अभी तक दलितों का हिस्सा खाते थे ब्राम्हण, हक मांगने पर बढ़ी बेचैनी- सपा प्रवक्ता राजकुमार भाटी

Ramcharitmanas controversy: ओबीसी महा सम्मेलन में उन्होने कहा कि अभी तक पाण्डेय, मिश्रा, तिवारी.... सभी ब्राम्हण दलितों का हिस्सा खा रहे थे। जब हम लोग अपना हक मांगा तो बेचैनी हो रही है।

Written By :  Anant kumar shukla
Update: 2023-02-02 16:56 GMT

SP spokesperson Rajkumar Bhati (Social Media)

Ramcharitmanas controversy:बीते दिनों स्वामी प्रसाद मौर्या द्वारा रामचरितमानस को लेकर दिए गए विवादित बयान थमता नहीं नजर आ रहा। अब इस मामले में और सपा नेता ने स्वामी प्रसाद से भी ज्यादा विवादित बयान दिया हैं। सपा प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने एक ओबीसी महासम्मेलन में कहा है कि, अभी तक पाण्डेय, मिश्रा, तिवारी.... सभी ब्राम्हण दलितों का हिस्सा खा रहे थे। जब हम लोगों ने अपना हक मांगा तो बेचैनी हो रही है।

उन्होने कहा कि जहां शोषक समाज (ब्राम्हण समाज) के दो लोग बैठे होते हैं वहां दलितों की आवाज नहीं निकलती। ये हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है। हमें हर जगह बोलना चाहिए।

सनातन धर्म और राष्ट्र के नाम पर थोपी जाती है फर्जी बातें

उन्होने कहा कि सनातन धर्म और राष्ट्र के नाम पर शोषक वर्ग द्वारा फर्जी बातें थोपी जाती हैं। उनका विरोध करने के बजाय दलित समाज मौन धारण कर लेता है। क्योंकि हमे लगता है कि इनका विरोध करने पर राष्ट्रद्रोही घोषित कर दिए जाएंगे। धर्म द्रोही ठहरा दिए जाएंगे। धर्मशास्त्रों के विरोधी ठहरा दिए जाएंगे।

उन्होने कहा कि इस समय ट्रेंड में मुख्य रूप से तीन विषय चर्चा में है- जातीय जनगणना, रामचरितमानस विवाद और फर्जी बाबा जो लोगों को बेवकूफ बनाता घूम रहा है, पाखंडी है। उनका दावा है कि आने वाले कुछ समय में ही वो सलाखों के पीछे होगा। बाबाओं का यही इतिहास रहा है। ओबीसी समाज की सबसे बड़ी कमजोरी है कि मीडिया में इनकी संख्या बहुत कम है। जो थोड़ा बहुत हम लोग बोल पा रहे हैं वो सोशल मीडिया की देन है। नहीं तो मुख्य मीडिया में तो कोई जगह ही नहीं है। रामचरित मानस की चौपाई ढोल गंवार शुद्र पशु नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी। ये चौपाई सही है या गलत इस चर्चा में सिर्फ ब्राम्हण-तिवारी, मिश्रा व पाण्डेय। उसमें सिर्फ एक ओबीसी समाज के व्यक्ति को शामिल किया गया।

ताड़ना शब्द का अर्थ शिक्षा देना है तो ब्राम्हणों को ताड़ो- सपा प्रवक्ता

दिल्ली में आयोजित एक ओबीसी सभा में सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने ब्राम्हणों के खिलाफ जहर उगला। उन्होने कहा ब्राम्हण कहते हैं कि ताड़न का अर्थ शिक्षा देना है, तो ब्राम्हणों को ताड़ो हमें क्यों ताड़ रहे हो। ये वाक्य दलितों को बिना डरे हर जगह बोलना है। मीडिया में हमारे लोगों (ओबीसी, दलित) की कमी है। डिबेट में ज्यादातर तिवारी, त्रिपाठी व मिश्रा होते हैं जबकि दलित वर्ग के मुश्किल से एक सदस्य होते हैं। जिसका उन्हे फायदा मिलता है।

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