Sonbhadra: 6000 से अधिक बिजली इंजीनियरों ने दिया सामूहिक अवकाश का आवेदन, 4 अप्रैल से तीन दिनी आंदोलन का ऐलान

इंजीनियर संघ के लोगों ने दावा किया कि मांगों पर तत्काल संजीदगी नहीं दिखाई गई दस हजार अभियंता और जूनियर इंजीनियर (Junior Engineer) सामूहिक अवकाश पर जाने के लिए बाध्य होंगे।

Published By :  Rakesh Mishra
Update: 2022-04-01 14:59 GMT

JE Demonstration in Sonbhadra 

Sonbhadra: ऊर्जा निगमों (Energy Corporation) में शीर्ष प्रबंधन स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में आंदोलनरत बिजली इंजीनियरों ने चार अप्रैल से तीन दिन के लिए सामूहिक अवकाश पर जाने का ऐलान किया है। जिले की अनपरा और ओबरा परियोजना गेट पर सभा तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन के जरिए शुक्रवार को जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने चार पांच और छह अप्रैल को सामूहिक अवकाश पर रहने का अल्टीमेटम दिया।

ऐसा न होने पाए, इसके लिए ऊर्जा मंत्री से प्रभावी हस्तक्षेप की अपील की गई। इंजीनियर संघ के लोगों ने दावा किया कि मांगों पर तत्काल संजीदगी नहीं दिखाई गई दस हजार अभियंता और जूनियर इंजीनियर (Junior Engineer) सामूहिक अवकाश पर जाने के लिए बाध्य होंगे। इसके लिए शुक्रवार को 6000 इंजीनियरों की तरफ से आवेदन भी सौंपे जाने का दावा किया गया। शेष की तरफ से कल आवेदन किए जाने की बात कही गई।

अनपरा परियोजना गेट पर विरोध प्रदर्शन के दौरान अभियंता संघ के क्षेत्रीय अध्यक्ष रोहित राय, अभिषेक बरनवाल, विनोद कुमार, मनोज यादव,अभिषेक त्रिपाठी, मृदुरंजन श्रीवास्तव, मनोज कुमार वर्मा, बनी सिंह, विनोद कुमार, अरविंद वर्मा, सचिन केसरवानी, जूनियर इंजीनियर संगठन के शाखा अध्यक्ष सचिन राज, सत्यम यादव, नित्यानंद सिंह, सत्यम, आशुतोष द्विवेदी, लालचंद कुशवाहा, राकेश सिंह, योगेश कुमार, अरविंद कुमार मेहता, राम गोविंद मौर्य, ज्ञानेंद्र पटेल आदि ने ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन पर दमनात्नक रवैया और शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार व्याप्त होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सामूहिक अवकाश पर जाने वाले अभियंताओं में मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियन्ता, सहायक अभियंता और अवर अभियंता सम्मिलित हैं।

6000 ने सामूहिक अवकाश के लिए आवेदन सौंप दिया है। शेष 4000 आवेदन कल यानी दो अप्रैल को प्रबंधन को सौंप दिये जाएंगे।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के लोगों ने ऊर्जा मंत्री से प्रभावी हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहि कि वह अभियन्ता संघ और जूनियर इंजीनियर संगठन के पदाधिकारियों से वार्ता कर न्याय दिलाने में मदद करें ताकि ऊर्जा क्षेत्र में व्याप्त औद्योगिक अशांति का वातावरण समाप्त हो सके। संयुक्त संघर्ष समिति के लोगों ने आरोप लगाया कि प्रबंधन ने स्वस्थ कार्यसंस्कृति को खत्म कर दिया है। मनमाने फैसले लिए जा रहे हैं। तकनीकी फैसले भी बिना अभियंताओं के सहमति अथवा सलाह के लिए जा रहे हैं, इससे विभाग को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

ईआरपी प्रणाली खरीद एवं बिजली क्रय करने में उच्च स्तर पर हो रहे कथित भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच की मांग उठाई गई। ऊर्जा निगमों में आवश्यक न्यूनतम मैन, मनी, मैटीरियल उपलब्धता सुनिश्चित न किए जाने को लेकर के असंतोष जताया गया।

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