आजम खां मामले में रामपुर के एसपी की विदाई, जानिए पूरा मामला

सांसद आजम खां से जुड़े मामलों में ढिलाई बरतना रामपुर के एसपी संतोष कुमार मिश्रा को भारी पड़ गया। उनके इस रवैये को लेकर कोर्ट ने भी कई बार पुलिस पर टिप्पणी कर दी थी। एडीजीसी ने तो प्रशासन को पत्र लिख दिया कि पुलिस द्वारा रिपोर्ट नहीं कराए जाने से आठ मामलों में सांसद आजम खां को कोर्ट से जमानत मिल गई।

Update:2020-03-02 12:53 IST

लखनऊ: सांसद आजम खां से जुड़े मामलों में ढिलाई बरतना रामपुर के एसपी संतोष कुमार मिश्रा को भारी पड़ गया। उनके इस रवैये को लेकर कोर्ट ने भी कई बार पुलिस पर टिप्पणी कर दी थी। एडीजीसी ने तो प्रशासन को पत्र लिख दिया कि पुलिस द्वारा रिपोर्ट नहीं कराए जाने से आठ मामलों में सांसद आजम खां को कोर्ट से जमानत मिल गई। एक-एक करके कई मामलों में इसकी रिपोर्ट कई ओर से शासन को भेजी गई थी। जिस पर उनके यहां तबादला कर दिए जाने का फैसला लिया गया।

जनवरी माह में डॉ. अजयपाल शर्मा रामपुर के एसपी थे। डॉ. अजयपाल के कार्यकाल में सांसद आजम खां के खिलाफ रिक़ॉर्ड मुकदमे हुए। जनवरी माह में आईपीएस लॉबी में विवाद उपजने और कुछ आईपीएस अधिकारियों पर आरोप लगने के बाद अजयपाल का रामपुर से तबादला कर दिया था। उनकी जगह पर इटावा से संतोष कुमार मिश्रा को रामपुर भेजा गया था।

 

 

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मिश्रा ने 11 जनवरी 2020 को रामपुर में कार्यभार ग्रहण किया था। मिश्रा के कार्यभार ग्रहण करने के बाद सांसद आजम खां और उनके समर्थकों के खिलाफ जो ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही थी उस पर रोक लग गई। कोर्ट के आदेश के बाद भी पुलिस आजम खां से संबंधित मामलों में कार्रवाई करने से गुरेज करने लगी। एक मामले में धारा-82 के तहत कुर्की का नोटिस जारी होने के बाद पुलिस ने मुनादी नहीं कराई। इस पर कोर्ट ने मुनादी कराने और कुर्की के नोटिस लगाने के आदेश दिए थे।

इसी तरह से अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दर्ज एक मुकदमे में सिविल लाइंस कोतवाली की पुलिस चार्जशीट दाखिल करने गई तो कोर्ट ने चार्जशीट लेने के इंकार कर दिया। कोर्ट ने लिखित में आदेश में आदेश जारी कर दिया पहले आरोपी को हाजिर कीजिए।

 

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आजम खां और अब्दुल्ला आजम के खिलाफ गैर जमानतीय वारंट जारी होने के बाद पुलिस का रवैया उनके प्रति नरम बना रहा। पुलिस ने कोर्ट में जरूर यह कहा कि दबिश दी गई थी, लेकिन आरोपी हाथ नहीं आए। पुलिस के लचर रवैये को लेकर तो सहायक शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी) राम औतार सैनी ने डीएम-एसपी को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि पुलिस द्वारा रिपोर्ट नहीं दिए जाने की वजह से आठ मामलों में सांसद आजम खां को जमानत मिल गई।

इस मामले की भी लीपापोती करने की कोशिश की गई। तर्क दिया कि जमानतीय धाराएं होने की वजह से सांसद को जमानत मिली है, इसमें पुलिस का कोई दोष नहीं है। पुलिस के लचर रुख को लेकर तमाम शिकायतें शासन को की गई थीं। इसके अलावा मंडल स्तर के अधिकारियों की ओर से इन मामलों में शासन को रिपोर्ट भेजी गई थी।

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