Township Policy 2023: टाउनशिप का निर्माण करने वाले निजी डेवलपर्स को मिलेंगे इंसेटिव, जाने क्या है योजना

Township Policy 2023: नीति के अनुसार, टाउनशिप का क्षेत्रफल 50 एकड़ से कम होने पर केवल आवासीय उपयोग में ही अनुमति प्रदान की जाएगी। वहीं, टाउनशिप का क्षेत्रफल 50 एकड़ या इससे अधिक होने पर कृषि उपयोग में भी अनुमति प्रदान की जाएगी, जिसके लिए नियमानुसार आवासीय में भू-उपयोग परिवर्तन की कार्यवाही की जाएगी।

Update:2023-07-26 16:53 IST
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ: Photo- Social Media

Township Policy 2023: निवेशकों को प्रभावित करने के उद्देश्य से योगी सरकार नई टाउनशिप पॉलिसी 2023 लायी है। इसके तहत निवेश करने वाले निजी विकासकर्ताओं को विभिन्न तरह के इंसेंटिव्स प्रदान की जाएगी। विकासकर्ताओं को सबसे बड़ी राहत भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क में मिलेगी। 5 लाख से अधिक और 10 लाख से कम आबादी वाले नगरों में टाउनशिप बनाने पर भू- उपयोग परिवर्तन शुल्क में 25 प्रतिशत छूट मिलेगी। जबकि 5 लाख से कम आबादी वाले नगरों में 50 प्रतिशत तक की छूट मिलेगी। योगी सरका ने शहरीकरण की नई चुनौतियों को देखते हुए समाज के विभिन्न वर्गों को अफोर्डेबल हाउसिंग मुहैया कराने, शहरों के पेरीफेलर क्षेत्रों में अव्यवस्थित विकास को नियंत्रित करने, शहरी नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के साथ ही निवेश जुटाने के उद्देश्य के इस नीति का निर्धारण किया है। इस नीति के तहत केवल टाउनशिप के विकास के लिए निजी विकासकर्ता ही पात्र होंगे।

आवासीय उपयोग के लिए होगी 50 एकड़ से कम क्षेत्रफल की टाउनशिप

नीति के अनुसार, टाउनशिप का क्षेत्रफल 50 एकड़ से कम होने पर केवल आवासीय उपयोग में ही अनुमति प्रदान की जाएगी। वहीं, टाउनशिप का क्षेत्रफल 50 एकड़ या इससे अधिक होने पर कृषि उपयोग में भी अनुमति प्रदान की जाएगी, जिसके लिए नियमानुसार आवासीय में भू-उपयोग परिवर्तन की कार्यवाही की जाएगी। आवासीय के अतिरिक्त अन्य उपयोग की भूमि भी योजना में सम्मिलित होने की दशा में महायोजना मार्गों की भूमि को छोड़कर बाकी उपयोगों की भूमि को 'स्वैपिंग किया जाना अनुमन्य होगा, जिसके लिए भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क देय नहीं होगा।

एफडीआई की मिलेगी सुविधा

भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्द्धन व आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा जारी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति (एफडीआई पॉलिसी) के मुताबिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सुविधा भी अनुमन्य होगी। इसके अलावां परियोजना से संबंधित कई अलग-अलग स्वीकृतियों के लिए ग्रीन चैनल की व्यवस्था की जाएगी। इसके माध्यम से सभी स्वीकृतियां, अनापत्तियां 'सिंगल विंडो सिस्टम' के माध्यम से निर्गत की जाएंगी। टाउनशिप के क्षेत्रफल में विस्तार भी किया जा सकेगा। इसकी स्वीकृति उपाध्यक्ष या आवास आयुक्त स्तर से दिया जाएगा। लाइसेंस निर्गमन एवं ले-आउट प्लान अनुमोदन के लिए प्रक्रिया सरल बनाई जाएगी। इसपर कार्यवाही के लिए उपाध्यक्ष, आवास आयुक्त अधिकृत होंगे। विकासकर्ता को एक ही विकास क्षेत्र में एक से अधिक लाइसेंस प्राप्त करने तथा एक से अधिक Consortium में सदस्य बनने की सुविधा होगी।

विकासकर्ता को निर्माण का पूर्ण अधिकार

लाइसेंस एरिया के अंदर विकास, निर्माण संबंधी पूरा अधिकार केवल डेवलपर, कंसोर्टियम को होंगा। यानी लाइसेंस के लिए प्रस्तावित क्षेत्र में लाइसेंसधारक विकासकर्ता, कंसोर्टियम के अलावा किसी अन्य भू-स्वामी या आवेदक द्वारा प्रस्तुत मैप को प्राधिकरण, आवास एवं विकास परिषद द्वारा स्वीकृत नहीं किया जा सकेगा। शासकीय एजेंसियों द्वारा क्षेत्र में अनधिकृत विकास, निर्माण को भी नियंत्रित किया जाएगा। इसके साथ ही टाउनशिप और लैंड असेंबली के लिए विकासकर्ता, कंसोर्टियम भू-स्वामियों, किसानों से लैंड पूलिंग एग्रीमेंट तथा डेवलपर एग्रीमेंट कर सकेगा।

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