Sonbhadra: खेती-किसानी का ऐसे करें प्रबंधन, किसानों ने सीखा जैविक-प्राकृतिक खेती के गुर, कुटीर उद्योग को भी जाना

Sonbhadra News: म्योरपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत सांगोबांध जल प्रबंधन समिति से जुड़े दर्जन भर किसानों के दल ने महाराष्ट्र के यवतमाल एरिया में एक सप्ताह तक अलग-अलग गांव का दौरा कर वहां हो रही खेती किसानी की स्थिति देखी।

Update:2023-11-13 16:30 IST

खेती-किसानी के बारे में जानकारी लेते किसान (Social Media)


Sonbhadra News: ग्राम स्वराज से स्वावलंबन तक का सफर तय करने की कड़ी में सोनभद्र से किसानों के एक दल ने महाराष्ट्र का दौरा किया। आठ दिनी दौरे के क्रम में, किसानों ने महाराष्ट्र के यवतमाल पहुंचकर जैविक और प्राकृतिक खेती का हाल जाना। जैविक तरीके से खेती कर अच्छी आय कैसे हासिल करें? इसके बारे में जानकारी हासिल की। कृषि प्रबंधन का गुर भी सीखा।

म्योरपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत सांगोबांध जल प्रबंधन समिति से जुड़े दर्जन भर किसानों के दल ने महाराष्ट्र के यवतमाल एरिया में एक सप्ताह तक अलग-अलग गांव का दौरा कर वहां हो रही खेती किसानी की स्थिति देखी।   प्राकृतिक खेती के साथ ग्रामोद्योग, खादी प्रबंधन आदि के बारे में जानकारी हासिल की। नाबार्ड लखनऊ और बनवासी सेवा आश्रम के सहयोग से  इंजीनियर सुभाष चंद्रा, और सामाजिक कार्यकर्ता रमेश यादव के अगुवाई में यवतमाल के दौरे पर गए किसानों ने देश के चर्चित जैविक खेती विशेषज्ञ सुभाष शर्मा से प्राकृतिक खेती के उन्नत तरीके और उससे मिलने वाली बेहतर आय के मसले पर चर्चा की और जरूरी मालूमात हासिल किए।

बेहतर आय के लिए इस तरह करें खेती

जैविक खेती विशेषज्ञ सुभाष शर्मा ने किसानों को बताया कि प्राकृतिक तरीके से खेती करते हुए बेहतर आय के लिए जरूरी है कि  दो फीसद जमीन में पशुपालन, तीन फीसद जमीन में जल प्रबंधन, 30 फीसद जमीन में फ़लदार पौधरोपण और 65 फीसद में खेती करें। उन्होंने महज 16 एकड़ जमीन में प्रति वर्ष 35 लाख का उपज उत्पादित कर अच्छा मुनाफा कमाने के बारे में जानकारी भी दी।

खादी ग्रामोद्योग, घरेलू उत्पादों के बारे में की जानकारी हासिल

किसानों के टीम के साथ दौरे पर गए आश्रम के प्रबंधक विमल कुमार सिंह ने बताया कि  किसानों ने वहां की मिट्टी और उपज का  तुलनात्मक अध्ययन किया।  कई  किसानों और संस्थाओं के यहां भ्रमण कर खेती के साथ पशुपालन, ग्रामोद्योग, खादी कपड़ा निर्माण के बारे में जानकारी हासिल की। घरेलू उत्पाद अचार, साबुन, निर्माण बिस्किट, निर्माण के जरिए स्वावलंबी कैसे बना जाता है? इसको लेकर भी किसानों को जानकारियां उपलब्ध कराई गई।   जल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष राम लखन कोरवा,  अमृत लाल, उमेश, हीरामन, सुग्रीव, उमेश चौबे जगत नारायण आदि ने खेती-किसानी के प्रबंधन के बारे में जरूरी गुर सीखें।

Tags:    

Similar News