Sonbhadra News: बड़हर राजपरिवार पर शोक, बीते साल में दो मौतें, पहले इकलौते कुंवर और अब बड़ी राजकुमारी की टूटी सांसें
Sonbhadra News: गंभीर बीमारी से जूझ रही, राजकुमारी का बुधवार की सुबह लखनऊ में उपचार के दौरान निधन हो गया। इससे जहां, यह राजघराना शोक के सागर में डूब गया।
Sonbhadra News: बड़हर स्टेट (अगोरी स्टेट) से जुडे़ राजघराने पर बुधवार का दिन खासा भारी रहा। तीन वर्ष पूर्व स्टेट के एकलौते कुंवर के असामयिक निधन के दुःख से अभी यह राजघराना उबर भी नहीं पाया था कि बुधवार को इस स्टेट की बड़ी राजकुमारी दीक्षा सिंह ने भी महज 37 वर्ष की अवस्था में आखिरी सांसें ले ली। गंभीर बीमारी से जूझ रही, राजकुमारी का बुधवार की सुबह लखनऊ में उपचार के दौरान निधन हो गया। इससे जहां, यह राजघराना शोक के सागर में डूब गया। वहीं, विधि की इस विडंबना को लेकर लोग स्तब्ध नजर आए।
बताते हैं कि राजकुमारी दीक्षा की रायबरेली राजघराने में विवाह हुआ था। कुछ साल से वह मायके में ही रह रही थीं। कोरोना काल के समय 7 जुलाई 2020 को उनके इकलौते भाई एवं बड़हर स्टेट के कुंवर अभ्युदय सिंह की महज 30 वर्ष की अवस्था में उपचार के लिए वाराणसी ले जाते समय मौत हो गई। इकलौते कुंवर की मौत ने जहां बड़हर स्टेट परिवार के साथ ही, इस स्टेट से जुड़े लोगों को स्तब्ध करके रख दिया था। वहीं, बुधवार को राजकुमारी दीक्षा के निधन की आई खबर ने लोगों को भौंचक करके रख दिया। बताया गया कि पिछले कुछ समय वह गंभीर बीमारी से पीड़ित चल रही थी। इसको लेकर उन्हें लखनऊ स्थित मेदांता हास्पीटल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। जैसे ही जिले के लोगों को इसकी खबर मिली लोग अवाक रह गए। राजपरिवार से जुड़े लोगों में शोक की लहर दौड़ गई।
अब इकलौती राजकुमारी और बेटे की बहू पर टिका राजघराने का भविष्य
एकलौते राजकुंवर अभ्युदय ब्रहमशाह और बड़ी राजकुमारी दीक्षा सिंह का निधन होने के बाद, अब इस परिवार की पूरी जिम्मेदारी जहां एक बार फिर से उनके पिता एवं बड़हर स्टेट के युवराज आभूषण ब्रह्मशाह के कंधों पर आ गई है। वहीं, अब इस परिवार का भविष्य राजस्थान के राजघराने से जुड़ी इकलौती बहू बिदेश्वरी सिंह राठौड़ और श्रावस्ती के भिनगा राजपरिवार से जुड़ी छोटी राजकुमारी मोनिशा कुमारी पर टिक गया है।
अजीब संयोग: पहले मंगल बना अमंगल, अब बुधवार का दिन पड़ा भारी
राजपरिवार पर हुए वज्रपात को लेकर अजीब संयोग सामने आया है। इकलौते राजकुंवर को लेकर जहां मंगल का दिन अमंगल के रूप में सामने आया। वहीं, बुधवार का दिन राजकुमारी के निधन के रूप में राजकुमार के लिए भारी साबित हुआ। लोग भी विधि की इस विडंबना और अजीब संयोग को लेकर भौंचक बने रहे। राजसत्ता की समाप्ति के बाद भी जनता के बीच अपनी सरलता और लोकप्रियता के चलते राजा का सम्मान पाने वाले इस परिवार के भविष्य की बागडोर, अब पूरी तरह से किसके हाथ में होगी, इसको लेकर भी चर्चाएं बनी रही। वहीं, तमाम लोग शोकसंतप्त परिजनों को ढांढ़स बंधाने के साथ ही, धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते नजर आए।