Sonbhadra News: चुनाव के बदले समीकरण, आसान नहीं होगा जनता के सवालों का जवाब
Sonbhadra News: भाजपा समर्थकों की तरफ से पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार की तरफ से हाल में तैयार किए गए वीडियो गीत/रील का वीडियो वायरल कर, जवाब देने का भी दौर शुरू हो गया है।;
Sonbhadra News: राबटर्सगंज संसदीय क्षेत्र का चुनाव इस बार खासा दिलचस्प रहने वाला है। एक तरफ जहां अब तक भाजपा के नीतियों को आदर्श और पीएम मोदी को अपना नायक बताते आए सांसद छोटेलाल खरवार को सपा उम्मीदवार के रूप में जनता के बीच इससे जुड़े सवालों का जवाब देना होगा। वहीं, भाजपा गठबंधन की तरफ से, मौजूदा सांसद पकौड़ीलाल का टिकट कटने के बावजूद उनकी बहू रिंकी कोल और उनके समर्थकों को सांसद से जुड़े सवालों, नाराजगी से जुड़े मसलों से जूझते हुए चुनावी समर का दौर पूरा करना होगा।
वायरल हो रहे पुराने ऑडियो-वीडियो
एक तरफ जहां, सांसद पकौड़ीलाल कोल की तरफ से पूर्व में सवर्णों को लेकर कहे गए कथित अपशब्दों से जुड़े ऑडियो-वीडयो विभिन्न सोशल मीडिया हैंडलों पर जमकर वायरल किए जा रहे हैं। वहीं, भाजपा समर्थकों की तरफ से पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार की तरफ से हाल में तैयार किए गए वीडियो गीत/रील का वीडियो वायरल कर, जवाब देने का भी दौर शुरू हो गया है। इसमें जहां छोटेलाल खरवार लोगों से वर्ष 2024 के चुनाव में पीएम मोदी को तीसरा मौका दिए जाने की मांग करते दिख रहे हैं। वहीं, भारत माता की जय के साथ ही, उनके रील में भाजपा का झंडा भी लहराता दिख रहा है। अब भाजपा समर्थक, पूर्व सांसद के डेढ़-दो माह पूर्व तैयार किए वायरल क्लिप को सोशल मीडिया हैंडल पर वायरल कर पूर्व सांसद से इस बात का जवाब मांग रहे हैं कि आखिर वह लोकसभा चुनाव में किसको वोट दें? इसी तरह सांसद पकौड़ी की बहू को टिकट दिए जाने के मसले पर, सांसद पकौड़ीलाल से जुड़ा वायरल आडियो/वीडियो क्लिप सोशल मीडिया हैंडलों पर पोस्ट कर जवाब मांगा जा रहा है जिसमें भाजपा गठबंधन को वोट देना अगड़े वर्ग की मजबूरी बताते हुए सुना जा रहा है।
जनता के बीच जाकर भी देना पड़ेगा जवाब
ऐसा नहीं है कि सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए ही इस तरह के सवाल दागे जा रहे हैं। दोनों प्रमुख दलों के उम्मीदवारों को मतदाताओं के बीच, अपनी-अपनी पार्टी का विजन स्पष्ट करने के साथ ही, सोशल मीडिया पर उठाए जाते सवालों और वायरल किए जाते क्लिप को लेकर भी जवाब देना होगा। सातवें चरण के लिए पहली जून को होने वाले मतदान में अब महज 16 दिन का दौर शेष रह गया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता के बीच सुलग रहे सवाल और नामांकन के समय अचानक से बदले समीकरण, चुनावी फिजां को किस तरह का रंग देते नजर आते हैं?