पदोन्नति में आरक्षण के लिए दलित कर्मचारी लामबंद, दलित सांसदों से गुहार

आरक्षण समर्थक कर्मचारियों व अधिकारियों की संस्था उप्र. आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने सोमवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-समय पर पारित आदेशों के बाद भी पूरे देश में दलित कार्मिकों के लिये पदोन्नति में आरक्षण की स्थिति बाध्यकारी न होने के कारण राज्यों द्वारा उसे लागू नहीं किया जा रहा है।

Update: 2020-02-10 13:23 GMT

लखनऊ। यूपी के दलित कर्मचारियों ने एलान किया है कि जब तक संसद से पदोन्नति में आरक्षण बिल पारित नहीं होता है तब तक पूरे प्रदेश में ‘‘दलित सांसद चुप्पी तोड़ो, आरक्षण से नाता जोड़ों‘‘ का अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान के तहत सुरक्षित सीट से जीते सभी सांसदों से लोकसभा में आरक्षण के समर्थन में पक्ष रखने की मांग की गई है।

फैसलों से लाखों दलित कार्मिकों में उबाल

आरक्षण समर्थक कर्मचारियों व अधिकारियों की संस्था उप्र. आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने सोमवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-समय पर पारित आदेशों के बाद भी पूरे देश में दलित कार्मिकों के लिये पदोन्नति में आरक्षण की स्थिति बाध्यकारी न होने के कारण राज्यों द्वारा उसे लागू नहीं किया जा रहा है। इससे पूरे देश के लाखों दलित कार्मिकों में उबाल सा आ गया है। प्रदेश के आरक्षण समर्थक अब पूरी तरीके से जब तक लोकसभा से लम्बित पदोन्नति में आरक्षण बिल पास नहीं हो जाता चुप बैठने वाले नहीं हैं।

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संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने की मांग

संघर्ष समिति का केन्द्रीय संयोजक मण्डल पिछले दो दिनों से सभी दलों के आरक्षण समर्थक सांसदों से सम्पर्क बनाये हुए हैं और उनसे लोकसभा से बिल पास कराकर उसे संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने की मांग उठा रहे हैं। समिति का कहना है कि आरक्षित सीट से जीतकर आने वाले सभी लगभग 131 सांसदों व पिछड़े वर्ग के सैकड़ों आरक्षण समर्थक सांसदों को आरक्षण पर अपनी बात मुखर करनी होगी, अन्यथा उनका समाज उन्हें माफ नहीं करेगा।

संघर्ष समिति के संयोजकों अवधेश कुमार वर्मा तथा केबी राम, ने कहा कि प्रदेश के सभी आठ लाख आरक्षण समर्थक कार्मिकों को यह निर्देश भेज दिये गये हैं कि वह लखनऊ में विशाल पैदल मार्च के लिये तैयार रहें। कभी भी केन्द्रीय कार्यसमिति द्वारा आन्दोलन की घोषणा कर दी जायेगी।

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संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिये एकजुट होकर आगे आयें

संघर्ष समिति संयोजको ने कहा कि सोमवार को लोकसभा में आरक्षण के मुद्दे पर जिन सांसदों ने आवाज बुलन्द की, वह निश्चित ही सराहनीय है लेकिन उन सभी अन्य सांसदों से भी संघर्ष समिति मांग करती है कि वह बाबा साहब द्वारा बनायी संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिये एकजुट होकर आगे आयें, अन्यथा की स्थिति में उन्हें समाज को जवाब देना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि संघर्ष समिति की एक टीम दिल्ली रवाना हो गई है, जो सांसदों को आरक्षण व पदोन्नति बिल सम्बन्धी अपनी सभी मांगों को उनके समक्ष पेश करेगी।

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