Sonbhadra News: गालिब जयंती पर सजी मुशायरे की महफिल, शेरो-शायरी, गजल-काव्यपाठ से गुलजार रही रात
Sonbhadra News: लगातार 21वें वर्ष मित्रमंच की तरफ से सालाना मुशायरे और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
Sonbhadra News: देश के मशहूर शायर मिर्जा गालिब की जयंती पर बुधवार की रात लगातार 21वें वर्ष मित्रमंच की तरफ से सालाना मुशायरे और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान जहां शेरो-शायरी भरे नगमें और गजलों की कशिश लोगों को देर रात तक बांधे रही। वहीं, लोगों के अंतर्मन को छू जाने वाली कविताओं की प्रस्तुति ने कुछ ऐसी शमां बांधी कि कब आधी रात पार हो गई पता ही नहीं चला। जिला मुख्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में देश के नामचीन शायरों, कवियों और कवयित्रियों ने एक से बढ़कर एक गजल-शेरो-शायरी की प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटी।
मित्रमंच के संरक्षक दया सिंह और उमेश जालान ने गालिब की तस्वीर पर माल्यार्पण और शम्मा रोशन कर कार्यक्रम की शुरूआत की। मित्रमंच के अध्यक्ष विकास वर्मा बाबा और कार्यकारिणी विनोद कुमार चैबे, रामप्रसाद यादव, संदीप चैरसिया ने शायरों, कविल्कवयित्रियों को शाल और स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका अभिनंदन किया। वहीं शायर जावेद आसी की तरफ से कार्यक्रम की अध्यक्षता और दिल्ली से जुड़े हसन सोनभद्री की तरफ से संचालन की जिम्मेदारी संभाली गई।
लोगों को खूब भाया अंदाज-ए-गुफ्तगू
मुंबई, लखनऊ के साथ ही वाराणसी से ताल्लुक रखने वाली श्रुति भट्टाचार्य ने सरस्वती वंदना वर दे.., वीणावादिनी वर दे.. के जरिए कार्यक्रम को गति दी। जावेद आसी ने गालिब की गजल ‘‘हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है, तुम्हीं कहो कि ये अंदाज-ए-गुफ्तगू क्या है...‘‘ के जरिए गालिब की गजल और उनके व्यक्तित्व को याद किया।
क्यों जीतने से पहले मिलती शिकस्त है.. से लूटी वाहवाही
देवबंद से आए शायर जावेद आसी ने ‘‘विरासतों की जिदों में मकान टूट गए, इन आँधियों में कई खानदान टूट गए..‘‘, विकास वर्मा ने ‘‘कमबख्त जिन्दगी से हर कोई पश्त है, क्यों जीतने से पहले मिलती शिकस्त है..., हसन सोनभद्री ने ‘किसी मछली को पानी से निकालो, मेरी चाहत का अंदाजा लगा लो, अगर बेदाग हो तो चांद कैसा, मेरे किरदार में खामी निकालो..‘ के जरिए महफिल को ऐसी ऊंचाई दी कि हर कोई वाहवाह कह उठा।
नज्मों-गजलों की प्रस्तुति ने कराया यथार्थ का एहसास
पं. प्रेम बरेलवी ने ‘दौर कोई भी हो मुश्किल हुई शरीफों को, जिंदगी जालिमों की शानदार गुजरी है..‘, डॉ. सरफराज नवाज ने ‘‘बिस्तर पे करवटें मैं बदल क्यों नहीं रहा, इक दर्द का चराग था जल क्यों नहीं रहा..‘, पंकज त्यागी असीम ने ‘अगर लड़की अकेली शहर में जाने से डर जाए, तो बेहतर है कि हाकिम ख़ुद ही कुर्सी से उतर जाए..‘, दानिश जैदी ने ‘‘ख़त्म ये ता-सहर नहीं होता, जिक्र ये मुख़्तसर नहीं होता..‘, डॉ. शाद मशरिकी ने ‘शरीफों से कहो कांधा लगाएं, शराफत का जनाजा जा रहा है...‘, जैसी रचनाओं की प्रस्तुति से यथार्थ का बोध कराया।
रचनाओं से हर किसी के दिल में बनाई जगह
मनमोहन मिश्र ने ‘जो मेरे गीतों का इक-इक पेज है, दर्द का मेरे वो दस्तावेज है..‘, श्रुति भट्टाचार्य ने ‘तवायफ से बुरी निकली सियासत, भरी महफिल में नंगी हो गई थी..‘ डॉ. जसप्रीत कौर ‘फलक‘ ने ‘फिक्र-ओ-फन की मैं इक नाजुक डाली हूं, चढ़ते सूरज की मैं पहली लाली हूं, मेरी गजलों मे है कशिश मुहब्बत की, मै साहिर के शहर की रहने वाली हूं..‘ जैसी रचनाओं से लोगों के दिलों में जगह बनाई।
आयोजन में इनकी रही प्रमुख मौजूदगी
विकास वर्मा ने सभी का का धन्यवाद ज्ञापित किया। आयोजन में मित्रमंच के संरक्षक राधेश्याम बंका संदीप चैरसिया, एकराम खान, मुरली अग्रवाल, अशोक श्रीवास्तव, अमित वर्मा, आलोक वर्मा, ज्ञानेंद्र राय, धीरेंद्र अग्रहरि, संतोष वर्मा, राजेश सोनी, डॉ. गोविंद यादव, इसरार अहमद, प्रेम प्रकाश राय, फिरोज ख़ान, एमडी असलम सहित अन्य की मौजूदगी बनी रही।