Sonbhadra News: सोनभद्र में जुगाड़ सिस्टम से संचालित हो रहे 46 हास्पीटल
Sonbhadra News: हालांकि स्वास्थ्य महकमा का दावा है कि जल्द ही नवीनीकरण शर्त पूरी न कर पाने वाले अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
Sonbhadra News: जिले में 46 अस्पतालों का संचालन, कथित जुगाड़ सिस्टम से होने का मामला सामने आया है। दिलचस्प मामला यह है कि एक डाक्टर के लिए एक अस्पताल के पंजीकरण/नवीनीकरण की शर्त के चलते, पंजीकृत 98 अस्पतालों में, 46 अस्पताल ऐसे हैं, जो पंजीकरण/वार्षिक नवीनीकरण की अवधि व्यतीत होने के चार माह बाद भी, नए नवीनीकरण की शर्त पूरी नहीं कर पाए हैं। पूर्व डीएम चंद्रविजय सिंह की सख्ती के बाद ऐसे अस्पतालों को सील करने की कार्रवाई भी शुरू हुई थी लेकिन उनके तबादले के बाद, प्राइवेट चिकित्सालयों के नोडल की अगुवाई में चल रहा चेकिंग अभियान अचानक से थम सा गया। हालांकि स्वास्थ्य महकमा का दावा है कि जल्द ही नवीनीकरण शर्त पूरी न कर पाने वाले अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
- इस शर्त ने खोली जुगाड़ सिस्टम की पोल:
एक चिकित्सक के नाम पर कई-कई अस्पतालों के संचालन और ऑपरेशन में लापरवाही के चलते होती मौतों को देखते हुए शासन की तरफ से वर्ष वर्ष 2024-25 से अस्पतालों के पंजीकरण/नवीनीकरण की नई व्यवस्था लागू की गई है। इसके तहत जहां एक डॉक्टर के नाम एक अस्पताल का पंजीकरण की शर्त रखी गई है। वहीं, संबंधित अस्पताल में कार्यरत सभी चिकित्सक-स्टाफ का नाम नोटिस बोर्ड पर डिस्प्ले करना अनिवार्य बना दिया है। साथ ही पंजीकरण/नवीनीकरण के लिए किए जाने वाले आवेदन के साथ, चिकित्सालय में कार्यरत चिकित्सक, स्टाफ का नाम-पता के साथ उनकी फोटो, आधार कार्ड, शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का पूरा विवरण प्रस्तुत करना है। प्रस्तुत विवरण की वास्तविक स्थिति क्या है, इसका भौतिक सत्यापन करने के भी निर्देश हैं।
- एक चिकित्सक अधिकतम दो अस्पताल में ही दे सकता है सेवाः
साथ ही, किसी भी चिकित्सक को अधिकतम दो अस्पतालों में चिकित्सा सेवा की छूट है। इसके लिए संबंधित अस्पताल संचालकों को इस बात का शपथ पत्र देना है कि संबंधित चिकित्सक किस अवधि में कितनी देर तक किस अस्पताल में सेवा देंगे। सामान्यतया नवीनीकरण की अवधि 30 अप्रैल तक रहती है लेकिन नए नियम के चलते कोई दिक्कत न होने पाए, इसके लिए अवधि कुछ महीने के लिए आगे बढ़ाई गई थी। वहीं, सीएमओ डा. अश्वनी कुमार की ओर से अस्पताल संचालकों की मिटिंग लेकर, जरूरी नियम-निर्देश से अवगत कराते हुए, उनसे इसका पालन करने के लिए कहा गया था। बावजूद अप्रैल कौन कहे, जुलाई माह व्यतीत होने के बाद, भी पंजीकृत 98 अस्पताल ऐसे हैं, जिनमें 46 अस्पताल नवीनीकरण की शर्त पूरी नहीं कर पाए हैं।
न पर्याप्त चिकित्सक, न सुविधाएं, फिर भी ट्रामा सेंटर के लगे हैं बोर्ड:
इनमें कई अस्पताल हैं जिनके पास न तो पर्याप्त चिकित्सक हैं, न जरूरी सुविधाएं, फिर भी अस्पताल के बोर्ड पर ट्रामा सेंटर लिखा हुआ है। जबकि सच्चाई यह है औद्योगिक परियोजनाओं से जुड़े कुछ अस्पतालों को छोड़ दे ंतो जिले में एक भी प्राइवेट अस्पताल ट्रामा सेंटर का मानक पूरा नहीं करते। इस मामले में प्राइवेट चिकित्सालयों के नोडल डा. गुलाब शंकर से संपर्क साधने का प्रयास किया गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो पाए। वहीं, सीएमओ डा. अश्वनी कुमार ने कहा कि ऐसे अस्पतालों को चिन्हित कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही नवीनीकरण से वंचित सभी अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
- बगैर सर्जन के ही धड़ल्ले से किए-कराए जा रहे ऑपरेशन:
बताते चलें कि जिले में ऐसे अस्पतालों की संख्या अच्छी-खासी है, जिनके यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की मौजूदगी न होने के बावजूद, सिजेरियल प्रसव सहित अन्य ऑपरेशन धड़ल्ले से जारी हैं। इसमें ऐसे भी कुछ अस्पताल शामिल हैं, जहां सर्टीफिकेट किसी सर्जन का लगा हुआ है लेकिन ऑपरेशन का काम सामान्य डाक्टर या अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है। वहीं कुछ सर्जन ऐसे हैं, जो सर्जरी वाले डॉक्टरों का फायदा उठाकर एक दिन में कई अस्पतालों में ऑपरेशन का कार्य करने में लगे हुए हैं, जिसके चलते कभी सामान्य से ऑपरेशन भी फेल हो जा रहे हैं तो कभी बरती गई लापरवाही मरीजों की जान ले ले रही है।