Sonbhadra News: प्रसव के दौरान बरती थी लापरवाही, डॉक्टर को भुगतनी होगी छह माह की कैद, एक लाख क्षतिपूर्ति भी देनी होगी
Sonbhadra News: आरोप है कि ऑपरेशन के बाद प्रसूता की हालत काफी गंभीर हो गई। आपरेशन कक्ष से बाहर आने के थोड़ी देर बाद ही कलावती की मौत हो गई। डा. महेंद्र कुमार को ऑपरेशन में लापरवाही के लिए दोषी पाया गया।
Sonbhadra News: आरोप है कि ऑपरेशन के बाद प्रसूता की हालत काफी गंभीर हो गई। आपरेशन कक्ष से बाहर आने के थोड़ी देर बाद ही कलावती की मौत हो गई। डा. महेंद्र कुमार को ऑपरेशन में लापरवाही के लिए दोषी पाया गया और अदालत की तरफ से उन्हें छह माह कैद की सजा सुनाने के साथ ही, एक लाख बतौर क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया गया।
सोनभद्र। प्रसव के दौरान बरती गई लापरवाही और इसके चलते महिला की मौत के मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार यादव प्रथम की अदालत ने शनिवार को इस मामले में अहम फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान अदालत के सामने आए साक्ष्यों, दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई दलीलों को दृष्टिगत रखते हुए डॉक्टर पर दोषसिद्ध पाया और प्रसव के दौरान लापरवाही पूर्वक आपरेशन के लिए दोषी डाक्टर महेंद्र को छह माह की कैद की सजा सुनाई। साथ ही पीड़ित पक्ष को दो माह के भीतर एक लाख की क्षतिपूर्ति देने का भी आदेश दिया।
ऑपरेशन के बाद प्रसूता की हालत काफी गंभीर हो गई
अभियोजन कथानक के मुताबिक बभनी थाना क्षेत्र के जरहा टोला बभनी निवासी विद्या शंकर के पत्नी कलावती को प्रसव पीड़ा होने पर 29 सितंबर 2014 की रात में म्योरपुर थाना क्षेत्र के लिलासी मोड़ स्थित लक्ष्मी सेवा केंद्र में भर्ती कराया गया था। वहां मौजूद डा. महेंद्र कुमार ने अगले दिन विद्याशंकर से कहा कि उसकी पत्नी का आपरेशन करना पड़ेगा। सहमति जताने के बाद उसी दिन दोपहर बाद तीन बजे डा. महेंद्र कुमार ने सहयोगियों के साथ मिलकर प्रसूता का आपरेशन किया। आरोप है कि ऑपरेशन के बाद प्रसूता की हालत काफी गंभीर हो गई। आपरेशन कक्ष से बाहर आने के थोड़ी देर बाद ही कलावती की मौत हो गई।
लापरवाही के लिए दोषी पाया
मामले को लेकर प्रसूता के पति ने म्योरपुर थाने पहुंचकर तहरीर दी, जिस पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू की। अधिवक्ताओं की तरफ से पेश किए तर्क, गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन करने के बाद डा. महेंद्र कुमार को ऑपरेशन में लापरवाही के लिए दोषी पाया गया और अदालत की तरफ से उन्हें छह माह कैद की सजा सुनाने के साथ ही, एक लाख बतौर क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया गया। अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले की पैरवी जिला शासकीय अधिवक्ता ज्ञानेंद्र शरण राय की तरफ से की गई।