Sonbhadra News: सोनभद्र में रेशम उत्पादन की अपार संभावनाएं, कृषकों को प्रशिक्षण के साथ ही उपलब्ध कराई जाएगी जरूरी मदद, तसर किसान मेले का आयोजन
Sonbhadra News: केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रांची और रेशम विभाग के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को म्योरपुर इलाके के गोविेंदपुर स्थित बनवासी सेवा आश्रम में तसर किसान मेले का आयोजन किया गया।
Sonbhadra News: केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रांची और रेशम विभाग के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को म्योरपुर इलाके के गोविेंदपुर स्थित बनवासी सेवा आश्रम में तसर किसान मेले का आयोजन किया गया। इस दौरान तसर यानी रेशम कीटपालन से जुड़ी नई तकनीक-संभावनाओं की जानकारी देने के साथ ही, रेशम कीटपालन करने वाले कृषकों को जरूरी प्रशिक्षण और आर्थित मोर्चे पर मदद का भरोसा दिया गया। साथ ही, कम लागत में अधिक उत्पादन के मामले में, किसानों के लिए इसे काफी अच्छा बताते हुए, इससे ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने पर जोर दिया गया।
बतौर मुख्य अतिथि सीडीओ सौरभ गंगवार ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कहा कि जिले में पानी की कम उपलब्धता के कारण कृषि कार्य काफी जटिल है। ऐसे में वनों पर आधारित फसलों पर ध्यान देकर यहां के किसान काफी अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। जिले में रेशम उत्पादन की अपार संभावनाएं होने की बात कहते हुए कहा कि वन आधारित तसर यानी रेशम कीटपालन पर जोर देकर हम पर्यावरण की सुरक्षा के साथ, किसानों की आय को भी तीन से चार गुनार बढ़़ा सकते हैं।
स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हैं इससे जुड़ी सारी सुविधाएं
सीडीओ ने कहा कि जहां तसर रेशम उत्पादन से ले कर रेशम के कताई और बुनाई का काम जहां स्थानीय स्तर पर किया जा सकता है। वहीं रेशम की मांग वैश्विक बाजार में काफी होने के कारण आसानी से इससे अच्छी आय अर्जित की जा सकती है। कहा कि जिले में तसर के अतिरिक्त मलवारी, अंडी व कोसा रेशम के उत्पादन की भी ढेरों संभावनाएं हैं। इसको देखते हुए जहां रेशम विभाग द्वारा कृषकों को प्रशिक्षण दिए जाने की व्यवस्था बनाई गई है। वहीं, इसके लिए जरूरी संसाधन औद्योगिक संस्थानों के सीएसआर के माध्यम से सुलभ कराएजाने की योजना है। एसडीएम दुद्धी सुरेश राय ने किसानों से अपील की क वह रेशम उत्पादन के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर अधिक से अधिक उत्पादन करें ताकि उनकी आय तेजी से बढ़ सके।
स्वास्थ्य के अनुकूल होते हैं रेशम से बने वस्त्र
बीएचयू के प्रोफेसर भूपेंद्र सिंह ने कहा कि रेशम उत्पादन हमारे देश का प्राचीन उद्योग रहा है। जिसका प्रमाण हमारी प्राचीन सभ्यताओं से मिलता है,रेशम के वस्त्र लोकप्रिय होने के साथ स्वास्थ्य के अनुकूल होते हैं, इसीलिए इनकी मांग काफी है।
हो पहल तो बन जाए आदिवासियों के लिए बेहतर विकल्प
आश्रम की मंत्री शुभा प्रेम ने आयोजन के लिए रेशम विभाग, केंद्रीय रेशम बोर्ड का आभार जताते कहा कि तसर रेशम के लिए किसानों को सुविधाओं-प्रशिक्षण मिलने से जहां आदिवासी, निर्बल वर्ग की आय में वृद्धि होगी। वहीं, रेशम को एक जिला एक उत्पाद का बेहतर विकल्प बनाया जा सकता है। चूंकि इसके उत्पादन में मानवीय ऊर्जा का प्रयोग काफी महंगा साबित होता है। वहीं, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग से मशीनीकरण की अनुमति नही है। ऐसे में अगर इसको सोलर पावर से जोड़ दिया जाए तो जहां रेशम उत्पादन की लागत घट जाएगी, वहीं, किसानों खासकर आदिवासियों का इससे तेजी से जुड़ाव देखने को मिलेगा।
इनकी रही आयोजन में प्रमुख मौजूदगी
केंद्रीय रेशम बोर्ड के निदेशक एनवी चौधरी, सहायक निदेशक रेशम रणवीर सिंह ने भी विचार व्यक्त किए। खंड विकास अधिकारी हेमंत कुमार सिंह, सहायक विकास अधिकारी पंचायत काशी राम ठाकुर, हिंडाल्को जन सेवा ट्रस्ट के राजेश सिंह, पशुचिकित्साधिकारी राहुल राज, अशोक मौर्य, इंद्रदेव सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।