मेरठ: अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने हिंदू धर्म को खतरे में बताते हुए मेरठ में शरिया कोर्ट की तर्ज पर भारत की पहली ‘हिंदू अदालत’ स्थापित करते हुए पहली न्यायाधीश एक महिला को नामित करने का एलान किया गया है। 15 नवंबर को नाथूराम गोडसे के फांसी के दिन अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, फिरोजाबाद और शिकोहाबाद में हिंदू अदालत की स्थापना कर दी जाएगी। जल्द 15 अदालतें स्थापित करने का लक्ष्य है।
मेरठ में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक शर्मा ने हिंदू अदालत की स्थापना की जानकारी दी। अलीगढ़ निवासी डॉक्टर पूजा शकुन पांडे को हिंदू अदालत की पहली हिंदू जज भी घोषित कर दिया गया है। पूजा शकुन पांडे 2 अक्टूबर को इस अदालत का बायलॉज भी पेश कर देंगी।
हिंदू महासभा का कहना है कि हिंदू अदालत का लाभ परेशान लोगों को मिलेगा। जमीन, मकान, दुकान, विवाह, पारिवारिक विवाद आदि मामले आपसी सहमति से सुलझाए जाएंगे। अशोक शर्मा का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की तरफ से की गई उपेक्षा की वजह से भी अदालत गठित करनी पड़ी है। महासभा ने कहा कि पीएम और सीएम को पत्र लिखकर कहा गया था कि भारत में एक ही संविधान माना जा सकता है। देश में खुली और खुलने वाली शरई अदालतों को तत्काल बंद कराया जाए नहीं तो हिंदू महासभा हिंदू अदालत 15 अगस्त को खोल देगी। महासभा का कहना है कि पत्र का जवाब नहीं आने पर अब अदालत की स्थापना का ऐलान कर दिया गया।
हिंदू अदालत की पहली न्यायाधीश के नाम पर नामित डॉक्टर पूजा शकुन पांडे का कहना है कि उन्हें यह पद हासिल होने पर गर्व है। उन्होंने बताया कि उन्होंने हिंदुओं की राजनीति की है और वह पीएचडी भी हैं। शकुन ने कहा कि वह कानून जानती हैं और इस अदालत में हर जरूरतमंद को इंसाफ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी अदालत को उसी तरह किसी की मान्यता की जरूरत नहीं है जिस तरीके से बिना मान्यता के खुद के कानून पर शरिया अदालतें चल रही हैं।