रॉयल लाइफ का लेना है मजा तो सिर्फ मिलेगा यहां, एक बार आए जरूर

विंटर सीजन में घूमने का मजा ही कुछ और होता है।  खासकर इस सीजन में हॉलिडे पर जाना चाहते है तो राजस्थान सबसे अच्छा विकल्प है। क्यों कि यहां की संस्कृति और छंटा आपको बरबस अपनी ओर खींचने को तैयार रहती है।

Update: 2020-01-07 02:59 GMT

रणथंभौर: विंटर सीजन में घूमने का मजा ही कुछ और होता है। खासकर इस सीजन में हॉलिडे पर जाना चाहते है तो राजस्थान सबसे अच्छा विकल्प है। क्यों कि यहां की संस्कृति और छंटा आपको बरबस अपनी ओर खींचने को तैयार रहती है। अगर इतिहास में दिलचस्पी है तो यह तो और भी बढ़िया है। वैसे तो पूरा राजस्थान देखने लायक है। लेकिन यहां के रणथंभौर किला की बात करें तो फिर तो खुद को रोक पाने मुश्किल होगा।यह राजस्थान का एक बहुत ही शानदार किला है जो राज्य के रणथंभौर जिले में स्थित है और चौहान शाही परिवार से संबंध रखता है।

 

बीहड़ वन और दुर्ग घाटियों के मध्य अवस्थित यह दुर्ग विशिष्ट स्थिति और सुदृढ़ संरचना के कारण अजेय माना जाता था। यह राजस्थान में उन लोगों के लिए परफेक्ट स्थल है जो रॉयल जीवन को देखने की लालसा रखते हैं। रणथम्भौर दुर्ग एक ऊंचे गिरि शिखर पर बना है और उसकी स्थिति कुछ ऐसी विलक्षण है । आज आपको बताते है राजस्थान के रणथंभौर के बारे में.....

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इतिहास

इसे सन 944 ई. में बनाया गया था। यह पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जो आसपास के मैदानों के ऊपर 700 फुट की ऊंचाई पर है। किला विंध्य पठार और अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित है, जो 7 किमी भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है। किला में विभिन्न हिंदू और जैन मंदिर के साथ एक मस्जिद भी है। पृथ्वीराज चौहान तृतीय को हरा 1192 ईस्वी में इस किले पर मुस्लिम शासक मुहम्मद ने कब्जा कर लिया । इसके बाद 1226 ईस्वी में किले पर दिल्ली शासक इल्तुतमिश ने कब्जा कर लिया था। हालांकि चौहानों ने 1236 में फिर से किले पर कब्जा कर लिया। 1259 में बलबन ने कई असफल प्रयासों के बाद जैतसिंह चौहान से किले पर कब्जा कर लिया। फिर 1283 में जैतसिंह चौहान के उत्तराधिकारी शक्ति देव ने किले को जीत लिया और इसके बाद राज्य का विस्तार भी हुआ। 1301 में किले को अला उद्दीन खिलजी ने कब्जा कर लिया था। इस ऐतिहासिक इमारत 1528 के दौरान मुगलों के पास थी बाद में 17 वीं शताब्दी में मुगलों ने जयपुर के महाराजा को यह किला उपहार में दिया।

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रणथंभौर का किले की खासियत है कि यह एक 84 स्तंभों वाला एक बड़ा हॉल भी है जिसकी ऊंचाई 61 मीटर है। इस हाल को बदल महल के रूप में जाना जाता है और इसका उपयोग सम्मेलनों और बैठकों के लिए किया जाता था।

किला के पास अंदर गणेश मंदिर भी है यहां आने वाले भक्तों और पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है। मान्यता के अनुसार अगर कोई अपनी इच्छाओं को लेकर भगवान गणेश को पत्र लिखकर भेजता है तो उसकी इच्छाएं जरुर पूरी होती हैं।

 

रणथंभौर अपने किले और वन्यजीवों के लिए एक बढ़िया पर्यटन स्थल है लेकिन यहां कोई खास भोजन नहीं मिलता, क्योंकि रणथंभौर में कोई महत्वपूर्ण संस्कृति या अद्वितीय व्यंजन नहीं हैं, लेकिन आपको यहां खाने के कई रिसॉर्ट्स उपलब्ध हैं। इसके अलावा यहां के कई स्थानीय ढाबों में भी राजस्थानी और पंजाबी व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं। आवासीय और प्रवासी पक्षियों की एक बड़ी विविधता यहां देखी जा सकता है, क्योंकि किले के आसपास कई जल निकायों उपस्थित हैं। इस किले से पर्यटकों रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के एक शानदार दृश्य का आनंद ले सकते हैं।

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रणथंभौर किले की यात्रा करने का प्लान हैं तो यहां की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय नवंबर और फरवरी के बीच है, क्योंकि इस दौरान राजस्थान में सर्दियों का मौसम होता है। किले में घूमने का सबसे अच्छा समय दिन में सुबह के समय और शाम के समय रहता है क्योंकि इस समय यहां तापमान काफी कम होता है।

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