शिवपाल की अगुवाई में भविष्य की इबारत गढ़ रहे ये संकेत
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (प्रसपा) के नाम से जब नए सियासी दल का गठन किया तो समाजवादियों के बीच सबसे बड़ा सवाल कौंधने लगा कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव का साथ देंगे या भाई शिवपाल यादव का। संकेतों में अब उसका जवाब भी मिलने लगा है।
लखनऊ: सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (प्रसपा) के नाम से जब नए सियासी दल का गठन किया तो समाजवादियों के बीच सबसे बड़ा सवाल कौंधने लगा कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव का साथ देंगे या भाई शिवपाल यादव का। संकेतों में अब उसका जवाब भी मिलने लगा है।
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प्रसपा की 9 दिसम्बर को राजधानी के रमाबाई अम्बेडकर मैदान में प्रस्तावित जन आक्रोश रैली की तैयारियों को लेकर राजधानी में जगह-जगह लगे पोस्टर और बैनर मानों उस सवाल का जवाब बन गए हो। जिन पर प्रसपा के उत्साही कथन दर्ज हैं—करोड़ों चाहने वालों का मेला है कौन कहता है शिवपाल अकेला है...। बैकग्राउंड में शिवपाल यादव की जीवंत तस्वीर कुछ यहीं बयां कर रही है। जुबान से अलग यह अभिव्यक्ति भविष्य की इबारत गढती दिख रही है। होर्डिंग से मुलायम की तस्वीर गायब है।
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दरअसल, शिवपाल यादव जनाक्रोश रैली के जरिए निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की तरह अपनी सियासी ताकत दिखाएंगे। रैली में 5 लाख भीड़ जुटाने का किया दावा किया जा रहा है। राजधानी से सटे जिलों से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जुटाने की कोशिश हो रही है। पार्टी समर्थकों का कहना है कि सभी जिलों में पार्टी संगठन पूरी तरह बनकर तैयार हो चुका है। रैली के सफल बनाने के लिए पार्टी नेता और कार्यकर्ता जुटे हुए हैं। वरिष्ठ नेता जिलों का दौरा कर समर्थकों में उत्साह भरने में लगे हैं। रैली में शिवपाल अपनी पार्टी के एजेंडे का खुलासा कर सकते हैं। पार्टी नेताओं का कहना है यह रैली आम जनता की आवाज बनेगी। इसीलिए इस रैली का नाम जनाक्रोश रैली दिया गया है।