Sonbhadra News: रेणुका नदी में छोड़ा जा रहा राख मिश्रित पानी, नदी बनी राख का तालाब

Sonbhadra News: रेणुका नदी में छोड़े जा रहे राख मिश्रित पानी को लेकर सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी की तरफ से चिंता जताई गई है।

Update: 2024-05-08 15:03 GMT

नदी में छोड़ा जा रहा राख मिश्रित पानी। (Pic: Newstrack)

Sonbhadra News: ओबरा परियोजना से जुड़े चकाड़ी एैश डैम से टूटने के चलते मालवीय नगर बस्ती से जुड़े हिस्सों में बिगड़े हालात और रेणुका नदी में छोड़े जा रहे राख मिश्रित पानी को लेकर सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी की तरफ से चिंता जताई गई है। बुधवार को बांध के टूट वाली जगह पर सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के संयोजक रामेश्वर प्रसाद के निर्देशन में हालात का जायजा लेने पहुंची टीम ने स्थिति पर गहरी चिंता जताई और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मामले की जांच करते हुए प्रभावी हस्तक्षेप की मांग की।

नदी लगने लगी राख का तालाब

रामेश्वर प्रसाद सहित टीम के अन्य सदस्यों का कहना था कि ओबरा तहसील के मालवीय नगर में राखी बांध टूटने के साथ ही चकाड़ी तथा गुडुर के नालों के जरिए रेणुका नदी में सीधे राख मिश्रित पानी छोड़ा जा रहा है। दावा किया गया कि राखी पुलिया के नीचे मालवीय नगर की तरफ से राखयुक्त पानी नाले के माध्यम से रेणुका में मिल रहा है जिससे नदी का जल, राख का तालाब नजर आने लगा है।


प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों पर अनदेखी का आरोप

गुडूर में आंधी के साथ उड़ती राख मिश्रित धूल ने ग्रामीणों को जीना दुश्वार कर दिया है। मुक्ति वाहिनी की तरफ से क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी और उनके मातहतों पर ऐश डैम टूटने जैसी आपदा और नालों के जरिए रेणुका नदी में छोड़े जा रहे राख मिश्रित पानी की समस्या की अनदेखी करने का आरोप लगाया। कहा कि इससे न केवल राख मिश्रित पानी का सेवन करने वाले मवेशियों का जीवन प्रभावित हो रहा है बल्कि लोगों को भी कई तरह की दुश्वारियां-बीमारियां झेलनी पड़ रही हैं।

हवा के साथ उड़ती राख सांस लेना कर दे रही दूभर

मुक्ति वाहिनी के लोगों के दावा है कि ऐश डैम के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों से जानकारी मिली है कि पंप हाउस के पास से रात में राखमिश्रित पानी ज्यादा बहाया जाता है। दिन में भी रह-रह कर राख मिश्रित पानी छोड़े जाने की स्थिति बनी रहती है। इन दिनों सबसे ज्यादा खराब स्थिति दोपहर की है। दोेपहर में बहने वाली लू के साथ उड़कर आती राख लोगों के फेफड़ों में घुसकर सांस लेना दूभर कर दे रही है। इस बारे में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी उमेश कुमार गुप्ता से उनके सेलफोन पर संपर्क का प्रयास किया गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए।

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