Sonbhadra News: सत्तापक्ष की प्रमुखी को मिला अभयदान, अविश्वास प्रस्ताव के मसले पर हाईकोर्ट तक चली लड़ाई, चर्चा की आई बारी तो 47 सदस्य हो गए नदारद

Sonbhadra News: सत्तापक्ष के प्रतिष्ठा का विषय बन चुकी करमा ब्लाक की प्रमुखी को, अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले ही अभयदान मिल गया है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग करने वाले क्षेत्र पंचायत सदस्यों के एक ग्रुप ने जिला प्रशासन से लेकर हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ी।

Update:2024-01-04 19:27 IST

सत्तापक्ष की ब्लाक प्रमुखी के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव खारिज: Photo- Newstrack

Sonbhadra News: सत्तापक्ष के प्रतिष्ठा का विषय बन चुकी करमा ब्लाक की प्रमुखी को, अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले ही अभयदान मिल गया है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग करने वाले क्षेत्र पंचायत सदस्यों के एक ग्रुप ने जिला प्रशासन से लेकर हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद बृहस्पतिवार को जब अविश्वास की बारी आई तो 75 में 47 सदस्य ही नदारद हो गए। मौके पर महज 28 सदस्य पहुंचे। गणपूर्ति भी न हो पाने के कारण, अविश्वास का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया।

मामले को लेकर पिछले छह माह से चल रहा था दांव-पेंच

क्रमा ब्लाक की प्रमुखी को लेकर पिछले छह माह से दांव-पेंच की स्थिति बनी हुई थी। क्षेत्र पंचायत सदस्यों के एक ग्रुप ने जिला मुख्यालय पहुंचकर प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की मांग की थी और प्रमुख पर कई कार्यों में गड़बड़ी बरतने के भी आरेाप लगाए थे। हालांकि जिलाधिकारी की तरफ से सदस्यों को अविश्वास प्रस्ताव लेकर, उनके यहां उपस्थित होने के बजाय, सीडीओ के यहां उपस्थित होने के कारण, विधिक प्रक्रिया का पालन न होने की बात कहते हुए, प्रस्ताव पर चर्चा से इंकार कर दिया गया।

प्रशासन ने किया चर्चा से इंकार तो हाईकोर्ट में दी गई चुनौती

जिला प्रशासन की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से इंकार के बाद, संबंधित पक्ष ने, डीएम के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी। जहां जिला प्रशासन से जरूरी जानकारी तलब करने के बाद, हाईकोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने का आदेश दिया। इसके क्रम में डीएम/जिला निर्वाचन अधिकारी की तरफ से बृहस्पतिवार को करमा ब्लाक पर चर्चा के लिए तिथि तय कर दी गई।

निर्धारित समय सीमा तक महज 28 सदस्य पहुंचे

अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए जो समयसीधा निर्धारित की गई थी। उसके व्यतीत होने के बाद भी, करमा ब्लाक पर महज 28 सदस्य ही पहुंच पाए। वहां, इस चुनाव की देखरेख के लिए तैनात डिप्टी कलक्टर प्रमोद तिवारी के मुताबिक चर्चा के लिए 75 सदस्यों में से कम से कम 38 सदस्य उपस्थित होने चाहिए, लेकिन महज 28 सदस्य ही पहुंचने के कारण, कोरमपूर्ति भी नहीं हो पाई। इस कारण अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया है।

42 ने दिया था समर्थन, 55 ने जताया था अविश्वास

बताते चलें कि वर्ष 2021 में नवसृजित करमा ब्लाक की पहली प्रमुख भाजपा की सीमा कोल निर्वाचित हुई थी। 75 में 42 सदस्यों ने उनके प्रति अपना समर्थन जताया था। वहीं उनकी प्रतिद्वंदी रही मीना देवी को महज 32 सदस्यों के मत मिल पाए थे लेकिन अविश्वास प्रस्ताव को लेकर पत्रक सौंपते समय 55 सदस्य, ने प्रमुख के प्रति असंतोष जाहिर किया था। इसको देखते हुए, प्रमुखी जाना तय माना जा रहा था लेकिन बृहस्पतिवार को सामने आए उलटफेर भरे घटनाक्रम के चलते अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा तो दूर, कोरमपूर्ति के लिए जरूरी सदस्यों की भी संख्या सुनिश्चित नहीं हो पाई।

पेंच फंसने की स्थिति पर बड़े बाबू को झेलना पड़ा था निलंबन

मामले में सीडीओ के यहां प्रस्तुत प्रस्ताव को, बगैर विधिक प्रावधानों का परिशीलन किए मार्किंग के लिए पत्रावली डीएम के यहां प्रस्तुत किए जाने के मामले में डीपीआरओ कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक को निलंबन की मार झेलनी पड़ी थी। इसके बाद यह मसला सुर्खियों में आ गया था। यहीं कारण था कि बृहस्पतिवार को प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा पर पूरे जिले की निगाहें टिकी हुई थी लेकिन शाम को सामने आए जानकारी न न केवल सत्तापक्ष को बड़ी राहत दी बल्कि प्रमुख के लिए भी एक निर्धारित समय के लिए अभयदान की स्थिति बना दी।

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