Sonbhadra News: हाईकोर्ट की रोक के बावजूद प्रेमी की गिरफ्तारी अवैध, रिहा का आदेश
Sonbhadra News: अपहरण के आरोप में जेल भेजे गए प्रेमी को अविलंब न्यायिक अभिरक्षा से अवमुक्त करने का आदेश दिए जाने के साथ ही, पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है।;
Sonbhadra News: प्रेमिका की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर खुद को बालिग होने, प्रेमी के साथ शाद रचाने के किए गए दावे और उसके क्रम में हाईकोर्ट की तरफ से लगाई गई किसी तरह के उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक के बावजूद, प्रेमी की गिरफ्तारी को लेकर जिले की न्यायालय से बड़ा फैसला आया है। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) एक्ट, अमित वीर सिंह की अदालत ने बृहस्पतिवार को मामले की सुनवाई करते समय, की गई गिरफ्तारी और तथ्यों को छिपाकर अदालत से हासिल किए रिमांड पर जहां गहरी नाराजगी जताई। वहीं, अपहरण के आरोप में जेल भेजे गए प्रेमी को अविलंब न्यायिक अभिरक्षा से अवमुक्त करने का आदेश दिए जाने के साथ ही, पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर संबंधित विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा है।
इस मामले पर हाईकोर्ट ने पारित किया आदेश
राबटर्सगंज कोतवाली में गत 13 फरवरी को एक व्यक्ति की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई। जिसमें पुलिस को बताया गया कि उसकी 18 वर्षीय बेटी तीन फरवरी की दोपहर बाद से गायब है। उसे मालूम हुआ है कि रिंकू नामक युवक उसे बहला-फुसला कर भगा ले गया है। मामले में पुलिस ने धारा 363 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर विवेचना शुरू की। इस पर वह युवती, जिसे भगा ले जाने की शिकायत दर्ज कराई गई थी, उसने रिंकू से शादी रचाने और स्वयं को बालिग बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति राममनोहर मिश्रा वाली बेंच ने स्थितियों को देखते हुए, मामले में फाइनल आर्डर पारित करने तक युवती और उसके प्रेमी के खिलाफ राबर्सगंज पुलिस को किसी तरह की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई न करने का आदेश दिया। वहीं, सभी पक्षकारों से तीन सप्ताह के भीतर काउंटर एफीडेविड प्रस्तुत करने के लिए कहा गया। न्यायालय द्वारा पारित आदेश की प्रति सीजेएम न्यायालय और रजिस्टर्ड डाक के जरिए पुलिस को उपलब्ध करा दी गई।
दंडात्मक कार्रवाई पर रोक के बावजूद गिरफ्तारी
हाईकोर्ट की ओर से किसी तरह के कर्सटिव एक्शन लेने पर रोक लगाने के स्पष्ट आदेश के बावजूद मामले की विवेचना कर रहे सुजीत कुमार सेठ ने सन विजय उर्फ रिंकू निवासी महाल को गिरफ्तार कर, गत तीन मई को प्रथम रिमांड पेश कर रिमांड स्वीकृत कराकर जेल जेल में निरुद्ध कर दिया गया। वहीं बढ़ी हुई धाराओं में छह मई को रिमांड स्वीकृत कराया गया और अगले दिन सात मई को चार्जशीट लगा दी।
कोर्ट के संज्ञान में आया तो तलब की गई रिपोर्ट
अधिवक्ता रोशनलाल यादव ने 8 मई को कोर्ट मे रिमांड निरस्तीकरण प्रार्थना पत्र देते हुए अवगत कराया है कि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता संख्या एक (प्रेमिका) और याचिकाकर्ता संख्या दो (प्रेमी यानी रिंकू) के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों को नोटिस का आदेश पारित किया है। बावजूद आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय से रिमांड प्राप्त कर लिया गया। कोर्ट ने इस पर विवेचक से लिखित जवाब मांगा। विवेचक को लोक सभा चुनाव ड्यूटी में व्यस्त रहने के कारण, रॉबर्ट्सगंज थानाध्यक्ष सतेंद्र कुमार रॉय की ओर से जवाब प्रस्तुत किया। जिसमें बताया गया कि पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने सात मई 2024 को चार्जशीट दाखिल कर दी है।
कोर्ट ने इन बातों पर जताई नाराजगी
दोनों पक्षों की ओर से पेश किए तथ्य और दी गई दलीलों को दृष्टिगत रखते हुए कोर्ट ने पाया कि संबंधि तमामले में माननीय उच्च न्यायालय की ओर से गत 14 मार्च को पारित आदेश में पीटिशनर्स के विरूद्ध उत्पीड़क कार्यवाही करने से समस्त संबंधित को अग्रिम आदेश तक के लिए रोक कर दिया है। केवल कुछ धाराओं की वृद्धि होने से माननीय उच्च न्यायालय का उक्त आदेश निष्प्रभावी नहीं होता। ऐसे में आरोपी को गिरफ्तार कर उसके रिमांड प्रदान करने की समस्त कार्यवाही माननीय उच्च न्यायालय के उपरोक्त आदेश के परिप्रेक्ष्य में अवैध है। अगर अभियुक्त का रिमाण्ड निरस्तीकरण प्रार्थना खारिज कर दिया जाता है तो माननीय उच्च न्यायालय के उक्त आदेश की अवमानना होगी, जो विवेचक द्वारा की जा चुकी है, क्योंकि सीजेएम., सोनभद्र के माध्यम से व रजिस्टर्ड डाक से थाने को माननीय उच्च न्यायालय के उक्त आदेश की प्रति पूर्व में भेजी जा चुकी थी।
कदाचार की श्रेणी में आता है विवेचक का कृत्य: न्यायालय
न्यायालय ने माना कि विवेचक सुजीत कुमार सेठ द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के उक्त आदेश की अवहेलना की गई है। विवेचक का यह कृत्य कदाचार की श्रेणी में आता है और प्रस्तुत न्यायालय, विवेचक के द्वारा की गई माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के आदेश की अवहेलना के कार्य में भागीदार नहीं हो सकता है। क्योंकि उपरोक्त मामले में आरोपी सन विजय उर्फ रिंकू के विरूद्ध कोई उत्पीड़क कार्यवाही नहीं किए जाने का आदेश माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा पारित किया गया है। इसके बाद का कोई आदेश विवेचक और अभियोजन द्वारा दाखिल नहीं किया गया है। इसलिए यह उक्त आदेश के परिप्रेक्ष्य में सन विजय उर्फ रिंकू का रिमांड निरस्तीकरण प्रार्थना पत्र स्वीकार करने के लिए बाध्य है।
जनिए, कोर्ट ने क्या पारित किया आदेश
हाईकोर्ट की ओर से पूर्व में पारित आदेश को दृष्टिगत रखते हुए कोर्ट ने आदेश पारित किया कि धारा 363, 366, 376 (3) और पाक्सो एक्ट के मामले में, आरोपी सन विजय उर्फ रिंकू द्वारा प्रस्तुत रिमांड निरस्तीकरण प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए, उसका रिमांड निरस्त किया जाता है। आदेश दिया कि उसे अविलंब न्यायिक अभिरक्षा से मुक्त किया जाए। आदेश की प्रति आईजी मिर्जापुर, पुलिस अधीक्षक, थानाध्यक्ष राबर्टसगंज, जेल अधीक्षक गुरमा को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजी गई है।