Sonbhadra: फाइलों में सिमटा यूपीपीसीबी का वायु प्रदूषण नियंत्रण, जानें पूरा मामला

Sonbhadra News: यूपीपीसीबी के मुख्य पर्यावरण अधिकारी वृत्त दो की तरफ से गत 10 जनवरी को सोनभद्र की आठ पत्थर खदानों सहित नौ खनन पट्टों के संचालन पर तत्काल प्रभाव से रोक का निर्देश, क्षेत्रीय अधिकारी सहित अन्य को दिया गया था।

Update:2024-03-24 19:35 IST

Sonbhadra News (Newstrack)

Sonbhadra News: एनजीटी की सख्ती के बाद भी वायु प्रदूषण नियंत्रण की कवायदें प्रभावी रूप से रंग नहीं ला पा रही है। एनजीटी की तरफ से जारी किए गए निर्देश के क्रम में गत 10 जनवरी को यूपीपीसीबी की तरफ से सोनभद्र में बगैर वायु-जल प्रदूषण एनओसी के ही संचालित हो रहे नौ खनन पट्टों के बंदी का जारी किया गया आदेश, महज फाइलों तक सिमट कर रह गया है। मुख्य पर्यावरण अधिकारी वृत्त-दो की तरफ से जारी आदेश के पालन की क्या स्थिति है, इसको लेकर क्षेत्रीय कार्यालय की तरफ से भी चुप्पी साध ली गई है। इसको लेकर उठाए जा रहे सवालों के परिप्रेक्ष्य में, पूर्व में जारी आदेश की, वर्तमान में क्रियान्वयन और प्रभाव की क्या स्थिति है? इसकी जानकारी के लिए क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क भी साधा गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिल पाया।

बताते चलें कि यूपीपीसीबी के मुख्य पर्यावरण अधिकारी वृत्त दो की तरफ से गत 10 जनवरी को सोनभद्र की आठ पत्थर खदानों सहित नौ खनन पट्टों के संचालन पर तत्काल प्रभाव से रोक का निर्देश, क्षेत्रीय अधिकारी सहित अन्य को दिया गया था। बताया गया था कि पिछले वर्ष एनजीटी में एक याचिका दाखिल की गई थी जिसमें यूपी में कई बालू-पत्थर खदानों को बगैर सीटीई/सीटीओ (जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 की धारा 25 और वायु प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम यथा संशोधित 1981 की धारा 21 के तहत सहमति लिए बगैर ही) के ही संचालित किए जाने का आरोप लगाया गया था। इसके क्रम में, गत 17 अक्टूबर 2023 को एनजीटी की मुख्य बेंच की ओर से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से यूपी में संचालित/अनुज्ञापित सभी खनन पट्टों के बाबत रिपोर्ट तलब कर ली गई।



 इन-इन खनन पट्टोें के पास सीटीई/सीटीओ न होने की दी गई रिपोर्ट

एनजीटी की तरफ से तलब की गई रिपोर्ट के क्रम में राबटर्सगंज तहसील क्षेत्र के सिरसिया ठकुराई में गाटा संख्या 52 की पांच हेक्टेअर एरिया में बिंदुवती देवी के नाम संचालित पत्थर खनन पट्टा, ओबरा तहसील क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी में गाटा संख्या 7536ग में संचालित चार हेक्टेअर एरिया का पत्थर खनन पट्टा, बिल्ली-मारकुंडी में ही मेसर्स श्री महादेव इंटरप्राइजेज, गाटा संख्या 4949ख, एरिया 5.880 हेक्टेअर, प्रोपराइट अरूण सिंह यादव के नाम जारी पत्थर खनन पट्टा, बिल्ली मारकुंडी में ही अजय कुमार सिंह के नाम गाटा संख्या 7536 ग में जारी चार हेक्टेअर के पत्थर खनन पट्टा, ओबरा तहसील क्षेत्र के ससनई में सोन नदी में अभिषेक कुमार सिंह की फर्म मेसर्स उन्नति इंजीनियिरंग के नाम गाटा संख्या 221छ में 18.215 हेक्टेअर के लिए जारी बालू खनन पट्टा, मेसर्स एकेएस इंडस्ट्रीज प्रोपराइटर अजय कुमार सिंह के नाम दुद्धी तहसील क्षेत्र के जाताजुआ में गाटा नंबर 2ग में जारी 1.670 हेक्टेअर का पत्थर खनन पट्टा, लखनऊ के रहने वाले राजीव कुमार शर्मा के नाम ओबरा तहसील क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी स्थित एरिया 1.80 हेक्टेअर की खदान और बारी डाला निवासी अमित मित्तल की मेसर्स अमित इंटरप्राइजेज के नाम बिल्ली-मारकुंडी खंड नंबर आठ रकबा 4.230 हेक्टेअर में संचालित पत्थर खनन को बगैर जल एवं वायु निवारण-नियंत्रण अधिनियम के ही संचालित होने की रिपोर्ट दी गई।


उत्पादन-संचालन की प्रक्रिया पर रोक के जारी किए गए थे निर्देश

एनजीटी को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया था कि 20 अक्टूबर 2023 को, संबंधित खनन पट्टों को कारण बताओ नोटिस जारी की गई थी लेकिन उनकी तरफ से न तो नोटिस का कोई प्रति उत्तर दिया गया न ही राज्य बोर्ड से जल एवं वायु अधिनियम के अंतर्गत सीटीई/सीटीओ प्राप्त किए जाने के संबंध में निवेश मित्र पोर्टल पर आवेदन की प्रक्रिया अपनाई गई। बंदी के जारी आदेश में कहा गया कि यह कृत्य जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 की धारा 25 और वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम की 1981 की धारा 21 का उल्लंघन है। इसलिए सक्षम अधिकारी के अनुमोदनोपरांत इकाई के सभी उत्पादन/संचालन प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाता है।


वहीं सक्षम अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वह इकाई/पट्टे को मिलने वाली खनन अनुज्ञा, पट्टा तथा पर्यावरणीय स्वीकृति को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दें। इस बारे में तत्कालीन समय में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी उमेश कुमार गुप्ता से बात की गई तो पहले तो उनके द्वारा ऐसे किसी निर्देश के बारे में ही अनभिज्ञता जताई गई जब उन्हें न्यूजट्रैक के पास निर्देश की प्रति होने की जानकारी दी गई तो उनका कहना था कि आदेश को किस तरह से प्रभावी बनाना है, इस बारे में उच्चाधिकारियों से निर्देश मिलना बाकी है। जैसे ही कोई निर्देश मिलेगा, कार्रवाई आगे बढ़ा दी जाएगी। संबंधित आदेश के क्रियान्वयन और मौजूदा प्रभाव की स्थिति के बारे में जानकारी के लिए, रविवार को क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी उमेश कुमार गुप्ता के सेलफोन और ह्वाटसअप दोनों पर संपर्क साधा गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। 

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