बछरावां सीट से MLA राम नरेश रावतः एक भाषण से जगी लगन

विधायक राम नरेश रावत की राय है कि दल बदल अच्छी बात नहीं है, जिसको भी दल बदल करना हो उसे पहले अपने दल से और पद से इस्तीफा देना चाहिए। जिस दल से वह चुन कर आया है उससे विश्वासघात नहीं करना चाहिए।

Update:2020-08-19 15:46 IST

नरेंद्र सिंह

रायबरेलीः राम नरेश रावत जिले की बछरावां सीट से भाजपा विधायक हैं। 1979 में हाई स्कूल की परीक्षा पास की उसी समय पिता का टीबी की बीमारी से निधन हो गया। पिता के न रहने पर घर परिवार की देखभाल की। खेती संभाली। बैलों से खेत जोत कर खेती किया।

5 अगस्त 1980 को आजादी के दिन देशभक्ति का भाषण सुनकर यह लगन जागी और मन में विचार आया कि देश तो आजाद हो चुका है मैं अब और क्या कर सकता हूं। तो विचार आया की मेरे गांव में एक कच्चा रास्ता है, जिस पर हमेशा कीचड़ रहता है। आने जाने में दिक्कत होती है।

ऐसी लागी लगन

इसके तीन दिन बाद 18 अगस्त को युवा एकता समिति का गठन कर आसपास के गांव से पासी और कुर्मी बिरादरी के लोगों को जोड़कर कुछ नया करने के जज्बा के साथ हम सब जुटे और एक संकल्प गीत आओ सब मिलकर करें संकल्प नामक कविता की रचना की। हमने सबसे पहला कार्य उस कच्चे और कीचड़ भरे मार्ग को साफ करने का किया और उसको चलने योग्य बनाया।

मेरे गांव में मैं पहला छात्र था जो हाई स्कूल पास हुआ था। इसलिए मुझ पर जिम्मेदारी अधिक थी। मैंने गांव के सभी ड्रॉपआउट पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों को इकट्ठा किया उनको स्वयं पढ़ाया और हाई स्कूल की परीक्षा दिलवाई। जिसमें सब पास हुए।

मेरे गांव की आबादी लगभग 325 थी। गांव दौलतपुर परगना फतेहपुर जिला बाराबंकी में मैंने जन्म लिया सन 1982 में युवक मंगल दल से जुड़ा और इसी के माध्यम से काम शुरू किया। काम करते हुए ब्लॉक अध्यक्ष बना और पूरे ब्लॉक में श्रमदान करवाया।

नई दिशा नई ऊर्जा

जिसका प्रतिफल 1985 में चल वैजयंती पुरस्कार से मिला और फिर ऐसी लगन से काम करता गया। 1988 में प्रदेश स्तर का सम्मान मिला। यह सम्मान मेरे काम को एक नई दिशा और ऊर्जा दे रहे थे।

1989 में मेरे काम को काफी पहचान मिली और राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदेश में अब तक 28 लोगों को मिल चुका है और पूरे भारत में साढे 400 लोगों को मिला है।

1989 में इन सामाजिक कार्यों के साथ-साथ मेरी पढ़ाई भी चल रही थी मेरा एमए, एलएलबी पूरा हुआ तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त लोगों को रोजगार देने की बात कही और नेहरू युवा केंद्र में जिला समन्वयक के रूप में रोजगार दिया गया।

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मेरी योग्यता एमए, एलएलबी के अनुसार मुझे डिप्टी डायरेक्टर का पद दिया जा रहा था लेकिन मैंने नौकरी करना उचित नहीं समझा, क्योंकि मेरा लक्ष्य दो अभी और आगे काम काम करना और सेवा करना था। मुझे यूथ मॉडल बनाया गया और मैंने अपना काम जारी रखा।

राजनीतिक यात्रा

1989 में वीपी सिंह के आंदोलन से उनकी विचारधारा से प्रभावित होकर मैं जनमोर्चा से जुड़ा। उनके साथ काम करने का मौका मिला। 1991 में जनता दल और प्रदेश सचिव के पद के साथ या यात्रा जारी रही राजनीति के माध्यम से सेवा कार्य चलता रहा।

मेरे जीवन का अविस्मरणीय दिन 5 अगस्त 1995 था। जब राजनाथ सिंह स्वयं मेरे घर आए और मुझे भाजपा ज्वाइन करायी। पंचायत प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनाया। यहां से मेरी एक नई यात्रा शुरू हुई। मैंने निष्ठा पूर्वक पार्टी की सेवा की। जनता के कार्य किए।

2006 में पार्टी ने मुझ पर विश्वास करके एमएलसी बनाया। 2007 में पत्नी को एमएलए का चुनाव लड़ाया। 2009 से सिद्धौर से एमएलए का चुनाव लड़ा। 2012 का चुनाव लड़े और 2014 में स्वयं राजनाथ सिंह के पैरों को पकड़कर मना किया कि मैं अब चुनाव नहीं लड़ूगा क्योंकि तब लगता ही नहीं था कि बीजेपी जीतेगी।

लेकिन पार्टी कनिष्ठा वन सक्रिय कार्यकर्ता होने के नाते 2017 में पार्टी ने मुझे बाराबंकी के स्थान पर बछरावां से टिकट दिया गया और मुझे जनता का आशीर्वाद मिला।

चुनाव महंगे नहीं हुए

1947 आजादी के बाद पहला आम चुनाव 1952 में हुआ और तब से अब तक मुद्रा का बहुत कम मूल्य हुआ है मुझे नहीं लगता है, चुनाव महंगे हुए हैं।

अब कार्यकर्ता जागरूक हैं। उनकी सेवा करनी पड़ती है। भोजन पानी का ख्याल रखना पड़ता है। गाड़ी की भी व्यवस्था करनी पड़ती है। जनता जागरुक है। जनता को पता है कि क्या करना है। वह चीजों का मूल्यांकन करती है। अब तो साधन और संसाधन बढ़े हैं। जनता के लिए सरलता हुई है।

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बात चुनाव सुधार की करें तो प्रजातंत्र झेलने के लिए देश तैयार नहीं है। रोटी, कपड़ा और मकान यह मूलभूत आवश्यकताओं में ही आज आमजन उलझे हुए हैं।

मोदी जी का नारा है 80 करोड़ लोगों को भोजन देना है। 1916 में बीएचयू की स्थापना के समय एक उद्देश्य यह भी था कि सबको रोटी, कपड़ा और मकान मिले।

जीवन में सर्वाधिक खुशी का पल

मेरे जीवन में सर्वाधिक खुशी का अवसर 1989 में राष्ट्रीय पुरस्कार का मिलना। भारतीय जनता पार्टी द्वारा मुझे एमएलसी बनाया जाना। और बाराबंकी से आए हुए अपने बेटे को रायबरेली के लोगों ने 2017 में अपना सेवक चुना। यह तीनों मेरे जीवन में अविस्मरणीय हैं।

बछरावां की जनता का यह प्यार मुझ पर इतना बड़ा ऋण है, इसको चुकाने के लिए मैं क्षेत्र में इतना समय देता हूं, उतना तो उस क्षेत्र के पैदा होने वाले लोग भी नहीं दे पाते हैं।

मेरा खाली समय मैं अपने क्षेत्र के लोगों के लिए देता हूं। मैं स्वयं सहायता समूह बनवा कर उन के माध्यम से क्षेत्र के लोगों की सेवा करता हूं। राजनीति में सभी दलों में अच्छे और बुरे लोग हैं। इन्हीं अच्छे लोगों से पार्टी चलती है। कहा जाता है कि 51 मूर्ख मिलकर 49 बुद्धिमानों पर राज करते हैं। यह भी राजनीति का एक कड़वा राजनीतिक फार्मूला है।

सबका साथ सबका विकास

उपलब्धि की बात करें तो सबका साथ सबका विकास नरेंद्र मोदी जी का मूल मंत्र है। इसी मूल मंत्र के साथ हम लोग काम करते हैं। मैं अपने क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह बनाकर उसमें जिम्मेदार लोगों को जोड़कर काम कर रहा हूं।

सामुदायिक केंद्रों की स्थापना करवा रहा हूं। सभी जाति और धर्म के महापुरुषों के नाम सामुदायिक केंद्र का निर्माण हो रहा है। मैंने अपनी विधायक निधि से दस लाख रुपया देने का निश्चय किया है।

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महाराणा प्रताप, वीर पासी, सरदार पटेल, चंद्रगुप्त मौर्य सभी समाज के लोगों के लिए सामुदायिक केंद्रों का निर्माण कराया जा रहा है। समाज के लोग अपनी तरफ से चंदा इकट्ठा करके अपने महापुरुषों की मूर्ति स्थापित करवा सकते हैं। भवानीगढ़ शिवगढ़ में एक सामुदायिक केंद्र बनकर तैयार है, जिसमें भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापित की जाएगी।

नौकरशाही

ये हमारे काम में सहायक है और मित्रवत है। नौकरशाही हमारे किसी काम में रोड़ा नहीं अटकाती है। हम जायज काम ही कहते हैं। हमारे क्षेत्र की प्रमुख समस्या आवारा पशु हैं।

हमने इस बात को सदन में उठाया है। हम सरकार के अंग हैं। इसलिए काम रोको प्रस्ताव नहीं ला सकते। हमारा काम सरकार को समस्याओं से अवगत कराना है। इसके अलावा प्रमुख समस्या बेरोजगारी है।

मूल कारण यहां की ऊसर और बंजर जमीन है। अभी लॉकडाउन में लोग अपने कार्य क्षेत्र से अपने घर की ओर लौटे हैं। हम प्रत्येक घर से 1 लोगों को रोजगार दिलाने के लिए प्रयासरत हैं।

इसके लिए हमने संबंधित मंत्री और मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की है। हमने अपने प्रयास से प्रत्येक राजस्व ग्राम में महिलाओं के लिए एक स्वयं सहायता समूह बनाकर रोजगार दिलाने का काम किया है।

दल बदल कानून

मेरी राय है कि दल बदल अच्छी बात नहीं है, जिसको भी दल बदल करना हो उसे पहले अपने दल से और पद से इस्तीफा देना चाहिए। जिस दल से वह चुन कर आया है उससे विश्वासघात नहीं करना चाहिए।

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उत्तर प्रदेश सरकार की योजना है प्रत्येक गांव में 5 स्वयं सहायता समूह का गठन हो और उससे लोगों को जोड़कर उन्हें रोजगार दिया जाए। इसमें बैंक सखी का एक पद है। मनरेगा मेट का एक पद है और सभी सदस्यों को लाभ पहुंचाने की योजना है। नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का यह सपना है कि प्रत्येक गांव में रोजगार पहुंचे।

इसके अतिरिक्त मैंने अपने प्रयास से 20 लोगों का एक स्वयं सहायता समूह बनवाया है. जिसमें ढाई हज़ार रुपए जमा होते हैं और अब तक 13 महीनों में साढ़े छह लाख जमा हो चुका है। यह योजना रोजगार और विकास का भी आधार स्तंभ है।

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