भाजपा की बी पार्टी नहीं बसपा, दे रही बराबर की टक्कर, धनेश्वर गौतम ने साधा निशाना
Sonbhadra News: धनेश्वर गौतम ने कहा कि वकालत की पढ़ाई पढ़ने के पूर्व से ही वह बसपा के विचाराधारा से प्रभावित रहे हैं। उनके बड़े भाई बसपा के स्थापना काल से ही, बसपा के साथ थे।
Sonbhadra News: एक तरफ जहां राबर्ट्सगंज संसदीय सीट पर सांसद पकौड़ीलाल की विधायक बहू रिंकी कोल को चुनावी मैदान में उतारकर जीत के लिए जी-तोड़ कोशिश बनी हुई है। सपा की ओर से भाजपा के पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार को टिकट देकर बड़ा सियासी दांव खेला गया है। वहीं, बसपा की ओर से बेस वोटरों को साधने के साथ ही भाजपा के नाराजगी वाले, खासकर अगड़े वोटरों को साधने के हो रहे प्रयास ने राबटर्सगंज सीट की लड़ाई को त्रिकोणीय मोड़ दे रखा है। बसपा ने छानबे विधानसभा सीट से दो बार चुनाव लड़ चुके धनेश्वर गौतम को उम्मीदवार बनाया है। वह मोदी मैजिक और सपा के सियासी दांव के बीच खुद को कहां पाते हैं और अब तक उनके सियासी सफर की क्या स्थिति रही है। इस पर न्यूजट्रैक ने उनसे कई मुद्दों पर सीधे सवाल दागे, जिसका उन्होंने कुछ इस तरह बेबाकी से जवाब दिया...।
सवालः अधिवक्ता होते हुए भी राजनीति को क्यों चुना?
जवाबः धनेश्वर गौतम ने कहा कि वकालत की पढ़ाई पढ़ने के पूर्व से ही वह बसपा के विचाराधारा से प्रभावित रहे हैं। उनके बड़े भाई बसपा के स्थापना काल से ही, बसपा के साथ थे, उनके प्रेरणा लेकर, राजनीति की राह चुनी और छात्र जीवन से ही बसपा के साथ सियासी सफर करते हुए मंडल कोआर्डिनेटर का का दौर पूरा किया। पार्टी सुप्रीमो बहन मायावती की ओर से वर्ष 2017 और 2022 में छानबे विधानसभा से चुनाव लड़ने का मौका भी दिया गया।
सवालः अगर आप राजनीति में नहीं आते तो क्या करते?
जवाबः राजनीति मेरा शौक है। वह अधिवक्ता होने के साथ ही, अमीन की नौकरी छोड़ चुके हैं। पत्नी शिक्षिका है। पारिवारिक व्यवसाय के रूप में पेट्रोल पंप है। कहा कि उन्हें बसपा की विचारधाना शुरू से प्रभावित करती रही है। बसपा के साथ करने के दौरान उन्होंने पाया कि बसपा एक पार्टी नहीं बल्कि मिशन है। उनके पार्टी के संस्थापक स्व. कांशीराम से तीन बार मिलने का मौका मिला। पहली मुलाकात स्वयं के गांव में हुई थी।
सवालः मौजूदा राजनीतिक परिवेश में खुद को कहां पाते हैं और पार्टी के चुनावी परिदृश्य की क्या स्थिति है?
जवाबः राजनीति व्यवसाय नहीं, सेवा भाव मांगती है। विपरीत परिस्थतियों में भी, धैर्य बनाए रखने की जरूरत है। चुनाव में बसपा को हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है। वैसे भी बसपा सर्व समाज की बात करती है। बहन मायावती ने ब्राह्मण, मुस्लिम, क्षत्रिय, यादव, चौहान सभी को टिकट दिया है। बीएसपी और बहन मायावती झूठे वायदों, जुमलों का सहारा नहीं लेती, बल्कि जनता से किए वायदों को पूरा करने और उनके हित में फैसले लेने में विश्वास करती है।
सवालः आपकी नजर में सोनभद्र की बड़ी समस्या क्या है?
जवाबः विस्थापन सोनभद्र का सबसे बड़ा मसला है। औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद, विस्थापित बस्तियों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। विस्थापित युवाओं के लिए रोजगार नहीं है। रोजगार दिया भी जा रहा है तो सबसे निचले पायदान की नौकरी दी जा रही है। कहा कि इसी तरह यहां शुद्ध पेयजल, प्रदूषण, बेरोजगारी, सिंचाई जैसी समस्याएं मुंह बाएं खड़ी है, जिसको लेकर सड़क से सदन तक मजबूती से आवाज उठाने की जरूरत है।
सवालः बसपा को भाजपा की बी पार्टी कहा जा रहा है, इस चुनौती से कैसे निबटेंगे?
जवाबः बसपा को मिलते समर्थन और सर्वसमाज की बढ़ती लोकप्रियता से घबड़ाकर सपा की ओर से इस तरह का अनर्गल प्रलाप किया जा रहा है। कहा कि उन्हें तो लगता है कि सपा भाजपा की बी पार्टी है। मुलायम सिंह यादव द्वारा मोदी को पीएम बनने संबंधी पूर्व के बयान का जिक्र करते कहते सपा पर बड़ा आरोप लगाया। कहा कि सपा की ओर से अंदरूनी समझौता करते हुए भाजपा से आए लोगों को टिकट थमाया गया है। राबर्टसगंज और मिर्जापुर संसदीय सीट इसका बड़ा उदाहरण है, जहां ऐन वक्त पर भाजपा से आए लोगों को चुनावी मैदान में उतार दिया गया। कहा कि बसपा किसी के सहयोग से नहीं, अकेले चुनाव लड़ती है और इस बार का चुनावी समय बसपा के लिए बड़ी जीत का परिणाम देने जा रहा है।