Sonbhadra News: सोनभद्र में मिले पाषाणकालीन सभ्यता के निशान, नदी किनारे पाया गया टूल किट्स का भंडार
Sonbhadra News: सोनभद्र मे पाषणकालीन सभ्यता के महत्वपूर्ण निशान पाए गए हैं। पिछले सप्ताह, यहां का सर्वे कर लौटी, लखनऊ विश्वविद्यालय के टीम की तरफ से दावा किया गया है कि यहां पाषाणयुगीन सभ्यता के एक नहीं कई निशान मिले हैं।
Sonbhadra News: सोनभद्र मे पाषणकालीन सभ्यता के महत्वपूर्ण निशान पाए गए हैं। पिछले सप्ताह, यहां का सर्वे कर लौटी, लखनऊ विश्वविद्यालय के टीम की तरफ से दावा किया गया है कि यहां पाषाणयुगीन सभ्यता के एक नहीं कई निशान मिले हैं। आदिमानवों से जुड़ा जहां टूल किट्स भंडार पाए जाने का दावा किया गया है। वहीं, सोनभद्र में जगह-जगह पाए जाने वाले गुफाचित्रों का भी पाषणकालीन सभ्यता से जुड़ाव का बड़ा दावा किया गया है और इसके संरक्षण की जरूरत जताई गई है। माना जा रहा है कि प्रोफेसर विभूति राय की अगुवाई वाली टीम की तरफ से की गई यह खोज, सोनभद्र में मानव सभ्यता के प्रारंभिक जीवन के शोध का नया द्वार खोलती नजर आ सकती है।
टीम ने इन चीजों को माना आधार
पिछले सप्ताह प्रोफेसर राय की अगुवाई में आए छात्रों के शोध दल ने सोन नदी किनारे वाले क्षेत्रों का दौरा किया था। इस दौरान टीम सेमिया गांव में सोन किनारे पहुंची तो पाषाणकालीन सभ्यता के जीवंत प्रमाण देख दंग रह गई। अगुवाई कर रहे प्रोफेसर विभूति राय ने बताया कि यहां 20 से 30 हजार साल पुराने पाषाणयुगीन (थोड़ा विकसित आदिमानव यानी मानव सभ्यता के विकास का दूसरा चरण) सभ्यता के निशान तो पाए ही गए। यहां उनके द्वारा आखेट एवं जानवरों से बचाव के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टूल किट्स (पत्थरों के औजार) का भी बड़ा भंडार पाया गया।
समूह में पाषाणयुगीन मानव के निवास का दावा
प्रोफेसर विभूति राय की तरफ से किए जा रहे दावों पर गौर करें तो 20 से 30 हजार साल पूर्व सोनभद्र में सोन नदी किनारे थोड़े विकसित आदिमानवों यानी पाषाणयुगीन मानवों का एक बडा समूह निवास कर रहा था। नदी किनारे उसके द्वारा फसल उगाया जाता था। उसके उपर वाले लेयर में जानवरों के पालन और उससे उपर वाले लेयर में निवास का काम करता था। उस दौरान आखेट और जानवरों से बचाव के लिए पाषाणयुगीन मानव द्वारा पत्थरों के औजार यानी, तीर में पत्थरों के ब्लेड इस्तेमाल किए जा रहे थे। प्रोफेसर राय ने बताया कि सोन नदी किनारे कई जगहों पर पाषाण युग के मानव से जुड़े टूल किट्स पाए गए हैं। उसमें सेमिया में इसका एक बड़ा भंडार देखने को मिला है, जिससे यह स्पष्ट है कि उस समय यहां थोड़े विकसित आदिमानवों का एक बड़ा समूह निवास कर रहा था।
प्रदेश सरकार से इसके संरक्षण के लिए उठाएंगे मांग
प्रोफेसर राय ने बताया कि सोनभद्र में मानव के प्रारंभिक जीवन से जुड़े कई प्रमाण पाए गए हैं। मानव जीवन के प्रारंभिक चरण के प्रमाण फासिल्स की बडी मौजूदगी तो पाई ही गई है। पाषायुगीन सभ्यता के भी बड़े प्रमाण मिले हैं। इसके अलावा बहुमूल्य धातुओं का भी भंडार मिलने की संभावना दिखी है। कहा कि इन सारी चीजों से वह प्रदेश सरकार को अवगत कराएंगे। उनकी मांग होगी कि सरकार इन धरोहरों को संरक्षित करने के साथ ही, पर्यटन की दृष्टि से भी संबंधित स्थलों का विकास और संरक्षण करे ताकि सोनभद्र की यह अनूठी धरोहर, पर्यटन की दुष्टि से भी बडे रोजगार और शोध का जरिया बन सके।