Sonbhadra News: खंदकनुमा झील में तब्दील खदान ने निगल ली मासूम की जिंदगी, ट्यूब के सहारे नहाने के दौरान हादसा, शव बरामद

Sonbhadra News: गहरी खुदाई के चलते चोपन थाना अंतर्गत डाला एरिया में बाड़ी स्थित एक खदान गहरी खाईं में तब्दील होकर झीलनुमा शक्ल अख्तियार कर ली थी। खदान की गहराई से शव बरामद कर लिया गया

Update:2023-10-30 20:37 IST

Child Dies By Drowning in Sonbhadra Lake (Photo - Social - Media)

Sonbhadra News: चोपन थाना अंतर्गत डाला पुलिस चौकी क्षेत्र के बाडी में खंदकनुमा झील में तब्दील, एक पत्थर खदान में डूबकर सात वर्षीय मासूम की मौत हो गई। गहरी खुदाई के बाद खदान को खंदक हालात में छोड़ दिया गया था। पानी से लबालब भरे खदान में सात वर्षीय मासूम ट्यूब के सहारे नहाने के लिए गया हुआ था। उसी दौरान वह गहरे पानी में समा गया। जब तक वहां मौजूद लोग कुछ कर पाते, उसकी मौत हो गई।

गोताखोरों की मदद से पुलिस ने शव की तलाश कराते हुए देर शाम बरामद कर लिया। पंचनामा की प्रक्रिया पूरी कर शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया। हादसे को लेकर कोहराम की स्थिति बनी रही।

बताते हैं कि गहरी खुदाई के चलते चोपन थाना अंतर्गत डाला एरिया में बाड़ी स्थित एक खदान गहरी खाईं में तब्दील होकर झीलनुमा शक्ल अख्तियार कर ली थी। खदान में बारिश का पानी लबालब भरा हुआ था। सोमवार की शाम चार बजे के करीब आसिफ ऊर्फ डूग्गू सात वर्ष पुत्र असफाक खान ऊर्फ नखडू निवासी बाड़ी जो कक्षा तीन का छात्र है। अपने बड़े भाई रेहान 10 वर्ष, पडोसी सुनील आठ वर्ष, चिंटू सात वर्ष के साथ नहाने के लिए गया हुआ था। बताते हैं कि आसिफ हवा भरी ट्यूब के सहारे खदान में उतरकर नहा रहा था। उसी दौरान उसका हाथ ट्यूब से छूट गया और गहरे पानी में समा गया। उसे डूबता देख शोर मचाते हुए उसका बड़ा भाई और अन्य बच्चे घर पहुंचे। परिवार वालों को हादसे की जानकारी दी। घटना की जानकारी पाते हुए परिवार के लोग दौड़ते हुए खदान पर पहुंचे । लेकिन तब तक आसिफ गहरे पानी में समा चुका था। 112 नंबर डायल कर पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने वाकए की जानकारी ली और गोताखोरों की मदद से देर शाम सात बजे के करीब, खदान की गहराई से शव बरामद कर लिया गया।

बंद पड़ी खदानों के प्रति जिम्मेदान बने हुए हैं उदासीन

ओबरा-डाला क्षेत्र में कई पत्थर खदानें निष्प्रयोज्य घोषित होकर बंद पड़ी हैं और इसमें पानी भरा होने से इन खदानों ने झील की शक्ल अख्तियार कर ली है। इन खदानों में राख पटाव के साथ ही भस्सी-मिट्टी लेयर का भराव और पौधरोपण के निर्देश हैं। बावजूद, मौत के खंदक में तब्दील, बंद पड़ी खदानों पर किसी जिम्मेदार का ध्यान नहीं जा रहा है। यहीं कारण है कि बंद पड़ी गहरी खदानों में कभी उंचाई से गिरकर तो कभी पानी में डूबकर मौत की घटनाओं का सिलसिला बना हुआ है।

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