Sonbhadra News: नवनिर्वाचित सांसद के जाति प्रमाणपत्र को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती, आर्टिकल 226 के तहत दाखिल की गई याचिका
Sonbhadra News: छोटेलाल खरवार मूलतः चंदौली जिले के रहने वाले हैं, वहां खरवार बिरादरी को अनुसूचित जाति का दर्जा हासिल है। अब उन्होंने सोनभद्र के मुसहीं में अपना स्थाई निवास और यहां को वोटर आइडी कार्ड बनवा लिया है।
Sonbhadra News: राबटर्सगंज संसदीय सीट से नवनिर्वाचित सपा सांसद को, सांसद निर्वाचित होने के साथ ही बड़ी चुनौती मिली है। उनके अनुसूचित जाति के प्रमाणपत्र को चुनौती देते हुए, आर्टिकल 226 के तहत याचिका दाखिल किया है। बुधवार को हाईकोर्ट में, दाखिल याचिका का पंजीकरण करते हुए, सुनवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
अनपरा निवासी इंद्रजीत की ओर से अधिवक्ता के जरिए दाखिल याचिका भारत सरकार, राज्य सरकार, निर्वाचन आयुक्त, जिलाधिकारी सोनभद्र, जिलाधिकारी चंदौली और छोटेलाल खरवार को पक्षकार बनाते हुए याचना की गई है कि हाईकोर्ट इस मामले का संज्ञान लेते हुए परमादेश की प्रकृति में एक रिट आदेश या निर्देश जारी करे। छोटेलाल खरवार को अनुसूचित जाति का सदस्य घोषित करने के लिए जारी जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने का परमादेश दिया जाए।
सांसदी के लिए दाखिल किए गए नामांकन पत्र को पर्याप्त दोषों के साथ स्वीकार करने और शपथ पत्र में जाति प्रमाण पत्र से संबंधित कथित तथ्यों को छिपाने को अवैध अनुचित घोषित करने के संबंध में उचित आदेश-निर्देश पारित किए जाने की याचना की गई है। साथ ही हाईकोर्ट से यह भी याचना की गई है कि तथ्यों-परिस्थितियों का संज्ञान लेते हुए न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जो भी आदेश उचित हों, वह पारित किए जाएं।
यह है पूरा माजरा, जिसको लेकर दाखिल की गई है याचिका
छोटेलाल खरवार मूलतः चंदौली जिले के रहने वाले हैं, वहां खरवार बिरादरी को अनुसूचित जाति का दर्जा हासिल है। अब उन्होंने सोनभद्र के मुसहीं में अपना स्थाई निवास और यहां को वोटर आइडी कार्ड बनवा लिया है। नामांकन के वक्त दिए गए शपथ पत्र में भी उन्होंने सोनभद्र का ही पता प्रदर्शित किया। सोनभद्र में चूकि खरवार बिरादरी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल है और राबटर्सगंज संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस पेंचीदगियों का उल्लेख करते हुए नामांकन को चुनौती भी दी गई है कि लेकिन चंदौली जिले से जारी जाति प्रमाण पत्र वैध रहने के कारण, इस मसले पर जिला निर्वाचन अधिकारी ने किसी तरह का संज्ञान लेना उचित नहीं समझा। अब इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। अब वहां से क्या निर्णय आता है? इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।