अधिवक्ताओं की हत्याओं और तीस हजारी कोर्ट में हमले का विरोध....

दिल्ली स्थित तीस हजारी कोर्ट में अधिवक्ताओं पर पुलिस द्वारा किए गए जानलेवा हमले के विरोध में बार कौंसिल आॅफ उत्तर प्रदेश के आहवान पर शुक्रवार को हाईकोर्ट, कैट आदि के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे।

Update:2019-11-08 23:07 IST
तीस हजारी कोर्ट: दिल्ली में अधिवक्ताओं पर हमले का विरोध

प्रयागराज। दिल्ली स्थित तीस हजारी कोर्ट में अधिवक्ताओं पर पुलिस द्वारा किए गए जानलेवा हमले के विरोध में बार कौंसिल आॅफ उत्तर प्रदेश के आहवान पर शुक्रवार को हाईकोर्ट, कैट आदि के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे।

इससे पूर्व अधिवक्ताओं ने 04 नवम्बर को भी कार्य बहिष्कार किया था। पुलिस द्वारा की गई हिंसक कार्रवाई को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने आज न्यायिक कार्य नहीं किया। वकीलों के कार्य बहिष्कार के चलते हाईकोर्ट में न्यायिक कार्य पूरी तरह से प्रभावित रहा। अदालतें सुबह न्याय कक्ष में बैठी तो, लेकिन वकीलों के कार्य बहिष्कार की वजह से जजों को उठकर चेम्बरांे में जाना पड़ा।

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शासन और पुलिस प्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद की

शुक्रवार को बार कौंसिल के अध्यक्ष हरिशंकर सिंह की अगुवाई में सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ता जुलूस की शक्ल में गेट नम्बर 03 पर पहुंचे। जहां पर अधिवक्ताओं ने शासन और पुलिस प्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद की और सरकार विरोधी नारे लगाए।

गेट पर इकट्ठा होकर अधिवक्ताओं ने पुलिस को जिम्मेदार ठहराते हुए घटना की निन्दा की। लगातार अधिवक्ताओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाते हुए अधिवक्ताओं ने पुलिस प्रशासन की निन्दा की। इस दौरान शासन के समक्ष बार कौंसिल द्वारा प्रस्तावित सात सूत्रीय मांगपत्र का सभी ने समर्थन किया।

शासन को भेजे गए पत्र में मांग की गयी है कि तीस हजारी कोर्ट नई दिल्ली में पुलिस अधिकारियों द्वारा की गयी फायरिंग से जो अधिवक्ता घायल हुए हैं, उन्हें 10 लाख का मुआवजा दिया जाए तथा दोषी कर्मियों के खिलाफ जांच कर उन्हें दंडित किया जाये।

प्रदेश में जिन अधिवक्ताओं की हत्याएं हुई हैं, उनके हत्यारों को गिरफ्तार किए जाए और उनके परिवार को 20 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। उत्तर प्रदेश अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति से मृतक अधिवक्ताओं के वर्षों से लंबित दावों का निस्तारण कराया जाए और नए अधिवक्ताओं को प्रोत्साहन भत्ता दिया जाना प्रारंभ किया जाए।

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न्यायालय परिसर में असलहा लेकर प्रवेश न करे

अधिवक्ता भविष्य निधि की धनराशि को तत्काल प्रभाव से 1.25 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया जाए। कोई भी पुलिस अधिकारी या सिपाही न्यायालय परिसर में असलहा लेकर प्रवेश न करे। अधिवक्ताओं की जान माल की सुरक्षा के लिए न्यायिक सुरक्षा बल का गठन किया जाए और जल्द से जल्द अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम पारित किया जाए।

इस मौके पर अध्यक्ष राकेश पाण्डे, महासचिव जे बी सिंह, पूर्व अध्यक्ष आई के चतुर्वेदी, पूर्व अध्यक्ष अमरेन्द्र नाथ सिंह, पूर्व महासचिव अशोक कुमार सिंह, प्रभाशंकर मिश्रा, के के द्विवेदी, एसी तिवारी, अजय मिश्रा, मनीष द्विवेदी, प्रशांत सिंह रिन्कू, अविनाश कुमार वर्मा, एस पी शुक्ला, श्रवण कुमार पाण्डेय, शोभनाथ पाण्डेय, ओम आनन्द, अजय द्विवेदी, मुकुल पाण्डेय, ए के ओझा, संजय सिंह, अभिषेक शुक्ला, अखिलेश कुमार मिश्रा ‘गांधी’, वीरेन्द्र नाथ उपाध्याय, श्रीकांत केशरवानी, अजीत कुमार यादव, सौरभ तिवारी, विजय सिंह सेंगर, प्रियदर्शी त्रिपाठी, आशुतोष पाण्डेय, सर्वेश कुमार दुबे, नीलम शुक्ला, सुरेन्द्र नाथ मिश्र, आंचल ओझा, शिवांगी भार्गव, अजय कुमार मिश्र, मनीष पाण्डेय, आशुतोष कुमार मिश्रा, बरूण कुमार शुक्ला, अम्बुज कुमार शुक्ला, संतोष कुमार मिश्रा, इन्दु शेखर त्रिपाठी, विनोद कुमार यादव, अभिषेक कुमार सरोज, अशोक कुमार मिश्रा, उर्मिला त्रिपाठी, कपिल देव यादव, अजय कुमार पाठक आदि रहे।

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