रिहंद डैम का जलस्तर स्थिर, प्रभावित हो सकता है विद्युत उत्पादन
एशिया के विशालतम जलाशयों में एक रिहंद डैम के जलस्तर में अपेक्षित वृद्धि देखने को नहीं मिल सकी है।
Sonbhadra News: समय से पहले मानसून और जून माह में हुई अच्छी बारिश के बावजूद एशिया के विशालतम जलाशयों में एक रिहंद डैम (गोविंद बल्लभ पंत सागर) के जलस्तर में अपेक्षित वृद्धि देखने को नहीं मिल सकी है। इस डैम को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों के ऊर्जा जगत का आधार माना जाता है। शुक्रवार को यहां का अधिकतम जलस्तर 843.5 फीट रिकार्ड किया गया। यह जलस्तर इसी तिथि को पिछले वर्ष के मुकाबले 3.3 फीट कम है। इसके चलते इस बांध पर स्थापित जल विद्युत गृह से भी बिजली उत्पादन की स्थिति सामान्य बनी हुई है।
10608 लाख घनमीटर जल संग्रहण (870 फीट) की क्षमता रखने वाला रिहंद डैम, देश के सबसे बड़े बिजली घर एनटीपीसी विंध्याचल सहित दस तापीय बिजली परियोजनाओं, दो अल्मुनियम कारखाना, 12 कोल परियोजना, एक कार्बन फैक्ट्री, दो केमिकल इंडस्ट्री को पानी की जरूरत पड़ती है। पिपरी नगर पंचायत क्षेत्र तथा जल निगम की तरफ से अनपरा और कुलडोमरी में स्थापित पेयजल परियोजनाओं की आपूर्ति भी रिहान टाइम पर ही निर्भर है इसके अलावा साल में दो बार बिहार झारखंड से हुए समझौते के मुताबिक रेणु नदी के जरिए सोन नदी में पानी भी छोड़ना पड़ता है। यही कारण है कि इसके जल स्तर पर औद्योगिक क्षेत्र के साथ ही राज्य और केंद्र दोनों सरकारों की नजर बनी रहती है। पूरी क्षमता से लगातार जल विद्युत उत्पादन के लिए 860 फीट का जलस्तर बेहतर माना जाता है।
बारिश की शुरुआत होने के बावजूद जलस्तर पिछले साल से भी कम रहने के कारण अत्यधिक आवश्यकता के समय ही यहां की पनबिजली इकाइयों से उत्पादन लिया जा रहा है। उधर अधीक्षण अभियंता शैलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जल स्तर पर लगातार नजर बनी हुई है। सिस्टम कंट्रोल की तरफ से जैसी आवश्यकता जताई जा रही है। उसके हिसाब से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। जलस्तर अभी पिछले साल के मुकाबले कम है। 60-60 मेगावाट वाली 6 विद्युत इकाइयों में से पांच पूरी क्षमता से उत्पादन की स्थिति में हैं। एक इकाई को दुरुस्त करने का काम चल रहा है जल्द ही उसे भी पूर्ण उत्पादन की स्थिति में ला दिया जाएगा।
उम्मीद है कि आगे होने वाली बारिश में स्थिति बेहतर हो जाएगी। पिपरी कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के मुताबिक बृहस्पतिवार की रात उच्च स्तर से जताई गई आवश्यकता के अनुसार 177 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया गया। वहीं शुक्रवार को बांध का जलस्तर 843.5 फीट दर्ज किया गया। पिछले वर्ष इसी तिथि को जलस्तर 846.8 रिकॉर्ड किया गया था। पिछले दिनों हुई बारिश के बाद जल स्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा था। तीन दिन से लगभग स्थिर वाली स्थिति बनी हुई है।