संदीप अस्थाना की रिपोर्ट
आजमगढ़: स्वच्छ भारत अभियान के अन्तर्गत गांवों में शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। अभियान के साथ-साथ इससे जुड़े घपलों की भी खूब चर्चा है। कहीं एक ही व्यक्ति ने दो या उससे अधिक आईडी से धन निकाल लिया है और एक ही गांव के लाभार्थी सूची में उसका नाम कई जगह दर्ज है तो कहीं एक ही परिवार के पिता, पुत्र, पुत्रों, पत्नी, बहुओं के नाम पर पैसा निकाल लिया गया है। कई लाभार्थियों को पता तक नहीं है और उसके नाम पर पैसा निकल चुका है। इस गोरखधंधे में विभाग के कर्मचारियों के साथ-साथ घोषित ‘घोटालेबाज’ शामिल हैं।
ग्राम पंचायत इब्राहिमपुर की बेसलाइन सर्वे सूची के नंबर 23 पर बहादुर (पुत्र सहती ग्राम हैबतपुर) का नाम दर्ज है, जबकि इस नाम, पते का कोई व्यक्ति है ही नहीं। इसी तरह नंबर 27 पर मंजय (पुत्र सहती), नंबर 45 पर बहादुर (पुत्र सहती) का नाम दर्ज है। बहादुर (पुत्र सहती) का नाम 23 और 45 पर दर्ज है यानी दो आईडी से पैसा निकाला गया है। नंबर 26,62 और 45 पर इसी परिवार के लोगों के नाम हैं। अनिल (पुुत्र मुखराम) का नाम 35 नंबर पर है जबकि यही अनिल बहुत पहले ग्राम सोनपार के निवासी हो चुके हैं। क्रमांक 41 पर अशोक (पुत्र लालजीत) 150 पर लालजीत (पुत्र तपसी), 292 पर श्रीराम (पुत्र लालजीत) का नाम दर्ज किया गया है। एक ही परिवार के तीनों पिता-पुत्र हैं। इन लोगों ने अपने खुद के पैसे से शौचालय बनवाया है।
इसी प्रकार गरीब (पुत्र सुखदेव) का नाम नंबर 6 और 89 पर दो जगह अंकित है। मनोज (पुत्र रामबचन) का नाम नंबर 20 पर, इनकी माता मालती (पत्नी रामबचन) का नाम 161 पर दर्ज है। बन्ने (पुत्र लल्लन) का नाम नंबर 55 और 61 पर दो जगह दर्ज है। इन्हीं के भाई बृजपाल का नाम भी सूची में दर्ज है। नंबर 154 पर लल्लन (पुत्र घुन्नन) का नाम दर्ज है। ये सभी एक ही परिवार के हैं। इनका शौचालय बना ही नहीं है।
नंबर 199 और 200 पर क्रमश: रक्षा (पुत्र भवन) और रक्षा निषाद (पुत्र भवन निषाद) दर्ज किया गया है। दोनों एक ही व्यक्ति हैं और दो आईडी से धन निकाल लिया गया है। नंबर 266 से 271 तक श्रवण का नाम दर्ज है। जबकि श्रवण (पुत्र भूसी) 270 और 268 पर भी दर्ज है। नंबर 266 पर श्रवण (पुत्र दलसिंगार) लिखा गया है। 271 पर भी श्रवण (पुत्र दलसिंगार) लिखा गया है। इस तरह के दर्जन भर उदाहरण हैं।
इन सभी तथ्यों से स्पष्ट है कि सूची में एक ही व्यक्ति के नाम एक से अधिक स्थानों पर अंकित है और अलग-अलग आईडी से पैसा निकाला गया है। स्पष्टï है कि जिन लोगों ने अपने पैसे से बहुत पहले शौचालय का निर्माण करा लिया है उनके नाम भी सूची में दर्ज कर पैसा निकाला गया है। वहीं, कुछ लोगों के नाम सूची में तो हैं किन्तु भौतिक रूप से अभी तक उनके शौचालय नहीं बने हैं और धन निकाल लिया गया है। अगर पूरे आजमगढ़ जिले में शौचालय निर्माण की जांच करायी जाए तो यह जिले का सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा।
समाजवादी पेंशन में करोड़ों का घोटाला
आजमगढ़ में समाजवादी पेंशन में करोड़ों के घोटाले के साक्ष्य अधिकारियों के पास मौजूद हैं, मगर अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। वैसे देखाा जाए तो यहां का समाज कल्याण विभाग हमेशा ही घोटालों में लिप्त रहा है। कई बार कार्रवाई भी हुई मगर विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों के हौसले लगातार बढ़ते ही चले। समाज कल्याण विभाग में वर्ष 2007 से वर्ष 2011 तक के 150 करोड़ के घोटाले की जांच साबित हो चुकी है। इस मामले में अभी घोटालेबाजों का नाम तय भी नहीं हो पाया था कि इसी विभाग में समाजवादी पेंशन मद में करोड़ों का घपला सामने आ गया है। समाजवादी पेंशन में यह करोड़ों का घपला वर्ष 2014 से वर्ष 2017 के बीच का है।
करायी जा रही जांच, होगी कार्रवाई
आजमगढ़ के मण्डलायुक्त के. रविन्द्र नायक का कहना है कि समाजवादी पेंशन में घोटाले की शिकायत उनसे की गयी है और शिकायतकर्ता की ओर से कुछ साक्ष्य भी दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि वह इस मामले की जांच करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रथमदृष्टïया घोटाला सही प्रतीत हो रहा है, फिर भी जांच कराकर आरोप तय करना जरूरी है। किसी भी दोषी को कतई नहीं बख्शा जायेगा और उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी।
हड़प गये सांसद निधि का 50 लाख
जमीन पर विद्यालय का वजूद ही नहीं है और सांसद निधि का 50 लाख रुपया खा लिया गया। यह घोटाला आजमगढ़ जिले के गंभीरवन स्थित एक वजूदहीन विद्यालय प्रबंधक ने किया। यह मामला संज्ञान में आने के बाद जिलाधिकारी ने इसकी जांच एडीएम वित्त को सौंपी। एडीएम ने अपने स्तर से इस मामले की जांच भी करवाई। बावजूद इसके वह अभी भी इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं। यह कालेज सिर्फ कागजों में ही है और धरातल पर उसका कोई वजूद ही नहीं है। इस मामले में विद्यालय प्रबंधक, निधि की रकम देने के पहले जिन अधिकारियों ने जांच की, जिस अधिकारी ने भवन निर्माण गुणवत्ता के अनुरूप पूर्ण होने की रिपोर्ट लगायी, वह सभी फंसेंगे। इतना ही नहीं फर्जी रिपोर्ट लगाकर मान्यता में मदद करने वाले दोषी अधिकारियों के भी गले नपेंगे।
एडीएम बोले: अभी नहीं की जांच
आजमगढ़ के एडीएम वित्त एवं राजस्व वीके गुप्ता का कहना है कि शिकायत उनके पास है। इस शिकायती पत्र को अभी तक उन्होंने न तो पढ़ा है और न ही जांच ही की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में वह अभी कोई बयान नहीं दे सकते हैं। गुप्ता ने कहा जांच में अगर कोई दोषी पाया जायेगा तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जायेगी।