Sonbhadra News: हाईकोर्ट की रोक के बाद नापी पर भड़के ग्रामीण, हंगामा

Sonbhadra News: ग्रामीणों का आरोप था कि 1980 में भैंसवार गांव की चकबंदी में हुए फर्जीवाड़े को लेकर कई बार आवाज उठाई गई। जिले के आला अफसरों ने भी मामले की जांच कर, गड़बड़ी दुरूस्त करने के निर्देश दिए।

Update:2024-07-07 18:58 IST

सोनभद्र में हाईकोर्ट की रोक के बाद नापी पर भड़के ग्रामीण (न्यूजट्रैक)

Sonbhadra News: घोरावल कोतवाली क्षेत्र के भैंसवार गांव में हाईकोर्ट की रोक के बावजूद जमीन के नापी के प्रयास पर ग्रामीण भड़क उठे। नाराजगी जताते हुए सैकड़ों ग्रामीण गांव से जुड़े मुख्यमार्ग स्थित कटरा मोड़ पर उतर आए और जाम लगा दिया। नारेबाजी करने के साथ ही ग्रामीणों ने जमकर हंगामा भी किया। जानकारी मिलते ही मौके पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी पहुंच गए। किसी तरह ग्रामीणों को नापी न होने देने का भरोसा देकर मामला शांत कराया गया।

ग्रामीणों ने हाईकोर्ट से मामले में निर्णय आने ओर की गई गड़बड़ियों से पहले नापी-जोखी की प्रक्रिया शुरू होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी। ग्रामीणों का कहना था कि चकबंदी विभाग के अफसरों की मिलीभगत से कुछ भू माफिया किस्म के लोगों ने 450 बीघे जमीन पर गलत तरीके से नाम दर्ज करा लिया है। अब इस जमीन पर कुछ उद्योगपति और सियासी रसूख रखने वाले भू माफियाओं ने भी नजरें गड़ा ली है और कई पुश्त से काबिज परिवारों का बेदखल कर उनके कब्जे वाली जमीन पर कब्जा जमाने की कोशिश की जाने लगी है। गांव के ही कुछ लोगों पर गलत तरीके से दूसरे की जमीन पर नाम दर्ज कराने का आरोप लगाते हुए, ऐसी जमीन को कुछ रसूखदारों को रजिस्ट्री किए जाने का भी आरोप लगाया।

10 दिन से पुलिस-राजस्व की टीम करा रही थी नापी का कार्य

ग्रामीणों का आरोप था कि 1980 में भैंसवार गांव की चकबंदी में हुए फर्जीवाड़े को लेकर कई बार आवाज उठाई गई। जिले के आला अफसरों ने भी मामले की जांच कर, गड़बड़ी दुरूस्त करने के निर्देश दिए। बावजूद गड़बड़ी दूर न होने पर हाईकोर्ट की शरण ली गई, वहां से गत तीन जुलाई को, जमीनों के नापी-जोखी के प्रक्रिया पर रोक लगाई गई है। बावजूद ऐसे कुछ कथित भूमाफिया, जिनके नाम 450 बीघा अतिरिक्त जमीन कागज में दिख रही है, जबकि वास्तविक रूप से उतनी जमीन उनके कब्जे में नहीं है। अब उन लोगों ने ऐसी जमीनों को बड़े पूंजीपतियों को रजिस्ट्री करना शुरू कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि रजिस्ट्री कराने वाले कुछ पूंजीपति किस्म के लोग पिछले 10 दिनों से राजस्व विभाग और पुलिस को साथ लेकर जमीन की नापी-जोखी कराने में लगे हुए थे।


SDM से गुहार के बाद भी नहीं मिल पाई राहत

ग्रामीणों का कहना था कि गत तीन जुलाई को हाईकोर्ट से आए आदेश को लेकर ग्रामीण संपूर्ण समाधान दिवस पहुंचे। वहां अध्यक्षता कर रहे उपजिलाधिकारी घोरावल राजेश सिंह को उच्च न्यायालय का आदेश सौंपकर हस्तक्षेप की गुहार लगाई गई। एसडीएम ने गांव में फोर्स हटाकर चकबंदी की कार्रवाई रोकने का निर्देश भी एसीओ चकबंदी कैलाशनाथ दुबे को दिया। इसके बाद आरोप है कि भू माफिया किस्म के कुछ लोगों ने जबरन नापी का प्रयास जारी रखा। रविवार को भी ग्रामीणों ने नापी का विरोध जताया। बावजूद नापी की कवायद जारी रहने पर ग्रामीण भड़के उठे और नारेबाजी करते हुए भैंसवार गांव से जुड़ी मुख्य सड़क पर उतर आए।

कब्जे वाली जमीनों से जबरिया बेदखल करने का लगाया आरोप

ग्रामीणों का कहना था कि चकबंदी विभाग और भूमाफियों की मिलीभगत से जबरन किसानो को पुश्तैनी कब्जे वाली जमीन से बेदखल किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना था कि यहीं स्थिति रही किसी दिन यहां उभ्भा कांड जैसी परिस्थिति बन सकती है। उधर, ग्रामीणों के हंगामे और जाम की सूचना पर पहुंचे प्रभारी तहसीलदार विदित तिवारी, प्रभारी निरीक्षक कमलेश पाल, क्राइम इंस्पेक्टर शमसेर यादव, घोरावल चौकी प्रभारी अजय श्रीवास्तव आदि ने मौके पर पहुंचकर किसी तरह ग्रामीणों को शांत कराया। उन्हें भरोसा दिया गया कि हर हाल में हाईकोर्ट के आदेश का पालन कराया जाएगा। ग्रामीणों का आरोप था कि सारी गड़बड़ी चकबंदी अधिकारियों द्वारा की जा रही है। इस दौरान बिरजू कुशवाहा, संजय कुमार यादव, परमानंद सिंह, रामपाल पटेल, गजेन्द्र बहादुर सिंह, बेचू मौर्य, जवाहिर बियार, रामवृक्ष कोल, मोहन कोल, मुन्नी कोल, छोटे कोल, बब्बन मौर्य, पंकज मौर्य, रणजीत मौर्य, रविंद्र मौर्या समेत बड़ी संख्या में ग्रामीणों की मौजूदगी बनी रही।

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