अखिलेश-शिवपाल समझौता! मतदाताओं को एक और धर्मयुद्ध लड़ना होगा

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव के बीच लड़ाई अंतिम दौर पर पहुंच गई है। लोकसभा चुनाव के बाद अटकले लगाई जा रही थी कि चाचा भतीजे मिलकर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे लेकिन इस पर अब विराम लग गया है। समाजवादी पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष के यहां याचिका दायर कर शिवपाल सिंह की सदस्यता रद्द करने की मांग की है।

Update:2023-04-22 02:18 IST

कानपुर: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव के बीच लड़ाई अंतिम दौर पर पहुंच गई है। लोकसभा चुनाव के बाद अटकले लगाई जा रही थी कि चाचा भतीजे मिलकर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे लेकिन इस पर अब विराम लग गया है। समाजवादी पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष के यहां याचिका दायर कर शिवपाल सिंह की सदस्यता रद्द करने की मांग की है। प्रसपा से प्रदेश सचिव आशीष चौबे ने कहा कि जसवंतनगर विधानसभा के मतदाताओं को एक और धर्मयुद्ध लड़ने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।

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काफी समय से चल रही लड़ाई

चाचा भतीजे के बीच खांई इतनी गहरी हो चुकी है कि इसकी भरपाई करना सपा संरक्षक मुलायम सिंह के बस की बात नहीं रही है। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह के कुनबे में शुरू हुआ परिवारिक विवाद इतना बढ़ा कि चाचा भतीजे अलग हो गए। इसका खामियाजा सपा को सत्ता गंवा कर भुगतना पड़ा।

2017 के विधानसभा चुनाव में शिवपाल सिंह यादव सपा की टिकट से जसवंतनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीत गए थे। अभी भी वो समाजवादी पार्टी से विधायक है। ढाई साल बाद सपा ने इस पर एतराज जताया है। शिवपाल सिंह यादव की सदस्यता विधानसभा से रद्द करने के लिए याचिका दायर की गई है।

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समझौते की आस को खत्म कर दिया

प्रसपा के प्रदेश सचिव और शिवपाल सिंह यादव फैंस एसोसिऐशन के प्रदेश अध्यक्ष आशीष चौबे के मुताबिक समाजवादी पार्टी ने भविष्य के समझौते की आस को खत्म कर दिया है। शिवपाल सिंह यादव बहुत ही सौम्य हदय वाले नेता है। परिवार के खिलाफ उन्होने किसी भी काम की पहल नहीं की है।

परिवार को देखते हुए उन्होने लोकसभा चुनाव में परिवार के किसी भी सदस्य के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारे। चाहे अखिलेश यादव हो , डिंपल यादव हो , धर्मेंद्र यादव हो या फिर स्वंम नेता ही हो। सपा का इतना पतन हो चुका है और कदम के बार ईश्वर जाने क्या होने वाला है।

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जसवंतनगर विधानसभा की जनता शिवपाल सिंह यादव के साथ में है। सपा के इस फैसले से जसवंतनगर की जनता में आक्रोश है। वहां की अवाम ने खुला एलान किया है कि शिवपाल सिंह यादव ही हमारे नेता होगें। जसवंतनगर विधानसभा के मतदाताओं को एक और धर्मयुद्ध लड़ने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।

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