Sonbhadra News: पर्यावरण मानकों का उल्लंघन कर संचालित खदानों से वसूली जाएगी क्षतिपूर्ति, आठ खनन पट्टों को लेकर एनजीटी का बड़ा फैसला
Sonbhadra News: न्यूज़ट्रैक ने वायु प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े नियमों प्रावधानों की अनदेखी कर महादेव इंटरप्राइजेज सहित आठ खदानों के संचालन का मामला उठाया था।
Sonbhadra News: वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम के अनदेखी कर आठ खदानों के संचालन मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का बड़ा फैसला आया है। मामले में सभी आठ खदानों के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पर्यावरण क्षतिपूर्ति की गणना और वसूली के निर्देश दिए गए हैं। 2 माह के भीतर क्षतिपूर्ति की गणना और वसूली से जुड़ी कार्रवाई अमल में लाए जाने के निर्देश के साथ ही, 2 माह व्यतीत होने के बाद 15 दिन के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया है।
न्यूज़ट्रैक की खबर का संज्ञान लेकर एनजीटी ने की थी सुनवाई :
न्यूज़ट्रैक ने वायु प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े नियमों प्रावधानों की अनदेखी कर महादेव इंटरप्राइजेज सहित आठ खदानों के संचालन का मामला उठाया था। इसका संज्ञान लेते हुए एनजीटी की तरफ से मामले में जहां जिला प्रशासन राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शेयर रिपोर्ट तलब की गई थी उपाय संबंधित खदान संचालकों को भी पक्षकार नामित करते हुए जवाब तलब किया था।
छह माह तक चली मामले की सुनवाई, आया बड़ा फैसला :
लगभग 6 माह तक चली सुनवाई के क्रम में जहां सितंबर में जाकर सभी आठ खदानों की बंदी सुनिश्चित की गई। वहीं, सुनवाई के दौरान सामने आए तथ्यों और परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और एक्सपर्ट मेंबर अफरोज अहमद की बेंच ने गत 25 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संबंधित खदानों की तरफ से पर्यावरण को पहुंचाई गई क्षति के पूर्ति की गणना और पोल्यूटेड पे फार्मूला के सिद्धांत पर वसूली के निर्देश दिए गए।
2 माह के भीतर निर्देशों का करना होगा पालन
एनजीटी की प्रधान पीठ से जुड़ी बेंच में पारित निर्णय में कहा है कि इस बात पर कोई सवाल नहीं उठ सकता कि समापन (बंदी) आदेश वर्तमान मामले में इस न्यायाधिकरण द्वारा कार्यवाही शुरू किए जाने से पहले पारित किया गया था। ऐसे समापन आदेश के विरुद्ध संबंधितों के पास अपील का वैधानिक उपाय था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया । पर्यावरण मानकों-नियमों का अब तक जो उल्लंघन किया गया है उसको लेकर यूपीपीसीबी को 'प्रदूषक भुगतान करता है' सिद्धांत के आधार पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति की गणना, अधिरोपण और वसूली के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए जाते हैं। उक्त कार्यवाही दो महीने के भीतर फाइनल कर दी जाएगी और उसके बाद 15 दिनों के भीतर न्यायाधिकरण के रजिस्ट्रार जनरल के पास एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। इस दौरान यूपीपीसीबी अगर समझती है कि किसी और आदेश की आवश्यकता है, तो मामले को उचित पीठ के समक्ष रखेंगे।