Sonbhadra News: 1100 करोड़ का हाइवे, पार्ट-3, यूपी का ऐसा अनोखा हाइवे, जहां नहीं मिलती फास्टटैग(FASTag)जैसी सुविधा

Sonbhadra News: बगैर नंबर-अधूरे नंबर वाले वाहनों को दिया जाता है A/F का सुरक्षा कवच, रात भर चलता है सरकारी खजाने को चपत का खेल।

Update:2023-06-15 15:11 IST

Sonbhadra News: क्षेत्रफल के साथ ही सरकार के खजाने को भरने में भी यूपी में दूसरा स्थान रखने वाले सोनभद्र में यूपी का एक ऐसा हाइवे है, जिससे गुजरने वाले वाहनों को फास्टटैग जैसी सुविधा तो नहीं मिलती...। अलबत्ता बगैर नंबर-अधूरे नंबर वाले वाहनों को A/F का कवच पहनाकर, ओवरलोड तथा बगैर परमिट परिवहन को बढ़ावा जरूर दिया जा रहा है। दिलचस्प मसला यह है कि रात के अंधेरे में जहां सैकड़ों वाहन बगैर नंबर-अधूरे नंबर प्लेट के साथ गुजरते हैं, वहीं परिवहन और खान विभाग के जिन हाकिमों पर, इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी है, उनके मातहत भी, A/F के पहनाए जा रहे कवच के साथ हमजोली करते नजर आते हैं।

‘कटवाइए A/F की रसीद’...और दौड़ाते रहिए बगैर नंबर वाले वाहन!

बात हो रही है वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग की। इस पर गुजरने वाले वाहनों से वसूली के लिए, महज 111 किमी के दायरे में चार टोल प्लाजा स्थापित हैं लेकिन किसी पर भी फास्टटैग जैसी सुविधा नहीं है। अलबत्ता यहां से गुजरने वाले बगैर नंबर तथा अधूरे नंबर वाले वाहनों की A/F में रसीद काटकर, बगैर नंबर के ही टोल प्लाजा से गुजरने की अनुमति मिल जाती है। इसके पीछे टोल प्लाजा वालों का तर्क होता है कि उन्हें गुजरने वाले वाहनों से टैक्स वसूली से मतलब है, बगैर नंबर-अधूरा नंबर प्लेट लगाकर चलने वाले वाहनों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी संबंधित विभागों की है।

टोल प्लाजा संचालकों की जिम्मदेारी, A/F में ना काटें रसीद - परिवहन महकमा

सार्वजनिक तथ्य है कि अब सड़कों पर ए/एफ (A/F) का लोगो या स्टीकर लगाकर वाहन चलाना प्रतिबंधित कर दिया गया है। शोरूम से निकलने वाली गाड़ियां भी अस्थाई नंबर लेकर निकलती हैं। उसके 30 दिन के भीतर, संबंधित जिले के परिवहन कार्यालय से स्थाई नंबर लेना जरूरी होता है। इसके बाद पंजीयन के साथ पकड़े जाने पर भारी पेनाल्टी का नियम है लेकिन सोनभद्र से गुजरने वाला हाइवे, एक ऐसा हाइवे है, जिस पर इस नियम को शायद ही लागू किया जाता है। इस बारे में सेलफोन पर आरटीओ मिर्जापुर संजय तिवारी से जानकारी ली गई तो उनका कहना था कि बगैर नंबर-अधूरे नंबर वाले वाहनों की ए/एफ में रसीद काटना पूरी तरह गलत है। इसको लेकर कई बार लिखापढ़ी भी की जा चुकी है। वहीं, एआरटीओ सोनभद्र धनवीर यादव से उनके कार्यालय में जाकर, बात की गई तो उन्होंने इस बारे में किसी भी तरह का अधिकृत बयान देने से कन्नी काट ली। उनका कहना था कि यह काफी हाईप्रोफाइल मामला है। इसके बारे में उच्चाधिकारी ही कोई बयान दे सकते हैं।

यह है हकीकत, और ऐसे होता है सरकार की आंखों में धूल झोंक हर रात लाखों का चूना लगाने का खेल
‘न्यूज़ट्रैक’ संवाददाता ने जब रात के अंधेरे में हाइवे पर उतरकर, इसकी सच्चाई जांची तो सामने आई तस्वीरों ने, हर रात सरकार की आंखों में धूल झोंककर राजस्व को चपत लगाने के खेल की एक-एक परत तो खोलकर रख ही दी। नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर कई लोगों ने यह भी बताया कि जब ए/एफ में रसीद कटी होगी तो टोल प्लाजा से ओवरलोड और बगैर नंबर वाले वाहनों की सूची या संख्या की जानकारी के बाद भी किसी अधिकारी की तरफ से इसलिए कोई कार्रवाई संभव नहीं हो पाएगी, क्योंकि ए/एफ की रसीद कटने के साथ ही, टोल रसीद के जरिए होने वाली वाहन की वास्तविक पहचान गायब हो चुकी होती है।

एम-चेक टैग का भी है तोड़, बस हाथ में होना चाहिए सेटिंग का जुगाड़ः

बगैर नंबर या अधूरे नंबर वाले वाहन बगैर परमिट तथा ओवरलोड खनिज लेकर, बगैर कार्रवाई के न निकले पाएं, इसके लिए जिलाधिकारी चंद्रविजय सिंह ने सभी वाहनों पर एम-चेक टैग लगे होने और उसकी सख्ती से चेकिंग का निर्देश दे रखा है। वहीं एडीएम सहदेव मिश्रा की तरफ से भी लगातार, निर्देश दिए जा रहे हैं। बावजूद रात में सलखन से लेकर राबर्टसगंज के फ्लाईओवर तक ऑन कैमरा सच्चाई जांची गई तो पता चला कि बगैर नंबर-अधूरे नंबर वाहन टोल प्लाजा होते हुए आसानी से दौड़ तो लगा ही रहे हैं, एआरटीओ कार्यालय के करीब, पिकेट बैरियर लगाकर चेकिंग में लगे एक्स आर्मी के जवानों के हाथों में भी कागज पहुंचने के साथ ही, वाहनों को आगे बढ़ने की छूट मिल जा रही है। इसके पीछे कोई कोडवर्ड है या फिर चर्चाओं में रहने वाला सेटिंग का जुगाड़, यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा, अलबत्ता कैमरे पर नजर पड़ते ही एक्स आर्मी जवानों का जिस तरह से रिएक्शन सामने आया, उसने यह तो बता ही दिया कि काफी कुछ गड़बड़ है। इस बारे में ज्येष्ठ खान अधिकारी से उनके सेलफोन पर संपर्क कर जानकारी लेने का प्रयास किया गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए।

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