Sonbhadra News: जंगल में लकड़ी लेने गई महिला से बेटे के सामने किया था दुष्कर्म, अब जाकर मिला इंसाफ
Sonbhadra News Today: शाम करीब 6 बजे रास्ते में रामसकल सहित तीन लोगों ने उसे रोक लिया और उसके साथ दुष्कर्म किया
Sonbhadra News: जंगल में लकड़ी लेने गई महिला से उसके बेटे के सामने दुष्कर्म करने के मामले में दोषी को सात वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है। सात वर्ष पूर्व के इस प्रकरण की अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी, सीएडब्लू परितोष श्रेष्ठ की अदालत ने मंगलवार को सुनवाई की। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की दलीलों के आधार पर दोषसिद्ध पाते हुए दोषी रामसकल को 7 वर्ष की कैद के साथ ही, 11 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड न देने की दशा में एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया।
यह है पूरा प्रकरण
अभियोजन कथानक के मुताबिक चोपन थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी महिला ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल कर चोपन थानाध्यक्ष को एफआईआर का आदेश देने की गुहार लगाई थी। कोर्ट के आदेश पर चोपन थाने में 10 जुलाई, 2016 को रामसकल पुत्र अर्जुन निवासी कोटा टोला थाना चोपन सहित तीन के विरुद्ध दुष्कर्म सहित अन्य मामलों में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था।
घटना की सूचना पर पहुंचे पति की पिटाई का भी लगाया गया था आरोप
आरोप लगाया गया था कि महिला अपने बेटे के साथ जंगल में लकड़ी लेने गई थी। शाम करीब 6 बजे रास्ते में रामसकल सहित तीन लोगों ने उसे रोक लिया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बेटा इस वाकए को देखकर डर गया। वहां से भागकर घर पहुंचा और पिता को सारी बात बताई। पिता (पीड़िता के पति) मौके पर पहुंचे तो आरोपियों ने उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी। जान से मारने की धमकी दिए जाने का भी आरोप लगाया गया। विवेचना के दौरान रामसकल के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने की बात कहते हुए पुलिस ने न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की।
दोषसिद्ध के बाद सुनाया गया सजा का फैसला
चार्जशीट दाखिल होने के बाद, अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी, सीएडब्लू की अदालत ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्क सुने गए। गवाहों के बयान और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन किया गया। इसके आधार पर दोषसिद्ध पाते हुए, दोषी रामसकल को 7 वर्ष की कैद तथा 11 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड न देने की दशा में एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित होगी। अर्थदंड जमा होने के बाद, आधी धनराशि पीड़िता को प्रदान कर दी जाएगी। अभियोजन पक्ष की ओर से मामले की पैरवी सरकारी अधिवक्ता विनोद कुमार पाठक ने किया।