ये जानते हैं: मुस्लिम पक्ष को किस प्रावधान के तहत मिली जमीन
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला हिंदू पक्ष में सुनाया है। सारे विवादित तथ्यों का साफ व्याख्यान देने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद अब विवादित स्थल पर ही मंदिर बनेगा।
नई दिल्ली : अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला हिंदू पक्ष में सुनाया है। सारे विवादित तथ्यों का साफ व्याख्यान देने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद अब विवादित स्थल पर ही मंदिर बनेगा। अयोध्या के रामजन्मभूमि विवाद केस में सबसे बड़ा और अंतिम फैसला आया है कि विवादित स्थल पर ही मंदिर बनेगा। इसके साथ ही सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को उपयुक्त जगह पर 5 एकड़ ज़मीन अलग से देने का आदेश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मुस्लिम पक्ष को ज़मीन दे रहे हैं। सरकार ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा को भी उपयुक्त प्रतिनिधित्व देने पर विचार करे। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है अनुच्छेद 142।
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भारतीय संविधान अनुच्छेद 142
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया है। बता दें कि कोर्ट ऐसी महत्त्वपूर्ण नीतियों में परिवर्तन के लिए कर सकता है जो जनता को प्रभावित करती हैं। जब अनुछेद 142 को संविधान में शामिल किया गया था तो इसे इसलिए वरीयता दी गई थी क्योंकि सभी का यह मानना था कि इससे देश के वंचित वर्गों और पर्यावरण का संरक्षण करने में सहायता मिलेगी।
जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि है। सुप्रीम कोर्ट ऐसे आदेश दे सकता है जो इसके समक्ष लंबित पड़े किसी भी मामले में न्याय करने के लिये आवश्यक हों।
सुप्रीम कोर्ट के दिए गए आदेश सम्पूर्ण भारत संघ में तब तक लागू होंगे जब तक इससे संबंधित किसी अन्य प्रावधान को लागू नहीं कर दिया जाता है।
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फैसला कानूनी आधार पर लिया गया
अयोध्या राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों की बेंच ने 9 नवंबर 2019 को अपना फैसला सुना दिया। पांचों जजों ने सर्वसम्मति से ये फैसला लिया कि विवादित ज़मीन रामलला को जाएगी।
अदालत ने कहा कि ज़मीन विवाद का फैसला कानूनी आधार पर लिया गया। कोर्ट ने कहा कि हिंदू अयोध्या को राम के जन्म का स्थान मानते हैं। अयोध्या राम की जन्मभूमि है, इसे लेकर कोई विवाद नहीं है।
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कोर्ट ने कहा कि आस्था और विश्वास पर भी कोई विवाद नहीं है। साथ ही ये भी कहा कि आस्था और विश्वास पर मालिकाना हक़ नहीं बनता है। इस फैसले में 2003 में जमा की गई एएसआई की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि एएसआई ने मुख्य गुंबद के नीचे हिंदू मंदिर होने की बात कही।
यदि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए जाने की बात नहीं कही गई। ये भी कहा गया कि 12वीं और 16वीं सदी के बीच विवादित ज़मीन पर क्या था, इसके सबूत नहीं हैं। हालांकि अदालत ने ये भी कहा कि यात्रियों के वृत्तांत और पुरातात्विक साक्ष्य हिंदू पक्ष के साथ जाते हैं।
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