Sonbhadra News: ब्लैक डायमंड भंडारण-परिवहन में बड़ा गोलमाल, खनिज परिवहन, ई-वे बिल का दिखाया जा रहा अलग-अलग लोकेशन
Sonbhadra News: परिवहन की निगरानी और इसके शुल्क से जुड़े अफसर भी इस अलग-अलग लोकेशन के खेल का माजरा फिलहाल नहीं समझ पा रहे हैं।
Sonbhadra News: ब्लैक डायमंड की संज्ञा रखने वाले कोयले को लेकर रेलवे साइडिंग कृष्णशिला एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार माजरा, यहां भंडारित कोयले के परिवहन से जुड़ा हुआ है। एक ही वाहन को खनन विभाग से मिलने वाले मैनुअल परिवहन प्रपत्र पर जहां, सिंगरौली के बरगवां के लिए कोयला ढुलाई का लोकेशन दिखाया जा रहा है। वहीं, उसी ढुलाई का जो ई-वे बिल सामने आया है, उसमें लोकेशन रेलवे साइडिंग सिंगरौली, यानी मोरवा का है। परिवहन की निगरानी और इसके शुल्क से जुड़े अफसर भी इस अलग-अलग लोकेशन के खेल का माजरा फिलहाल नहीं समझ पा रहे हैं। वहीं, आरसीआर और लिंकेज से जुड़े कोयले का परिवहन, सड़क मार्ग से होने, लिंकेज कहीं के लिए और परिवहन कहीं होने को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं बनी हुई हैं।
2022 में पकड़ा गया था कोयले का बड़ा अनधिकृत भंडारण
बताते चलें कि 30 जुलाई 2022 को जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग की संयुक्त टीम ने कृष्णशिला रेलवे साइडिंग पर लाखों टन कोयले का अनधिकृत भंडारण पकड़ा था। पहली बार नोटिस में कोई दावेदार सामने नहीं आया । बाद में 13 ट्रांसपोर्ट/आपूर्तिप्राप्तकर्ता कंपनियों की तरफ दावे, जिनके हक में आधे से अधिक कोयले की रिलिजिंग जारी हुई। चूंकि कोयला रिलीज करते वक्त, जो कागजात प्रस्तुत किए गए थे, उसमें कोयला कहां जाना है, उसका एक निश्चित स्थान भी दिया गया था। लेकिन एक बड़ी और चर्चित ट्रांसपोर्ट कंपनी की तरफ से कृष्णशिला से बरगवां के लिए जिस कथित कोयले की ढुलाई हो रही है, उसमें खनिज परिवहन बरगवां के लिए और ई-वे बिल यानी जीएसटी प्रपत्र रेलवे साइडिंग सिंगरौली यानी मोरवा के लिए जारी होने के, सामने आए कथित मामले को लेकर, रिलीजिंग से लेकर परिवहन तक में बडे़ खेल की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
कहीं यह तो खेल नहीं..? बनी हुई है चर्चाएं
चर्चाओं की मानें तो कृष्णशिला रेलवे साइडिंग पर जिस कोयले की मौजूदगी दिखाई गई है। वह एनसीएल की तरफ से रियायती दर पर प्रोजेक्टों को दिया जाने वाला कोयला है। चर्चा यह भी है कि रिलीजिंग के बाद इस कोयले का परिवहन प्रयागराज के लिए होना था जिसके लिए रेलवे साइडिंग सिंगरौली पर जाना था लेकिन इसे बरगवां ले जाया जा रहा है। चूंकि ई-वे बिल ऑनलाइन है, इसलिए उसमें लोकेशन रेलवे साइडिंग सिंगरौली दिखाया गया है। वहीं, खनन परिवहन प्रपत्र मैनुअल है, जिस पर बरगवां का लोकेशन देखकर, कहीं और जाने वाला कोयला, कहीं और ले जाया जा रहा है। इसी तरह, आरसीआर यानी रेल कम रोड से परिवहन किए जाने कोयले का सड़क मार्ग से परिवहन पर भी सवाल उठ रहे हैं।
गहनता से हुई जांच तो कई बड़े चेहरों तक पहुंचेगी आंच
कहा जा रहा है कि रिलीजिंग के लिए पेश किए गए दस्तावेजों से लेकर मौजूदा ढुलाई की लोकेशन की गहराई से जांच की गई तो इस खेल में कई बड़े चेहरे सामने आ सकते हैं। चर्चा यह भी है कि बरगवां रेलवे साइडिंग पर मिक्सिंग के जरिए, होने वाले कथित मिलावली कोयले के परिवहन से भी इस मामले का जुड़ाव होता दिख सकता है। सच्चाई क्या है? यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल, प्रकरण को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं बनी हुई हैं।
निगरानी के लिए गठित की गई है टीमें: डिप्टी कमिश्नर
डिप्टी कमिश्नर सेल्स टैक्स विभाग ईश्वर चंद्र शर्मा ने फोन ने बताया कि जिले में निगरानी के लिए तीन टीमें गठित हैं। जो प्रकरण बताया जा रहा है, वह सचल दल से जुड़ा हुआ है।
जांच के बाद समझ में आएगा पूरा मामला: सचल दल प्रभारी
सचल दल प्रभारी अमित सिंह ने फोन पर बताया कि इसके पीछे का पूरा माजरा क्या है और किस तरह से गड़बड़ी बरती जा रही है? यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी। अगर गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई होगी।
एक लोकेशन वाले प्रपत्र के इस्तेमाल की अनुमति: खान अधिकारी
ज्येष्ठ खान अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने फोन पर बताया कि एक वाहन से परिवहन के लिए खनिज परिवहन के एक प्रपत्र का इस्तेमाल ही वैध है। लोकेशन भी एक ही होना चाहिए। अगर जीएसटी प्रपत्र में लोकेशन कहीं और का है? तो इसके बारे में जीएसटी विभाग से जुड़े लोग ही सही जानकारी दे सकते हैं।