सोनभद्र नरसंहार: 42 साल बाद प्रियंका ने दोहराया इतिहास, दिलाई दादी की याद

असल में सोनभद्र नरसंहार बीती 17 जुलाई को जमीनी विवाद को लेकर चर्चा में हैं। सोनभद्र में जमीन विवाद के चलते फायरिंग हुई, जिसमें 10 लोगों की जान चली गई। तो इन्ही पीड़ितों का हाल पूछने प्रियंका सोनभद्र आईं थी।

Update: 2019-07-20 06:55 GMT
priyanka gandhi

लखनऊ : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा शुक्रवार (19 जुलाई, 2019) को उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिलें में जाने की जिद पर अड़ गईं। हालांकि, उन्हें वहां पहुंचने से पहले ही नारायणपुर इलाके में हिरासत में लिया गया। असल में सोनभद्र नरसंहार बीती 17 जुलाई को जमीनी विवाद को लेकर चर्चा में हैं। सोनभद्र में जमीन विवाद के चलते फायरिंग हुई, जिसमें 10 लोगों की जान चली गई। तो इन्ही पीड़ितों का हाल पूछने प्रियंका सोनभद्र आईं थी। लेकिन इन्हे मिलने पीड़ितों से मिलने नहीं दिया गया और हिरासत में भी ले लिया।

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सोनभद्र नरसंहार

प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस मामले में मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम पीछे नहीं हटेंगे। हम शांतिपूर्ण तरीके से केवल पीड़ित परिवारों से मिलने आये थे, मुझे नहीं पता, ये लोग मुझे कहां ले जा रहे हैं, क्यों रोक रहें हैं क्या मंशा हैं इन लोगों की। लेकिन मैं तो पीड़ितों से मिलकर ही जाऊंगी।“

बेलछी नरसंहार

प्रियंका गांधी को लोग इंदिरा गांधी की छवि तो बोलते ही हैं। लेकिन सोनभद्र के इस नरसंहार पर प्रियंका गांधी की प्रतिक्रिया सन् 1977 में इंदिरा गांधी के समय का बेलछी नरसंहार की साक्षात चित्रण हैं। दरअसल बेलछी नरसंहार का किस्सा बिहार से जुड़ा है। बेलछी नरसंहार में तब 11 दलित समाज के लोगों को कुर्मी समाज के लोगों ने आग के हवाले कर दिया था।

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42 साल पुरानी तस्वीर

जिससें इंदिरा गांधी बहुत आहत हुई थी। तभी इस हादसें का जायजा लेने इंदिरा गांधी हाथी पर सवार होकर बिहार पहुंची थी। जिस तरह प्रियंका गांधी सोनभद्र पीड़ितों के परिवार वालों का हाल पूछने पहुंची हैं। हालांकि उस समय बिहार जाने के लिए उनकी बहू सोनिया गांधी ने उन्हें मना किया, लेकिन इंदिरा नहीं मानी। इसके साथ पार्टी नेताओं ने भी जाने के लिए मना किया, बहुत बार समझाया भी लेकिन फिर भी वह पीड़ितों का हाल पूछने चल दी।

यह उस समय की बात है जब बेलछी जाने के लिए नदी पार करके जाना पड़ता था। जाने के लिए न नाव थी, न कोई साधन। साथ ही रात भी हो रही थी। लेकिन इंदिरा की हिम्मत और पीड़ितों के लिए हमदर्दी ने उन्हे राह दिखाई और वे साढ़े 3 घंटे का सफर तय करके पीड़ितों से मिलने पहुंच ही गयी थी।

इंदिरा की इस प्रतिक्रिया पर देश से लेकर विदेशों तक चर्चा हुई और उनकी हाथी पर बैठें हुए फोटो भी देश-विदेश की मीडिया में छाई रही।

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आज बिल्कुल वही दृश्य है और वही तस्वीर हैं जो 42 साल पहले हुआ था। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पदचिन्हों पर चलकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी नारायणपुर में धरने पर बैठी हैं। जहां से उनको बाद में चुनार गेस्ट हाउस ले जाकर नजरबंद कर दिया और सोनभद्र जाने की अनुमति नहीं दी। लोगों का कहना है कि प्रियंका अपनी दादी के ही नक्शे-कदम पर चल रही हैं।

 

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