Sonbhadra News: कनहर सिंचाई बांध, 3500 करोड़ की परियोजना, 45 साल से निर्माण, फिर भी मुआवजे से वंचित हो गए सैकड़ों परिवार
Sonbhadra News: यूपी के 108 गांवों के साथ ही झारखंड की एक बड़ी एरिया को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए निर्मित कराई जा रही महत्वाकांक्षी कनहर परियोजना से जुड़ा मुआवजे का मसला अभी भी सैकड़ों परिवारों के लिए दर्द का कारण बना हुआ है।
Sonbhadra News: यूपी के 108 गांवों के साथ ही झारखंड की एक बड़ी एरिया को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए निर्मित कराई जा रही महत्वाकांक्षी कनहर परियोजना से जुड़ा मुआवजे का मसला अभी भी सैकड़ों परिवारों के लिए दर्द का कारण बना हुआ है। 45 साल से निर्मित हो रही परियेाजना की लागत, शुरूआती लागत 27.25 करोड़ से बढ़कर 3500 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है। बावजूद अभी भी सैकड़ों परिवार मुआवजे से वंचित हैं। यह स्थिति तब है, जब सिंचाई परियोजना का मुख्य हिस्सा कनहर बांध बनकर तैयार हो गया है। पहली बारिश में जलभराव की स्थिति को देखते हुए, नजदीकी गांवों के ग्रामीणों को हर हाल में 15 जून तक, घर खाली करने का अल्टीमेटम भी दे दिया गया है। ऐसे में मुआवजे से वंचित परिवार कहां जाएं? सैकड़़ों लोगों के लिए यह एक बड़ा सवाल बन गया है।
बताते चलें कि वर्ष 1977 में परियेाजना की आधारशिला रखी गई थी। वर्ष 78 से परियोजना का निर्माण और वर्ष 1982 में मुआवजे की प्रक्रिया शुरू हो गई। जमीन का मुआवजा देने के बाद अचानक से प्रक्रिया थम सी गई और बांध का निर्माण थमने के साथ ही मुआवजे का मसला भी ठंडे बस्ते में चला गया। 2014 में फिर से निर्माण और मुआवजे की प्रक्रिया तेजी से पकड़ी। ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर न्यूजट्रैक ने इसकी हकीकत जांची तो बकौल विस्थापित पता चला कि जिनको जमीन का मुआवजा मिला था, उनमें से कई का नाम आवासीय मुआवजे की लिस्ट से गायब कर दिया गया तो कई नाम ऐसे हैं, जिनका नाम भूमि मुआवजे वाली सूची में न होने के बाद भी आवासीय मुआवजे का चेक थमा दिया गया। इसमें कई नाम ऐसे भी बताए जा रहे हैं, जो किराएदार, झोलाछाप चिकित्सक बनकर डूब क्षेत्र में पहुंचे और सात करोड़ से अधिक मुआवजे की रकम सरकार से लेकर चलते बने। वहीं कई नाम ऐसे हैं, जिनका मुआवजा सूची में नाम होने के बाद भी, अभी तक विस्थापन लाभ नहीं मिला।
पहले दिया गया बेहतरी का भरोसा, फिर वर्षों के लिए लटका दी गई मुआवजे की प्रक्रियाः
जलभराव की जद में आने वाले डूब क्षेत्र के पहले गांव सुंदरी निवासी 65 वर्षीय रामविचार गुप्ता का कहना है कि वर्ष 1976 में यह भरोसा देकर जमीन ली गई थी कि उन लोगों को नहर किनारे बसाया जाएगा। वहां उन्हें बिजली, पानी, सड़क, मकान जैसी सभी बेसिक सुविधाएं मुहैया होंगी। 5000 प्रति बीघा मुआवजे का भरोसा भी दिया गया लेकिन जब 1982 में मुआवजे की बारी आई तो दर दो हजार प्रति बीघा कर दी गई। इसके बाद 2014 तक मुआवजे का मसला लटका रहा। इस कारण यह हुआ कि जमीनें महंगी होती चली गई और 2000 का मुआवजा महज, टोकन मनी बनकर रह गया। उनका यह भी कहना था कि मुआवजा तीन पीढ़ी को देना है लेकिन उनके बेटों को इससे वंचित कर दिया गया है।
पिता को दिया जमीन का मुआवजा, बेटों को कर दिया वंचितः
सुगवामान निवासी 49 वर्षीय मोतीलाल भुइयां बताते हैं कि कनहर बांध में होने वाले जलभराव में उनका घर सबसे पहले आने वाला है। विस्थापितों की तरफ से किए गए सर्वे में भी उनके घर को मकान नंबर एक का दर्जा दिया है। वर्ष 1982 में उनके पिता को भूमि का मुआवजा दिया गया था। उसके बाद की पीढ़ी को आवासीय मुआवजा मिलना था लेकिन लेकिन सरकारी अमले ने यह कहकर उन्हें मुआवजा देने से इंकार कर दिया है कि उनका मकान रिकर्ड में नहीं है। कहा कि डूब क्षेत्र की तीन बीघे जमीन के भरोसे उनका, उनकी पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण हो रहा था। बांध में पानी भरने के साथ ही, मकान और जमीन दोनों उनके हाथ से छिन जाएगी, ऐसे में वह कहां जाए, क्या करें, समझ में नहीं आ रहा।
सरकार दे वंचितों को राहत, मुआवजे का लगाए मरहमः
वरिष्ठ पत्रकार प्रभात कुमार कहते हैं कि यह कहानी किसी एक-दो परिवारों की नहीं बल्कि कनहर बांध की जद में आ रहे हर गांव, हर बस्ती की है। सरकार को चाहिए कि वंचितों को लेकर अलग से सर्वे की प्रक्रिया अपनाए और मुआवजे के जरिए उनके जख्मों पर मरहम लगाने का काम करे।
जानिए क्या बोलते हैं आंकड़े...
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि तो मुआवजे के लिए 4011 परिवार चयनितहैं। 3521 मुआवजा पा चुके हैं। प्रपत्र छह के माध्यम से भी चयनित 442 परिवारों में 80 को मुआवजा दे दिया गया है। आवासीय प्लाट की सूची में दर्ज 3450 नामों में 3350 को विस्थापन लाभ पहुंचाया जा चुके हैं।
विस्थापितों का दावा, 3125 परिवार मुआवजे से वंचितः
विस्थापित सपा सरकार के समय तैयार की गई सूची के दौरान, कुछ सरकारी नुमाइंदों पर बदले की भावना से कार्य किए जाने का आरोप लगाते हैं। बताते हैं कि कुल 3125 परिवारों को कोई न कोई कारण दिखाकर मुआवजे से वंचित कर दिया गया है। उसमें बघाड़ू में 66, गोंहड़ा में 60, अमवार में 158, कुदरी में 122, बरखोहरा में 346, सुगवामान में 331, कोरची में 733, भीसुर में 425, सुंदरी में 776, लाम्बी में 88, रंदह मे 18 परिवार ऐसे हैं जो घर-मकान होने के बावजूद मुआवजे से वंचित हैं।
रैपिड सर्वे के जरिए निर्धारित की गई मुआवजे की सूचीः एसडीएम
एसडीएम दुद्धी श्यामप्रताप सिंह कहते हैं कि रैपिड सर्वे के जरिए मुआवजे की सूची तैयार कराई गई थी। उसके आधार पर क्रमशः सभी को मुआवजा दिया जा रहा है। जिन लोगों का भी सूची में नाम है उन्हें मुआवजा मिलेगा। अभी शासन से पर्याप्त धन नहीं मिला है। इसलिए मुआवजे की सूची में शामिल सभी लोगों को अभी मुआवजा नहीं मिल पाया है। जैसे ही शासन से धन मिलता है, सभी को मुआवजे की राशि उपलब्ध करा दी जाएगी। हालात को देखते हुए मौजूदा प्राथमिकता यह है कि जो एरिया पहली बरसात में बांध के पानी की जद में आ रही है, वहां के लोगों का सुरक्षित विस्थापना करा लिया जाए। बता दें कि यूपी के कुल 11 गांव कनहर बांध के पानी में डूब रहे हैं।