं दिखे। यह स्वाभाविक भी था जब योगी सरकार में विधायक और प्रदेश पदाधिकारियों की सुनने वाला कोई नहीं है तो पार्टी नेता किस दम पर आगे आते। जिले में बैठे अधिकारियों ने भी स्थानीय भाजपाइयों से कोई मदद नहीं मांगी।
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हाथरस गैंगरेप मामले में आरोपित पक्ष ने तो खुला आरोप लगाया है कि भाजपा के स्थानीय सांसद और उनकी बेटी ने ही मामले में राजनीति की है। इस हकीकत के बावजूद हाथरस जिला प्रशासन से लेकर आगरा और अलीगढ मंडल के प्रशासनिक अधिकारी और लखनऊ में बैठे नौकरशाहों ने भी भाजपा नेताओं का कोई सहयोग नहीं लिया और नौकरशाही की सलाह पर योगी सरकार कदम- दर -कदम गहरे दलदल में उतरती चली गई।
योगी सरकार की बडी गलती
हाथरस गैंगरेप कांड में पीडिता का इलाज ठीक से नहीं कराने और आरोपितों को जेल नहीं भेजने का आरोप ही शुरू में लगा था। योगी सरकार ने बाद में पीडिता को दिल्ली भेज दिया तब तक केवल कांग्रेस के दलित वर्ग के नेताओं ने ही पीडित परिवार से मुलाकात कर आरोप लगाया था कि योगी सरकार आरोपित पक्ष के ठाकुरों को बचाने के लिए कार्रवाई नहीं कर रही है। इसके बाद सबसे बडी गलती सरकार ने पीडिता की मृत्यु के बाद आधी रात में जबरन उसका अंतिम संस्कार कराकर किया। केंद्र सरकार के मंत्री रामदास आठवले ने भी राजधानी लखनऊ में आकर कहा कि योगी सरकार ने यह बडी गलती की है। इसके बाद योगी सरकार ने गांव में मीडिया समेत सभी के आने-जाने पर प्रतिबंध लगा दिया।
राहुल और प्रियंका को दिया मौका
डीएम हाथरस गांव में जाकर पीडित परिवार को धमकाते दिखाई दिए। इसने राहुल और प्रियंका को हाथरस आने का मौका दे दिया लेकिन एक अक्टूबर को योगी सरकार ने अफसरशाही के इशारे पर जो हठधर्मिता दिखाई उसने पूरे देश में उसे दलित विरोधी और तानाशाही बना डाला। इसकी परिणाम शनिवार को आगरा में दिखाई दिया, जहां कई दशकों से भाजपा के साथ खडा वाल्मीकि समाज योगी सरकार के विरोध में सडक पर उतर आया और पुलिस पर पथराव कर डाला।
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राहुल के हाथरस जाने से योगी सरकार की हुई किरकिरी
योगी सरकार ने हाथरस कांड में वह सब कुछ किया जो उसे करना चाहिए लेकिन भद पिटने के बाद। गैंगरेप पीडिता की मृत्यु के बाद भी सरकार ने मामले को हल्के में ही लिया और अंतिम संस्कार करा डाला। जब राहुल-प्रियंका ने आंदोलन का ऐलान किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री से बात की तब सरकार ने एसआईटी जांच का ऐलान किया। शाम तक मुख्यमंत्री ने पीडिता के पिता से बात कर 25 लाख रुपये का मुआवजा, सरकारी नौकरी देने का वादा भी कर लिया।
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राहुल और प्रियंका को पहले हाथरस जाने से रोका गया, दूसरे दिन मीडिया को भी रोका गया और तीन अक्टूबर को सुबह मीडिया को जाने की छूट मिली तो शाम तक राहुल और प्रियंका भी अपनी टीम के साथ पहुंच गए। इसके साथ ही प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस की स्वीकार्यता की शुरुआत हो गई और भाजपा के वाल्मीकि किले की दीवार दरक गई।
अखिलेश तिवारी
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