Shravasti News: जायरीन से गुलजार हुई दिकौली बड़े पुरूष दरगाह परिसर
Shravasti News: कहा जाता हैं कि 11वीं सदी में गजनी से सैयद सलार मसूद गाजी अपने सैनिकों के साथ यहां आए थे। इनके बड़े पिता (ताऊ)हजरत अमीर नसरुल्ला की यहीं शहादत हुई थी। तभी से इस मजार को बड़े पुरुष (बुढ़वा बाबा) के नाम से प्रसिद्ध है।
Shravasti News: बहराइच के दरगाह शरीफ में जेठ माह में एक माह तक चलने वाले मेले में सैय्यद सलार गाजी मसूद की दरगाह पर दस्तक देने से पूर्व जायरीनों का बड़ी संख्या में जथ्था जिले के दिकौली क्षेत्र अन्तर्गत बड़े पुरुष की मजार पर स्नान के बाद चादर चढ़ाकर जायरीन बहराइच दरगाह शरीफ रवाना हो रहे हैं। इसके साथ ही दिकौली व बहराइच में जेठ मेला प्रारंभ हो चुका है। ऐसी मान्यता है कि श्रावस्ती के बड़े पुरुष की मजार पर हाजिरी लगाए बगैर बहराइच के गाजी के दरबार में फरियाद पूरी नहीं होती है।
बता दें कि जिला मुख्यालय से तकरीबन 22 किमी की दूरी पर स्थित बड़े पुरुष के आश्ताने (मकबरे) पर भारी संख्या में हिंदू-मुस्लिम एक साथ जियारत करते हैं। बहराइच दरगाह शरीफ में लगने वाले मेले में आने वाले जायरीन पहले श्रावस्ती के दिकौली दरगाह पर माथा टेकते हैं। महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान, बाराबंकी, लखनऊ, आजमगढ़, देवरिया, गोरखपुर, बलरामपुर , गोंडा, फैज़ाबाद सहित नेपाल आदि से जायरीन की आमद होती है। कहा जाता हैं कि 11वीं सदी में गजनी से सैयद सलार मसूद गाजी अपने सैनिकों के साथ यहां आए थे। इनके बड़े पिता (ताऊ)हजरत अमीर नसरुल्ला की यहीं शहादत हुई थी। तभी से इस मजार को बड़े पुरुष (बुढ़वा बाबा) के नाम से प्रसिद्ध है। इनके आश्ताने पर अलग-अलग समुदाय के लोग एक साथ जियारत करते हैं। इनके आश्ताने पर चादर चढ़ाने के साथ, धूपबत्ती, कपूर, इत्र आदि से इबादत की जाती है। बता दें कि बहराइच से 15 किमी की दूरी तय करने के लिए जायरीन को रिक्शा, तांगा या अन्य वाहनों की सवारी करनी पड़ती है जिससे उन्हें अधिक वाहन शुल्क के साथ घंटों वाहनों की इंतजारी भी करनी पड़ती है।
उल्लेखनीय है कि बहराइच के सैय्यद सलार गाजी मसूद की दरगाह पर एक माह चलने वाले जेठ मेले की शुरुआत बीती रात दिकौली मेले से हुई। इस मेले में बड़ी संख्या में जायरीन प्रतापगढ़, प्रयागराज, बस्ती, जौनपुर, गाजीपुर, गोरखपुर सहित पूर्वांचल व बिहार राज्य के जिलों से पहुंच रहे हैं। जायरीनों ने स्नान का प्रर्याप्त साधन न होने के कारण प्रतिबंध के बावजूद दिकौली स्थित सरयू नहर में स्नान किया। इसके बाद बड़े पुरुष की मजार पर पहुंच कर अकीदत से चादर चढ़ाई। इसके बाद जेठ की तपती दोपहरी में बहराइच के सैय्यद सलार गाजी मसूद की दरगाह पर हाजिरी लगाने के लिए रवाना हो गए। श्रावस्ती प्रशासन ने जायरीन की भीड़ को देखते हुए दिकौली स्थित रैन बसेरे में खोया-पाया केंद्र बनाया है। वहीं मेले से एक किलोमीटर पहले टैक्सी स्टैंड के आगे वाहनों का प्रवेश वर्जित कर दिया है। जिससे किसी तरह की अवस्था न फैले और मेला परिसर में स्वास्थ्य शिविर भी लगाया है। जिससे कि किसी आपात स्थिति से निपटा जा सके। इसी के साथ आपात स्थिति से निपटने के लिए अग्निशमन व एंबुलेंस वाहन भी तैनात किए गए है।
मेला प्रबंधन ने बताया कि दिकौली में सफाई कर्मियों की ड्यूटी दो-दो शिफ्ट में लगाई गई है। पहली शिफ्ट सुबह तो दूसरी शिफ्ट में तैनात सफाई कर्मी शाम को मेला परिसर की सफाई कर रहे हैं। यहां लगे हैंडपंपों की मरम्मत कराने के साथ ही पानी के टैंकर भी लगाए गए हैं। जिससे जायरीनों को पेयजल की समस्या न हो। वही कुछ ग्रामीण कह रहे हैं कि सफाई कर्मचारी औपचारिकता करते हैं और सफाई के नाम पर फोटो खींच कर प्रशासन को दे देते हैं। इस कारण मेला परिसर के साथ अगल बगल गंदगी बनी हुई है। वही देखा गया है कि पूर्वांचल के जिलों से दिकौली आने वाले जायरीन पैसा बचाने के लालच में यात्री वाहनों के स्थान पर भार वाहनों को प्राथमिकता दे रहे हैं। और पिकअप व मैक्स आदि वाहनों पर मचान बना कर नीचे व ऊपर सवारी बैठा रहे है। जो किसी बड़ी घटना का कारण बन सकती है। इस संबंध में जिला का परिवाहन विभाग आंख मूंदे हुए हैं।
यह है प्रशासनिक व्यवस्था
जिले के थाना सोनवा में तैनात निरीक्षक राम नवल यादव को मेला प्रभारी बनाया गया हैं। मेला परिसर में सात बैरियर हैं। मेला सुरक्षा में चार महिला उपनिरीक्षक, 17 पुरुष व 25 महिला आरक्षी, 16 मुख्य आरक्षी, 55 आरक्षी तथा एक प्लाटून पीएसी व फायर टीम तैनात किए गए है। साथ ही स्वास्थ्य टीम में एक चिकित्सक, एक स्टॉफ नर्स, एक सीएचओ, एक एएनएम, एक एंबुलेंस को लगाया गया है। इसके अलावा ही ग्राम सचिव व ग्राम विकास अधिकारी संदीप नायक के नेतृत्व में 50-50 सफाईकर्मी की टीम लगाई गई है। मेला व्यवस्था के लिए नायब तहसीलदार विजय गुप्ता, क्षेत्रीय लेखपाल आशुतोष पांडेय व सुरेश खन्ना की तैनाती की गई है।