Sonbhadra News: यूपीपीसीएल, यूपीआरवीयूएनएल के एमडी सहित कई को हाईकोर्ट ने किया तलब, विस्थापितों के पुर्नस्थापन से जुड़ा मामला:
Sonbhadra News: याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि सर्वाेच्च न्यायालय मे दाखिल जनहित याचिका में दो मार्च, 2012 बेलवादह, कुलडोमरी, पिपरी, औडी, परासी, ककरी, अनपरा के हजारों प्रभावित परिवारो को पुर्नवास पुर्नस्थापन लाभ दिए जाने का आदेश दिया गया था।
Sonbhadra News: अनपरा परिक्षेत्र में विस्थापितों के पुनसर््थापन लाभ से जुड़े मसले को लेकर हाईकोर्ट में 104 विस्थापितों की तरफ से दाखिल की गई सामूहिक याचिका को लेकर हाईकोर्ट ने यूपीपीसीएल और यूपीआरवीएनएल के एमडी, अनपरा तापीय परियोजना के सीजीएम और जिले के डीएम को सुनवाई के लिए तलब किया है। दाखिल की गई यािचका के क्रम में जवाब न दाखिल किए जाने को गंभीरता से लेते हुए न्यायमूर्ति सलिल कुमार शुक्ला और न्यायमूर्ति सुरेंद्र कुमार सिंह की पीठ वाली डबल बेंच ने काउंटर दाखिल करने में हुई देरी पर, हलफनामा दाखिल करने का भी आदेश दिया है। मामले में सुनवाई के लिए अगली तिथि 11 दिसंबर तय की गई है।
राजेंद्र प्रसाद सहित 104 विस्थापितों ने अधिवक्ता अभिषेक कुमार चौबे के जरिए वर्ष 2017 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। अनपरा परियोजना के साथ ही, करैला-शक्तिनगर रेल लाइन के दोहरीकरण के विस्तार से खुद को प्रभावित बताते हुए, पूर्ण पुनसर््थापन लाभ दिलाए जाने की गुहार लगाई थी। हाईकोर्ट ने इस मसले पर संबंधित पक्षकारों को 29 अगस्त 2017 को नोटिस जारी करते हुए, चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था। गत 7 जुलाई, 2023 को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की बेंच ने पाया कि अभी उत्तरदाताओं की तरफ से जवाबी हलफनामा नहीं आया है। इस पर कोर्ट ने एक अवसर देते हुए कहा कि अगर जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया तो न्यायालय व्यक्तिगत रूप से उत्तरदाताओं को बुलाने के लिए बाध्य होगा। 23 नवंबर को सुनवाई करते समय, न्यायमूर्ति सलिल कुमार शुक्ला और न्यायमूर्ति सुरेंद्र कुमार सिंह की मौजूदगी वाली बेंच ने पाया कि अभी तक मामले पक्षकारों की तरफ से कोई प्रति शपथ पत्र दाखिल नहीं हुआ है। इसको गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने यूपीपीसीएल और यूपीआरवीएनएल के एमडी, अनपरा तापीय परियोजना के सीजीएम और जिले के डीएम को अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होने के लिए आदेश पारित किया। वहीं, अगली निर्धारित तारीख पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के साथ, काउंटर दाखिल करने में हुई देरी को स्पष्ट करने वाला एक व्यक्तिगत हलफनामा भी दाखिल करने के लिए कहा है।
इस आधार पर की जा रही पुनर्स्थापन लाभ की मांग
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि सर्वाेच्च न्यायालय मे दाखिल जनहित याचिका में दो मार्च, 2012 बेलवादह, कुलडोमरी, पिपरी, औडी, परासी, ककरी, अनपरा के हजारों प्रभावित परिवारो को पुर्नवास पुर्नस्थापन लाभ दिए जाने का आदेश दिया गया था। बावजूद बेलवादह और पिपरी गांव के सैकड़ों मकान-जमीन अधिग्रहण के बाद पुर्नवास प्लाट एवं पुर्नवास-पुर्नस्थापन लाभ नहीं मिल सका है। इसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय में दोबारा याचिका दाखिल की गई, जिस पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने का आदेश मिला। इसके क्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तरफ से वर्ष 2017 में इस मामले की सुनवाई शुरू की गई थी और अगस्त 2017 में संबंधित पक्षकारों से जवाब तलब किया गया था।याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मुख्यतः तत्समय प्रभावी राष्ट्रीय पुर्नवास पुर्नस्थापन नीति-2003 और यूपी सरकार की नई भूमि अधिग्रहण नीति दो जून, 2011 के अनुसार पुर्नवास-पुर्नस्थापन लाभ की मांग की जा रही है।