Sonbhadra: पर्यावरण दिवस पर शुरू हुई कनहर-पांगन नदी के अस्तित्व की जंग, पर्यावरण कार्यर्कताओं ने अनशन के जरिए उठाई आवाज
Sonbhadra News: कनहर नदी तट पर, कनहर, पांगन, ठेमा आदि नदियों के अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को लेकर सोमवार की सुबह कनहर नदी किनारे महुआ पेड़ के नीचे अनशन के रूप में पर्यावरण कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा तो कोरगी और पिपरडीह में कनहरी नदी की धारा में पोकलेन मशीन उतारकर बालू खनन में लगे खननकर्ताओं में हड़कंप मच गया।
Sonbhadra News: दक्षिणांचल की जीवन रेखा कही जाने वाली सोन नदी की सहायक नदी कनहर और यूपी-छत्तीसगढ़ के बीच सीमा का निर्धारण करने वाली पांगन नदी के अस्तित्व को लेकर लड़ाई शुरू हो गई हैं। पर्यावरण दिवस पर सोमवार को दोनों नदियों के अस्तित्व के लिए पर्यावरण कार्यकर्ताओं की ओर से लोकतांत्रिक जंग का आगाज किया गया। इसके लिए जहां दुद्धी तहसील क्षेत्र के कोरगी में कनहर नदी किनारे अनशन कर, बालू खनन के जरिए कनहर नदी के बिगाड़े जा रहे पर्यावरणीय स्वरूप पर प्रभावी रोक की मांग उठाई गई। वहीं पांगन नदी में खनन माफियाओं की तरफ से जब-तब खनन कर नदी के अस्तित्व पर पहुंचाई जाती चोट पर रोक लगाने की मांग की गई। मांगों से संबंधित जिलाधिकारी को संबोधित एक ज्ञापन भी तहसील प्रशासन को सौंपा गया।
कनहर नदी तट पर, कनहर, पांगन, ठेमा आदि नदियों के अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को लेकर सोमवार की सुबह कनहर नदी किनारे महुआ पेड़ के नीचे अनशन के रूप में पर्यावरण कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा तो कोरगी और पिपरडीह में कनहरी नदी की धारा में पोकलेन मशीन उतारकर बालू खनन में लगे खननकर्ताओं में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में जहां नदी के बीच गरज रही मशीनें, पूरे दिन के लिए खामोश हो गई। वहीं पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने मानव जीवन के लिए नदियों के अस्तित्व और उनके पर्यावरणीय स्वरूप को जरूरी बताते हुए, निर्णायक जंग के लिए जल्द ही तेजी से मुहिम छेड़ने का संकल्प जताया। सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के समिति संयोजक रामेश्वर प्रसाद, सोनभद्र के पर्यावरण संरक्षा को लेकर एनजीटी सहित अन्य मंचों पर लंबी लड़ाई लड़ चुके जगतनारायण विश्वकर्मा ने कनहर नदी की अस्तित्व बचाने के लिए, नदी में पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी कर हो रहे खनन पर रोक लगाने की मांग की।
मनमाना खनन नदी के अस्तित्व पर खड़ा कर रहा संकट, लगे रोक
कहा कि निर्धारित लीज एरिया और दिए गए निर्देशों-तय किए प्रावधानों की अनदेखी कर जिस तरह से कनहर नदी में खनन किया जा रहा है, उसने कोरगी और पिपरीडीह में नदी के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा कर दिया है। हालत यह है कि जहां तपिश के समय नदी के दोनों किनारों पर रेत और बीच से नदी की धारा बहती थी। वहीं कोरगी-पिपरडीह में किए गए बेतरतीब खनन के चलते नदी की धारा बालू खनन के लिए बनाए गए तटबंधों, अस्थायी रास्तों और धारा के बीच जाकर खनन से जगह-जगह तालाब जैसी बनी स्थिति ने इन दोनों जगहों पर नदी की धारा को ही विलुप्त करके रख दिया है। इससे जहां जलजीवों के जीवन पर संकट खड़ा कर दिया है, वहीं आने वाले समय में नदी के अस्तित्व को लेकर भी चिंताजनक स्थिति बनने लगी है। डीएम और मंडलायुक्त के निर्देश पर अलग-अलग टीमों द्वारा की गई जांच में पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी कर खनन होने की पुष्टि के बाद भी खनिज विभाग से जुड़े लोगों द्वारा, खननकर्ताओं को बचाए जाने और मौके पर मनमाना खनन के बावजूद कागजी रिकर्ड में सब कुछ दुरूस्त कर लिए जाने की दी जा रही रिपोर्ट पर भी नाराजगी जताई गई।
मानकों के अनुरूप निर्धारित एरिया में ही कराया जाए खनन
मौके पर पहुंचे तहसीलदार बृजेश वर्मा को मांगों से संबोधित ज्ञापन सौंपते हुए क्षेत्रिय संयोजक दिनेश जायसवाल , जगत विश्वकर्मा , रमेश यादव ,कमला ,माया सिंह ,दुद्धी बार के सचिव दिनेश गुप्ता ,पूर्व सिविल बार अध्यक्ष प्रभु सिंह ,प्रेमचंद यादव ,उदय लाल मौर्या , ग्राम प्रधान फुलवार दिनेश यादव ,महुली प्रधान अरविंद जायसवाल ,बीडीसी संघ अध्यक्ष पीसी गुप्ता ,दसई यादव ,गंभीरा , रामरक्षा ,मोतीलाल , डूमरा प्रधान रामनाथ आदि ने कहा कि प्रदूषण की जांच के लिए टॉक्सिलोजिकल लैब निर्माण, कनहर ,ठेमा ,पांगन में अवैध तथा मनमाने खनन पर अंकुश लगाने, कनहर नदी में पट्टे का सीमांकन कर, निर्धारित एरिया में मानकों के अनुरूप खनन सुनिश्चि कराने की आवाज उठाई गई। इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर सीओ दद्दन प्रसाद गोंड़, प्रभारी निरीक्षक सुभाष राय, विंढमगंज एसओ अरविंद गुप्ता पुलिस और पीएसी बल के साथ मौजूद रहे।