देश में हजार साल पुराने सैकड़ों मंदिर, तो राम मंदिर क्यों नहीं बन सकता ऐसा

मंदिर निर्माण के लिए नींव तैयार करने के लिए ठोस आधार की तलाश में जुटे इंजीनियरों ने पाया है कि जमीन के अंदर बालू का स्तर होने की वजह से मंदिर भवन टिकाऊ नहीं बनाया जा सकेगा। विशेषज्ञों की टीम बनाई गई है जो दूसरे विकल्पों के बारे में विचार कर रही है।

Update:2021-01-02 16:39 IST
देश में हजार साल पुराने सैकड़ों मंदिर, अयोध्या में राम मंदिर पर सवाल क्यों ?

अखिलेश तिवारी

लखनऊ। अयोध्या में श्री राम मंदिर के स्थायित्व को लेकर सवाल उठ रहे हैं। नींव की जमीन में बालू पाए जाने के बाद इंजीनियरों ने हजार साल तक टिकने वाला मंदिर बनाने से हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में हजार साल से ज्यादा पुराने देश के सैकड़ों मंदिर की स्थापत्य कला लोगों का ध्यान बरबस खींच रही है। तीसरी-चौथी ईसवी में बने कई ऐसे मंदिर हैं जो आज भी अपने स्थान पर मजबूती से खड़े हैं और अपने सौंदर्य से लोगों को प्रभावित भी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक हजार साल पुराना मंदिर मौजूद है जो ईंटों पर बना है।

मंदिर की भावी आयु महज चार से पाँच सौ साल

अयोध्या में एक हजार एक सौ करोड़ की लागत से भव्यतम मंदिर निर्माण की तैयारी चल रही है। इस मंदिर को एक हजार साल के स्थायित्व संकल्प के साथ निर्माण करने का निर्णय लिया गया था लेकिन देश की बड़ी निर्माण कंपनी और जाने -माने आर्कीटेक्ट-इंजीनियरों की विशेषज्ञता हासिल होने के बावजूद अब कहा जा रहा है कि मंदिर की भावी आयु महज चार से पाँच सौ साल की होगी। इसकी वजह मंदिर स्थल की जमीन के निचले स्तर पर बालू की मौजूदगी है।

मंदिर निर्माण के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई गई

मंदिर निर्माण के लिए नींव तैयार करने के लिए ठोस आधार की तलाश में जुटे इंजीनियरों ने पाया है कि जमीन के अंदर बालू का स्तर होने की वजह से मंदिर भवन टिकाऊ नहीं बनाया जा सकेगा। श्री राम मंदिर निर्माण कराने वाले श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपतराय ने इस बारे में मीडिया को बताया है कि मौजूदा स्थितियों में एक हजार साल के लिए मंदिर निर्माण संभव नहीं है लेकिन अब विशेषज्ञों की टीम बनाई गई है जो दूसरे विकल्पों के बारे में विचार कर रही है। जमीन की जांच और नई तकनीकों के प्रयोग परीक्षण के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकेगा।

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देश में हैं हजार साल से भी ज्यादा पुराने मंदिर

हजार साल तक टिकाऊ भवन वाले मंदिर केवल कल्पना नहीं हैं। दुनिया में और भारत में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं जो हजार साल से भी ज्यादा अपनी आयु पूरी कर चुके हैं। ऐसे में अयोध्या के श्रीराम मंदिर से भावनात्मक तौर पर जुड़े लोग सवाल कर रहे हैं कि हजार साल बाद की विकसित तकनीकी में ऐसा संभव क्यों नहीं है। ऐसे लोग उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित भीतरगांव मंदिर का उदाहरण दे रहे हैं जो लगभग डेढ़ हजार साल पुराना है। यह मंदिर पत्थरों के बजाय ईंटों पर बना है।

इतिहासकार कनिंघम के अनुसार भीतरगांव का मंदिर सातवी-आठवीं शताब्दी का है जबकि वोगल के अनुसार यह उससे भी तीन सौ वर्ष पुराना यानी चौथी या पांचवीं सदी का है। यह भारत का प्राचीनतम मन्दिर है। यह पक्की ईंटों का बना हुआ है। इसी तरह ललित पुर में स्थित दशावतार मंदिर, मध्यप्रदेश खजुराहो मंदिर, दक्षिण भारत के तमिलनाडु में स्थित श्रीरंगम मंदिर,सोमनाथ मंदिर,एलोरा का कैलासा मंदिर आदि एक हजार साल से भी अधिक पुराने हैं।

श्री रंगनाथ मंदिर

तमिलनाडु के तिरिुचरापल्ली में स्थित है। 156 एकड़ में फैले इस मंदिर को दुनिया के हिन्दू मंदिरों में सबसे विशाल क्षेत्र वाले मंदिर का दर्जा प्राप्त है। कानपुर के भीतरगांव में स्थित पक्की ईंटों से बना मंदिर लगभग चालीस फुट ऊंचा है। उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ मंदिर भी आठवीं सदी का है जबकि तमिलनाडु के कुंभकोणम में कुंभेश्वर मंदिर और तंजावुर में ब्रिहदीस्वर मंदिर भी एक हजार साल से अधिक पुराने हैं।

एलोरा का कैलासा मंदिर, ललितपुर में स्थित दशावतार मंदिर, कर्नाटक के हम्पी में स्थित विरुपाक्ष मंदिर, महाराष्ट्र का अंबरनाथ मंदिर भी एक हजार से लेकर डेढ़ हजार साल पुराने हैं और अब तक इनके स्थापत्य को प्रकृति से कोई चुनौती नहीं मिल सकी है।

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ

- देश में हजार साल पुराने मंदिरों की लंबी कतार है। लगभग हर हिस्से में ऐसे मंदिर स्थित हैं। मंदिरों की यह मौजूदगी साफ बता रही है कि दो हजार साल पहले ही लोगों को स्थापत्य कला का पूरा ज्ञान हो चला था। राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु समेत लगभग सभी राज्यों में ऐसे प्राचीन मंदिर स्थित हैं जो स्थापत्य तकनीकी का अनुपम उदाहरण हैं। - इंदुप्रकाश , पुरातत्वविद् , भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सेवानिवृत्त अधिकारी

- जब समुद्र के भीतर विशालकाय बुर्ज खलीफा का निर्माण हो सकता है तो हजार साल तक टिकने वाले ढांचे का भी निर्माण किया जा सकता है। जम्बुकेश्वर मंदिर आज से 1800 साल पहले चोल राजाओं ने बनवाया था। विशेषज्ञों की राय लेकर मंदिर का स्थायी ढांचा तैयार किया जा सकता है। -राजीव द्विवेदी, आर्कीटेक्ट

- श्री राम मंदिर निर्माण की नींव टेस्ट पाइल फेल हुई है। विशेषज्ञ टीम इस बारे में नए उपायों पर विचार कर रही है। अब दूसरे परीक्षण किए जाएंगे। इसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना उचित होगा।- शरद शर्मा, मीडिया प्रभारी विश्व हिंदू परिषद

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