Sonbhadra News: एनसीएल की ओबी कंपनी में रोजगार से जुड़ी कथित सूची वायरल, सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने ट्वीट कर वायरल की सूची

Sonbhadra News: सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज सिंह कक्का ने जहां पीएमओ, डीजीपी सहित अन्य को ट्वीट कर, विस्थापितों का हक मारकर, सिफारिशी नौकरी देने का आरोप लगाया है।

Update: 2023-01-13 12:11 GMT

Sonbhadra Samajwadi Party national spokesperson viral the list related to employment in NCL (Social Media)

Sonbhadra News: मिनी रत्न कंपनी नार्दन कोलफील्ड्स लिमिटेड की खड़िया कोल परियोजना में ओवरवर्डेन हटाने का काम कर रही आउटसोर्सिंग कंपनी आईएससी-एसए यादव खड़िया में, विभिन्न लोगों की सिफारिश पर नौकरी देने की कथित सूची वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया है।

सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज सिंह कक्का ने जहां पीएमओ, डीजीपी सहित अन्य को ट्वीट कर, विस्थापितों का हक मारकर, सिफारिशी नौकरी देने का आरोप लगाया है। वहीं संबंधित ओबी कंपनी प्रबंधन ने जहां सूची को फर्जी बताया है। वहीं, कभी नौकरी के नाम पर उगाही की मिली शिकायत, कभी कथित सूची वायरल जैसे मसलों को देखते हुए, डीएम ने ओबी कंपनियों की बैठक तलब कर ली है। इससे, ओबी कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर जुगाड़ फिट करने वाले कथित लोगों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।

जिस ओबी कंपनी के नाम को लेकर सूची वायरल हो रही है। उसको लेकर लगातार कोई न कोई मामला हाल के दिनों-महीनों में किसी न किसी रूप में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके साथ ही अन्य ओबी कंपनियों में भी रोजगार में भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। अभी कुछ दिन पूर्व ही स्वयं को विस्थापित बताने वाले कुछ लोगों ने डीएम से शिकायत की थी और एसए यादव कंपनी में, उन्हीं से जुड़े कुछ अधिकारियों पर नौकरी के नाम पर उगाही का आरोप लगाया था।

अभी इस शिकायत को एक सप्ताह भी नहीं बीते कि एक सूची सामने आ गई। दिलचस्प मामला यह है कि इस सूची में जहां सत्ता पक्ष के नेताओं, पुलिस विभाग के लोगों के साथ अधिकारियों तक के नाम दर्ज दिखाए जा रहे हैं। वहीं स्थानीय प्रधान और उनके प्रतिनिधियों की सिफारिश पर भी कई को नौकरी देने की बात कही गई है। सूची में कुल 242 लोगों को सिफारिशी नौकरी देने का जिक्र है, जिसमें 22 ऐसे नाम बताए जा रहे हैं, जिनको बगैर ड्यूटी वेतन दिया जाएगा।

भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए तो नहीं दिखाया जा रहा अधिकारियों का नामः

सूची पर किसी के हस्ताक्षर न होने से सूची सही है या गलत, इसका नतीजा नहीं निकल पा रहा। प्रशासनिक अमला भी चाहकर एक्शन नहीं ले पा रहा, क्योंकि बगैर दस्तखत की सूची होने के कारण, संबंधित ओबी कंपनी प्रबंधन के लोग एक झटके में इसे खारिज कर दे रहे हैं लेकिन पूर्व में लगते आए आरोपों, विस्थापितों की तरफ से रोजगार को लेकर अक्सर विरोध, धरना-प्रदर्शन की बनती स्थिति और ओबी कंपनियों में रोजगार के नाम पर वर्षों स ेचल रहे लाइजनिंग के खेल को देखते हुए, जहां कई सवाल उठाए जा रहे हैं। इसको देखते हुए इस बात की खासी चर्चा है कि कहीं सूची में अधिकारियों का नाम डालकर ओबी कंपनियों के अधिकारी-कर्मचारी और कथित लाइजनर अपने भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की जुगत में तो नहीं जुटे हुए हैं।

डीएम ने बुलाई ओबी कंपनियों की बैठक, मची खलबलीः

डीएम चंद्रविजय सिंह ने कहा कि जो सूची वायरल की जा रही है, उसकी पुष्टि का कोई आधार नहीं दिख रहा है, इसलिए उस पर कोई एक्शन लेना संभव नहीं हो पा रहा है। फिलहाल विस्थापितों की तरफ से जो शिकायत मिल रही है, उसको लेकर ओबी कंपनियों की बैठक बुलाई गई है। नियमानुसार स्थानीय और विस्थापित लोगों को ही रोजगार मिले, इसको लेकर कडे़ कदम उठाए जाएंगे। उधर, एडीएम सहदेव मिश्रा ने भी शिकायतों को गंभीरता से लिया है और एनसीएल प्रबंधन को कथित वायरल सूची की सच्चाई जांचने और रोजगार देने में कोई गड़बड़ी हो रही हो तो उस पर कार्रवाई करने के लिए कहा है।

सवालों से बचते रहे ओबी कंपनी के अधिकारी-कर्मचारी, भाजपा नेता ने बदनाम करने का लगाया आरोपः

उधर, इस बारे में जानकारी के लिए, संबंधित कंपनी के अधिकारी बताए जा रहे विवेक इनामदार और स्थानीय स्तर पर भर्ती के मामले में ओबी कंपनी के लाइजनर के रूप में चर्चित कथित कमलेश सिंह पप्पू, जिनके नाम पर सूची में सबसे ज्यादा 61 रोजगार दिए जाने की बात अंकित है, के सेलफोन पर कई बार काल की गई। ह्वाट्सअप और इनबाक्स मैसेज किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उधर, भाजपा नेता प्रशांत श्रीवास्तव, जिनके नाम 11 को नौकरी दिए जाने की बात वायरल सूची में अंकित है, ने सूची को फर्जी बताया है और उनका नाम डालकर बदनाम करने का आरोप लगाते हुए एसपी से मामले की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है।

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