यूनिवर्सिटी में UGC की इस परियोजना का दूसरा माॅड्यूल संपन्न
परियोजना के समन्वयक प्रो.एम.एम. सिंह ने जानकारी दी कि द्वितीय मॉड्यूल के अन्तर्गत प्रतिभागियों को विभिन्न उपकरणों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाना था
झाँसी: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के स्ट्राइड (स्कीम फॉर ट्रांसडिसिप्लिनरी रिसर्च फॉर इंडिआस डेवलपिंग इकोनॉमी) कॉम्पोनेन्ट एक के अंतर्गत बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को प्राप्त परियोजना के द्वितीय मॉड्यूल सम्पन्न हो गया है।
संपन्न हुआ परियोजना का द्वितीय मॉड्यूल
परियोजना के समन्वयक प्रो.एम.एम. सिंह ने जानकारी दी कि द्वितीय मॉड्यूल के अन्तर्गत प्रतिभागियों को विभिन्न उपकरणों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाना था, परन्तु कोविड-19 के कारण उत्पन्नद परिस्थितियोके कारण यह सम्भव नही हो पाया। जिसके कारण ऑनलाइन वर्चुअल प्रशिक्षण 12 मई 2020 से प्रारम्भ होकर दिनांक 6 जून 2020 को संपन्न हो गया। उन्होंने बताया कि परिस्थितियां सामान्य होने पर सभी प्रतिभागियों को भौतिक रूप से प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस दौरान प्रतिभागियों को 4 बाह्य एवं 9 आतंरिक विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न शोध उपकरणों जैसे गैस क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमीटर, रियल टाइम पीसीआर, एक्स-रे डिफ्रेक्टोमीटर, लायोफिलाइजर, अल्ट्रासॉनिकेटर, सेल कल्चर तकनीक, जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस, फिजिकल क्वांटिटी मेजरमेंट सिस्टम, स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप आदि के सैद्धान्तिक कार्य करने के तरीके और उपयोगों पर 45 घंटे से अधिक के व्याख्यान कराये गए,
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जिसमे रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरविन्द कुमार का कृषि एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे. वी. वैशम्पायन का ज्ञान के सिद्धांत पर दिए गए व्याख्यान भी सम्मिलित हैं। प्रो.एम.एम सिंह ने कहा कि द्वितीय मॉड्यूल के समाप्ति पर मॉड्यूल-3 10 जून 2020 से कर दिया गया जिसके अंतर्गत प्रतिभागियों द्वारा उनके शोध पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में 10 से 12 जून तक समिति के समक्ष अपने प्रोजेक्ट्स की ऑनलाइन प्रस्तुति की गयी। उल्लेखनीय है कि स्ट्राईड परियोजना के मॉड्यूल-1 में शोध की योजना बनाने से लेकर उसे परफॉर्म किये जाने, प्रयोगशाला में सुरक्षा उपायों एवं उत्तम क्वालिटी के थीसिस एवं पेपर राइटिंग के गुण सीखाने तथा मॉड्यूल 2 में मशीनों पर वर्चुअल प्रशिक्षण दिया गया।
मॉड्यूल-3, मे प्रत्येक प्रतिभागीं से प्रोजेक्ट करवाकर शोध प्रशिक्षण दिया जाना है
प्रथम एवं द्वितीय मॉड्यूल के अंतर्गत 43 विशेषज्ञों की मदद से 130 घंटे से अधिक के व्याख्यान कराये जा चुके हैं। विद्यार्थियों में शोध के प्रति रूचि पैदा करने, प्रशिक्षित कर उन्हें सक्षम बनाने एवं सामाजिक सरोकारों तथा राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर शोध हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रारम्भ किये गए इस परियोजना के प्रथम बैच में विश्वविद्यालय परिसर के विभिन्न परास्नातक पाठ्यक्रमों के 35 विद्यार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। मानव संसाधन एवं कौशल विकास के उद्देश्य के साथ शुरू किये गए इस त्रिवर्षीय परियोजना में लगभग 200 शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों को चार चरणों में प्रशिक्षण के माध्यम से, उत्तम शोध कार्य हेतु सक्षम बनाने की योजना है।
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प्रो. सिंह ने बताया कि मॉड्यूल-3, मे प्रत्येक प्रतिभागीं से प्रोजेक्ट करवाकर शोध प्रशिक्षण दिया जाना है। सभी प्रतिभागियों को सामाजिक सरोकार के विषयों पर प्रोजेक्ट्स दिए गए हैं जो की विद्यार्थी अपने विभाग के शिक्षकों के निर्देशन में अगस्त माह तक पूर्ण कर लघु शोध प्रबन्ध जमा करेंगे जिनका प्रस्तुतिकरण सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में कराया जाना प्रस्तावित है। प्रोजेक्ट कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जुलाई माह में प्रोग्रेस रिव्यु प्रेसेंटेशन्स कराये जायेंगें, उक्त प्रोजेक्ट कार्य पूर्ण करने हेतु प्रतिभागियों को केमिकल्स एवं सैंपल एनालिसिस आदि के लिए स्ट्राइड प्रोजेक्ट से 9000 रुपये प्रति प्रतिभागी की सहायता दी जाएगी।
रिपोर्ट- बी.के. कुशवाहा